बुधवार, 13 नवंबर 2013

एक परचे ने बिगाड़ा अजमेर का राजनीतिक मिजाज

अजमेर उत्तर के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के समर्थन में और समाज विशेष के खिलाफ किसी शरारती व्यक्ति की ओर से जारी किए गए एक परचे ने अजमेर शहर का राजनीतिक मिजाज बिगाड़ दिया। हालांकि स्वाभाविक रूप से यह परचा डॉ. बाहेती की ओर से जारी किया हुआ प्रतीत नहीं होता क्योंकि कोई भी प्रत्याशी ऐन चुनाव के मौके पर एक समाज विशेष को निशाना बना कर उसकी नाराजगी मोल लेने की गलती नहीं करेगा, मगर परचे की भाषा इतनी खतरनाक है कि उससे शहर में एक बार फिर जातिवाद का जहर फैलने की खतरा उत्पन्न हो गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने भी इसे गंभीरता से लिया और जगह-जगह चिपकाए गए परचे को हटवाया है।
सिंधी-गैरसिंधीवाद में उलझी अजमेर की राजनीति के चलते किसी शरारती तत्व की ओर से जारी किए गए इस परचे में सिंधी समुदाय को निशाना बनाते हुए डॉ. बाहेती को जिताने की अपील की गई है। परचे का मामला कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर में कुछ प्रमुख स्थानों पर चिपकाए गए इस परचे की फोटो खींच कर कुछ लोगों ने इसे वाट्स एप पर चला दिया, जिस पर बेहूदा और आपत्तिजनक टिप्पणिया शुरू हो गईं। जाहिर तौर पर इससे पूरे सिंधी समुदाय में रोष व्याप्त हो गया। साथ ही डॉ. बाहेती भी भौंचक्के रह गए। यह रोष चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता है, इसको भांपते हुए डॉ. बाहेती ने तुरंत कांग्रेस से जुड़े कुछ नेताओं को बुलवा लिया और बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भड़काऊ परचे की निंदा की। एक तीर से दो शिकार वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए डॉ. बाहेती ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए यह भी प्रदर्शित करने की कोशिश भी की कि सिंधी समुदाय उनके साथ है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इसका कितना असर पड़ पाएगा।
बेशक कॉन्फ्रेंस में कुछ सिंधी नेताओं को साथ रखने से मामला कुछ डाइल्यूट हुआ है, मगर परचे की वजह से सिंधी समुदाय में किस कदर गुस्सा है, जिसका अनुमान लगाना मुश्किल है। यह परचा एक ओर जहां सिंधी समुदाय को उद्वेलित किए हुए है, वहीं वैश्य समुदाय में भी प्रतिक्रिया होने की आशंका है। सबसे बड़ी बात ये है कि इससे जहां डॉ. बाहेती की पेशानी पर परेशानी की लकीरें उभर आई हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी प्रो. वासुदेव देवनानी को भी डर सता रहा होगा कि कहीं एक बार फिर सिंधी-वैश्य का विवाद न उठ खड़ा हो जाए। ज्ञातव्य है कि पिछले चुनाव में यह विवाद काफी मुखर था, मगर इस बार दोनो ही समुदायों ने संयम बरत रखा है। मगर इस परचे के जरिए ठंडी हुई आग को फिर से सुलगाने की कुटिल चाल चली गई है। संयोग से पिछली बार की तरह इस बार भी डॉ. बाहेती व देवनानी आमने-सामने हैं, इस कारण प्रशासन को और अधिक सतर्क होना पड़ेगा। एक खतरा ये भी है कि कहीं विवाद अजमेर दक्षिण तक न पहुंच जाए, जहां बड़ी तादात में सिंधी मतदाता हैं।
परचा जारी करने की करतूत किसकी है, ये तो पुलिस जांच में ही सामने आ पाएगा, मगर डॉ. बाहेती ने अपनी ओर एहतियात बरतते हुए कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि शहर में कई जगह उनके नाम से भ्रामक पोस्टर चिपकाए गए हैं। उससे उनकी छवि और उनके चुनावी माहौल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने शक जताया कि विरोधी प्रत्याशी के कार्यकर्ताओं की यह साजिश है। बाहेती ने कहा है कि यह कांग्रेस पार्टी व उनके खिलाफ साजिश है। पर्चे के माध्यम से जातीय विद्वेष फैलाने का प्रयास किया गया है, जो निंदनीय है।

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