रविवार, 12 मई 2013

गहलोत की सभा इम्पैक्ट नहीं छोड़ पाई


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में निकाली जा रही कांग्रेस संदेश यात्रा के तहत अजमेर में आयोजित सभा में भले ही कांग्रेस के सभी गुटों की मौजूदगी से एकजुटता नजर आई हो, मगर इस सभा का आम जनता में कुछ खास इम्पैक्ट नजर नहीं आया। न तो अपेक्षा के अनुरूप भीड़ जुटाई जा सकी और न ही मौजूद लोगों में कोई खास उत्साह था। कांग्रेसी भले ही इसकी वजह आंधी और बारिश को बताएं, मगर आमजन में गहलोत के प्रति उतना आकर्षण नहीं दिखाई दिया, जितना कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वसुंधरा राजे की प्रदेशभर की सभाओं में नजर आ रहा है।
गहलोत की सभा इस वजह से ही अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही, क्योंकि  उनका यह इकलौता कार्यक्रम नहीं था, जिसके लिए पूरी ताकत लगाई गई हो। बहाना भले ही संदेश यात्रा का था, मगर इसी के साथ अनेक शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रम होने की वजह से कार्यकर्ता बंट गए। अगर संदेश यात्रा के तहत केवल एक ही सभा करते तो संभव है कार्यकर्ता ज्यादा भीड़ जुटा पाते।
गुटों की एकजुटता दिखावटी 
जहां तक गहलोत के आने पर गुटों में बंटी कांग्रेस के एकजुट दिखाई देने का सवाल है, तो यह भी छद्म ही कही जाएगी। इसकी वजह ये है कि भले ही गहलोत और अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट के एक ही मंच पर होने के कारण उनके समर्थक एक  जगह नजर आ गए, मगर उनके बीच पड़ी दरार भी समाप्त हो गई होगी, यह कहना उचित नहीं होगा। कहने की जरूरत नहीं है कि एक ओर जहां पायलट के प्रति आस्था रखने वालों में शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता, नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया व नगर सुधार न्यास के सदर नरेन शहाणी भगत की गिनती की जाती है, जबकि पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व डॉ. राजकुमार जयपाल की आस्था गहलोत में है। यह बंटवारा पायलट के चुनाव के वक्त ही हो गया था और तब से लेकर आज तक कायम है। डॉ. बाहेती व डॉ. जयपाल ने शहर कांग्रेस के अधिकृत कार्यक्रम से दूरी ही बनाए रखते हैं। गहलोत के सामने भले ही वे आ गए, मगर शहर अध्यक्ष रलावता से उनकी पटरी बैठती नजर नहीं आती। हालांकि प्रदेश कांग्रेस हाईकमान ने इस गुटबाजी को भांपते हुए डॉ. जयपाल व उनके पिता पूर्व शहर अध्यक्ष जसराज जयपाल को तवज्जो दी ताकि उनकी नाराजगी दूर हो, मगर ऐसा लगता नहीं है कि वे रलावता का नेतृत्व स्वीकार कर लेंगे। इसकी वजह ये है कि रलावता के अध्यक्ष बनने से उनकी वर्षों से जमी साख की किरकिरी हुई है। आज भी उनके गुट के लोग रलावता की कार्यकारिणी में नहीं हैं।
-तेजवानी गिरधर

2 टिप्‍पणियां:

  1. मंगलवार 21/05/2013 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं ....
    आपके सुझावों का स्वागत है ....
    धन्यवाद !!

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  2. बढ़िया समसामयिक चिंतनकारी प्रस्तुति ..

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