रविवार, 9 जून 2013

न्यास सचिव पुष्पा सत्यानी पहले ही भांप गई थीं?

लैंड फॉर लैंड के मामले में प्लॉट और रुपए मांगने के मामले में नगर सुधार न्यास की जिन पूर्व सचिव श्रीमती पुष्पा सत्यानी के लिए भी एक प्लॉट मांगने का टेलीफोनिक वार्ता में जिक्र एसीबी की जांच में आ रहा है, वे वहीं हैं, जो चंद माह में ही अजमेर से रुखसत हो गई थीं। तब इस पर आश्चर्य भी जताया गया था।
अपुन ने तो इस बारे में पहले ही लिख दिया था। असल में उन्हें न्यास सदर नरेन शहाणी भगत अपनी सुविधा के लिए यहां ले कर आए थे। चंद माह में ही जब वे विवादित होने लगीं तो उनका तबादला हो गया। तब दो बातें उभरी थीं। एक ये कि क्या वे विवाद की वजह से हटाईं गईं और दूसरा ये कि खुद उन्होंने ही यहां से जाने की इच्छा जताई थी।
जहां तक विवाद का सवाल है, वे नियमन के एक मामले में भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल के निशाने पर आ गई थीं। उन्हें मजबूरी में नियमन रद्द करना पड़ा था। वस्तुत: श्रीमती भदेल ने भगवान गंज स्थित 2421 वर्ग गज जमीन का मामला उठाया था। मामला ये था कि जयपुर के रामनगर, सोडाला निवासी मीरा छतवानी ने भगवान गंज स्थित खसरा संख्या 5237 की 2421 वर्ग जमीन का नियमन करने के लिए आवेदन किया था। यूआईटी ने 18 जुलाई को आवेदन मंजूर कर नियमन आदेश जारी कर दिए। यहां तक कि नियमन राशि जमा कर पट्टा भी जारी कर दिया गया और सब रजिस्ट्रार के यहां से रजिस्टर्ड हो गया। इस पर विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने इस नियमन में भारी अनियमितता बताते हुए यूआईटी पर भू माफियाओं को उपकृत करने का आरोप लगाया। इस पर न्यास सदर नरेन शहानी भगत ने तुरंत जांच के आदेश दिए और स्वयं सचिव श्रीमती सत्यानी को ही नियमन रद्द करने के आदेश जारी करने पड़े। इस मामले में न्यास की बड़ी भारी फजीहत हुई। इस प्रकरण के साथ ही पुष्पा सत्यानी संदेह के घेरे में आ गई हैं और आशंका व्यक्त की जा रही थी कि अगर वे यहीं जमी रहीं तो भगत के कार्यकाल का सत्यानाश कर देंगी। ऐसे में सरकार ने उन्हें यहां से हटाना ही बेहतर समझा।
प्रकरण का दूसरा पहलु ये है कि असल में वे भांप गई थीं कि अजमेर नगर सुधार न्यास में काम करना बहुत कठिन है। कार्यभार संभाले दो-तीन माह ही हुए थे कि मीडिया की तीखी नजर के चलते परेशान हो गईं। उन्होंने कहना शुरू कर दिया था कि अजमेर में तो काम करना संभव ही नहीं है। यहां के लोग कुछ करने ही नहीं देना चाहते। केवल हर काम में घोचा करते हैं।
आपको याद होगा कि मीडिया के दबाव की वजह से ही स्वायत्त शासन विभाग व नगरीय विकास विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव जी. एस. संधु ने श्रीमती पुष्पा सत्यानी को नसीहत दी कि वे आवासीय योजनाओं में मकानों के व्यावसायिक भू उपयोग परिवर्तन नहीं करें। नतीजतन कमाई का एक जरिया बंद हो गया। इसी प्रकार पत्रकार संजय माथुर की रिपोर्ट पर भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने अफोर्डेबल स्कीम के तहत आवास बनाने की योजना में की जा रही नियमों की अनदेखी का मसला सरकार के सामने उठाया और उसे बंद करने के आदेश हो गए। इसमें भी अच्छी खासी आमदमी होने की उम्मीद थी, जिस पर पानी फिर गया।
बहरहाल, पुष्पा सत्यानी के जल्द यहां से रुखसत होने की जो भी वजह हो, मगर इतना तो तय सा लगता है कि वे यहां के हालात को अच्छी तरह से भांप गई थीं। अब ये संयोग ही है कि उनके जाने के बाद ही न्यास में चल रहे गोरखधंधे का भांडा फूटा है, जिसमें जिक्र आ रहा है कि उन्हें भी एक प्लाट दिया जाना था।
-तेजवानी गिरधर

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