महेन्द्र सिंह रलावता |
उनकी विज्ञप्ति से यह साफ जाहिर है कि वे यह कहना चाहते हैं कि बैठक में बाकोलिया की आलोचना रलावता की शह पर ही हुई। इस बात को स्थापित करने के लिए तर्क दिया गया है कि एक ओर तो समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों और कथित बयानबाजी की आड़ लेकर एक पार्षद और कच्ची बस्ती व व्यापारिक महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी, अर्थात मोहन लाल शर्मा को निलम्बित किया जाता है तो दूसरी संगठन की बैठक में ही बाकोलिया की खिलाफत बर्दाश्त की जाती है, यानि कि यह सब प्रायोजित तरीके से हुआ।
बैठक में हुई इस घटना को भी रेखांकित किया गया है कि कभी तो एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर जिले के सारे विधानसभा टिकट पायलट के जिम्मे सौंपे जाते हैं, दूसरी ओर मेयर की खिलाफत की आड़ में पायलट की खिलाफत भी कर रहे हैं। सवाल ये भी उठाया गया कि प्रस्ताव पारित करते वक्त किसी ने टिकट का जिम्मा देने के मामले में राहुल गांधी व अशोक गहलोत का नाम क्यों नहीं लिया गया। मुस्तफा व गर्ग ने इसका अर्थ ये निकाला है कि टिकट की चाह रखने वाले अध्यक्ष तथा अन्य लोग, अर्थात पूर्व उप मंत्री ललित भाटी पायलट के पक्ष में पारित प्रस्ताव से खिन्न हैं। इसका प्रमाण ये है कि एक ओर तो पायलट के प्रति पूर्ण समर्थत जाहिर करते हैं, दूसरी ओर पर्यवेक्षक के सामने अपने समर्थकों के साथ टिकट की दावेदारी भी करते हैं। यानि उनकी नजर में पायलट के बारे में पारित प्रस्ताव का कोई महत्व ही नहीं है।
मुस्तफा व गर्ग ने पार्टी की दयनीय स्थिति पर भी अफसोस जताया है। यह कह कर कि चुनाव को लेकर भाजपा पूरी तरह से सक्रिय है, दूसरी ओर कांग्रेस में कागजों में बूथ लेवल कमेटी मतदाता सूची पुननरीक्षण के बाद बनेगी, जिसका कोई औचित्य नहीं है।
कुल मिला कर इससे यह आभास हो रहा है कि शहर कांग्रेस में संगठन को लेकर कुछ न कुछ पक रहा है।
-तेजवानी गिरधर
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