गुरुवार, 20 जून 2013

नसीराबाद में है बाबा के परिवार का वर्चस्व

बाबा गोविंद सिंह गुर्जर
अजमेर जिले की नसीराबाद विधानसभा सीट पर लगातार छह बार काबिज रहे पांडिचेरी के भूतपूर्व उपराज्यपाल स्वर्गीय बाबा गोविंद सिंह गुर्जर के निधन के बाद पिछले विधानससभा चुनाव में तो उनके ही भतीजे व श्रीनगर पंचायत समिति के पूर्व प्रधान महेन्द्र सिंह गुर्जर ने कब्जा किया ही, आगामी विधानसभा चुनाव में भी टिकट की दावेदारी की दृष्टि से उनके ही परिवार का कब्जा रहने वाला है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही जब कांग्रेस पर्यवेक्षक रोजश खेरा वहां फीडबैक लेने गए तो जिन छह दावेदारों ने अपना दावा पेश किया, उनमें से तीन बाबा के ही परिवार के थे। हालांकि लगता यही है कि इस बार भी मौजूदा विधायक महेन्द्र सिंह गुर्जर को ही टिकट मिलेगा, लेकिन यहां बाबा के परिवार का ही वर्चस्व जताने के लिए योजनाबद्ध तरीके से बाबा के भाई जिला परिषद सदस्य रामनारायण गुर्जर व बाबा के दत्तक पुत्र सुनील गुर्जर ने भी दावा कर दिया। उनके अतिरिक्त जिन तीन अन्य ने दावा पेश किया, उनमें से भी दो गुर्जर समाज से ही हैं, जबकि शेष एक मुस्लिम समुदाय से है। इनके नाम अजमेर नगर निगम के कांग्रेसी पार्षद नौरत गुर्जर व सुआलाल गुर्जर और नसीराबाद विधानसभा यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गुल मोहम्मद खान हैं। समझा जा सकता है कि बाबा परिवार की पुश्तैनी सीट होने के कारण शेष दोनों गुर्जर दावेदारों का दावा कितना मजबूत है। इसी प्रकार मुस्लिम दावेदार गुल मोहम्मद खान के दावेदार का आधार इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिमों के तकरीबन 20 हजार वोट हैं। इस सीट पर कांग्रेस की लगातार जीत का आधार गुर्जरों और अनुसूचित जाति के करीब 24-24 हजार वोट और मुसलमानों के 20 हजार वोट हैं।
महेन्द्र सिंह गुर्जर
दरअसल यहां पूर्व में लगातार गुर्जर व रावतों के बीच मुकाबला होता था। बाबा के सामने लगातार तीन बार रावत समाज के मदन सिंह रावत खड़े किए गए, मगर जीत उनकी किस्मत में थी ही नहीं। पिछली बार परिसीमन के तहत पुष्कर व भिनाय विधानसभा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल किए जाने के कारण यहां का जातीय समीकरण बदल गया। तकरीबन 25 हजार जाटों के मद्देनजर पूर्व जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट को उतारा गया। लगातार तीन बार हारे रावत को चुनाव से ठीक पहले मगरा विकास बोर्ड का अध्यक्ष बना कर साइड कर दिया गया था। भाजपा का यह प्रयोग हालांकि जातीय समीकरण के लिहाज से उचित ही था, मगर प्रो. जाट भी महज 71 वोटों से हार गए। इस अंतर को नगण्य ही माना जाएगा। इस बार भी यहां भाजपा टिकट के लिए उनका ही दावा मजबूत है। वे खुद ही सीट बदलना चाहें, ये बात अलग है। वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा के हनुमान कहलाते हैं, इस कारण उनकी टिकट पक्की है। उनके पास विकल्प के रूप में किशनगढ़ अथवा केकड़ी सीट है।
अब तक के विधायक
1957 - ज्वाला प्रसाद शर्मा-कांग्रेस
1962 - ज्वाला प्रसाद शर्मा-कांग्रेस
1967 - विजयसिंह-निर्दलीय
1970 - शंकर सिंह-कांग्रेस
1972 उपचुनाव- शंकर सिंह-कांग्रेस
1977 - भंवरलाल-जनता पार्टी
1980 - गोविंद सिंह गुर्जर-कांग्रेस
1985 - गोविंद सिंह गुर्जर-कांग्रेस
1990 - गोविंद सिंह गुर्जर-कांग्रेस
1993 - गोविंद सिंह गुर्जर-कांग्रेस
1998 - गोविंद सिंह गुर्जर-कांग्रेस
2003 - गोविंद सिंह गुर्जर-कांग्रेस
2008 - महेन्द्र सिंह गुर्जर-कांग्रेस

-तेजवानी गिरधर

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