मंगलवार, 14 जनवरी 2014

टंडन के रुख को लेकर आशंकित थे कांग्रेसी

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हार के पश्चात कुछ दिन की चुप्पी के बाद जैसे ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एडवोकेट राजेश टंडन ने निष्ठावान कांग्रेसियों का जलसा आहूत किया तो हर कांग्रेसी के दिमाग में यही बात थी कि वे न जाने क्या नया शगूफा छोडऩे वाले हैं। जाहिर सी बात है कि जब मूल संगठन शहर कांग्रेस कमेटी मौजूद है तो कांग्रेस के भविष्य पर विचार करने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों से आहूत नए मंच की जरूरत क्या है? इस प्रकार की हरकत से शहर कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल उठते थे कि वह क्या नकारा हो गई है? कहने की जरूरत नहीं है कि मुख्य धारा से अलग हट कर चल रहे कांग्रेसियों ने पहले से आम कांग्रेसजन के नाम से एक समानांतर सा संगठन बना रखा है, तो एक और मंच का नाम आने पर चौंकना स्वाभाविक ही है। कांग्रेसी अभी यह सोच ही रहे थे कि जलसे में जाएं या नहीं, अचानक अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष घोषित हो गए। अब तो कांग्रेसियों के लिए और दिक्कत हो गई। पता नहीं टंडन साहब के जलसे में क्या हो और उन्हें सचिन विरोधी खेमे में न गिन लिया जाए, सो कई कांग्रेसी किनारा कर गए। एक सोच ये भी थी कि टंडन साहब ने यह नई दुकान क्यों सजाई है? जितने मुंह उतनी बातें। कुछ कह रहे थे कि इस बहाने वे अपनी ताकत दिखा कर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद की दावेदारी करना चाहते हैं तो कुछ की सोच थी कि प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी में एडजस्ट होना चाहते हैं। बहरहाल फिर भी व्यक्तिगत संबंधों के नाते कांग्रेसी गए, मगर डर डर कर। उन्होंने वहां जा कर तब राहत की सांस ली, जब खुद टंडन ने ही कहा कि कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में पूरी ताकत और शक्ति के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। पायलट का गुणगान करते हुए उन्होंने कहा कि ऊर्जावान युवक को प्रदेश की कमान सौंपने के कारण लोकसभा चुनाव के परिणाम भी कांग्रेस के पक्ष में रहेंगे। कुल मिला कर टंडन साहब के इस जलसे को लेकर जो आशंकाएं थीं वे निर्मूल रहीं। अब कांग्रेसी इस बात पर भेजापक्की कर रहे हैं कि कहीं टंडन साहब की सोच कुछ और तो नहीं थी, जो कि पायलट के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बदल गई।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें