शुक्रवार, 17 मई 2013

अकेले चौधरी में ही है पायलट के विरोध का माद्दा


सबको पता है कि अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं और उनकी युवा टीम के अहम सदस्य हैं, बावजूद इसके राहुल के सामने सचिन की खिलाफत करने का माद्दा अकेले डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी में है। तभी तो उन्होंने जयपुर में अजमेर के गु्रप से फीडबैक लेते वक्त सचिन का यह कह विरोध किया कि लोकसभा के चुनाव में स्थानीय व्यक्ति को ही टिकट दिया जाए, इससे कांग्रेस मजबूत होगी। हालांकि इससे पहले भी जब सचिन को टिकट दिया जा रहा था, तब भी उनके सुर अलग थे। अब तो वे न केवल अजमेर के सांसद हैं, अपितु राहुल की कृपा से राज्य मंत्री भी हैं, मगर जानते बूझते हुए भी चौधरी ने ऐसी मांग कर डाली तो इससे यह साबित हो गया कि  वे मर्द नेता हैं।
असल में चौधरी में यह दम-खम शुरू से अपने बूते पर रहा है। जब ेदेहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब भी उनके रुतबे अलग ही थे। ऐसा दमदार देहात अध्यक्ष न इससे पहले था और न ही बाद में बना। बेशक वे कांग्रेस के झंडाबरदार हैं, मगर राजनीति अपने दम पर करते हैं। वर्षों से उनकी जिले पर जबरदस्त पकड़ है। शायद ही ऐसा कोई गांव-ढ़ाणी हो, जहां उनके दो-चार चेले न हों। पहले ये भ्रम था कि वे कांग्रेस के देहात अध्यक्ष होने के नाते पार्टी की ताकत पर डेयरी अध्यक्ष बनते हैं, मगर जब  इस पद से हट गए, तब भी अपने बूते पर दुबारा अध्यक्ष बन कर दिखा चुके हैंं। इतना ही नहीं भाजपा की पिछली सरकार के दौरान जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने ऐडी चोटी का जोर लगा दिया, मगर चौधरी को डेयरी अध्यक्ष बनने से नहीं रोक पाए।
चौधरी की इस खासियत को बताने का मतलब सिर्फ इतना है कि जमीन से जुड़े नेता ही रीढ़ की हड्डी सीधी रख कर आंख में आंख में मिला कर बात कर सकते हैं। इसी कड़ी में पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व डॉ. राजकुमार जयपाल की गिनती की जा सकती है, मगर चौधरी की तो बात ही अलग है। बाकी सारे नेता सचिन के सामने कैसे रीढ़ को दोहरा करके खड़े रहते हैं, किसी से छिपा हुआ नहीं है। मतलब साफ है उनका अपना कोई दम-खम नहीं है, जो कुछ है वह कांग्रेस के दम पर है।
वैसे चौधरी की दमदारी की एक वजह ये भी है कि वे वर्षों से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ और पूर्व केबीनेट मंत्री हरेन्द्र मिर्धा की लॉबी से जुड़े हुए हैं। अगर सचिन का विरोध करने पर वे नाराज हो भी जाते हैं तो उन्हें बचाने वाली एक दमदार जाट लॉबी मौजूद है। कहने की जरूरत नहीं है कि परिसीमन के बाद अजमेर लोकसभा सीट जाट डोमिनेटेड हो गई है।
-तेजवानी गिरधर

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