रविवार, 5 जनवरी 2014

लो रावत समाज ने तो कर दिया दावा

लोकसभा चुनाव की तारीखें अभी घोषित भी नहीं हुई हैं कि टिकट की दावेदारी खुल कर सामने आने लगी है। रावत महासभा राजस्थान ने जिले में पुष्कर व ब्यावर दो विधानसभा सीटें जीतने से उत्साहित हो कर अब अजमेर संसदीय क्षेत्र से समाज के योग्य व्यक्ति को टिकट देने की मांग कर दी है। प्रदेशाध्यक्ष ज्ञान सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई महासभा की बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष सेवा सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष मोहन सिंह रावत, उपाध्यक्ष लाल सिंह रावत व शंभू सिंह ने कहा कि अजमेर रावत बाहुल्य क्षेत्र है। अत: यहां से समाज के व्यक्ति को ही टिकट दिया जाना चाहिए। हालांकि महासभा ने अपनी ओर से किसी का नाम नहीं सुझाया है, मगर समझा जाता है कि भाजपा की ओर झुकाव वाले रावत समाज की ओर से अजमेर के ही पूर्व सांसद व मौजूदा शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत पूरी ताकत से दावेदारी करेंगे। वे इस आशय की मंशा जाहिर भी कर चुके हैं। उन्होंने यूं तो पुष्कर विधानसभा सीट के लिए भी दावेदारी की थी, मगर संभव है लोकसभा चुनाव में कंसीडर किए जाने के आश्वासन पर वे तब चुप हो गए थे। अब चुप रहने वाले नहीं हैं। ज्ञातव्य है कि वे अजमेर से छह बार चुनाव लड़े और पांच बार जीते। उनकी जीत का आधार मूल रूप से रावत वोट हुआ करते थे। पिछली बार इस कारण टिकट काट दिया गया क्योंकि रावत बहुल ब्यावर-मगरा इलाका परिसीमन में अजमेर संसदीय क्षेत्र से कट गया। मगर चूंकि बाहर से लाई गई किरण माहेश्वरी के हार जाने के कारण मैदान खाली है, इस कारण वे फिर दावेदारी करेंगे। हालांकि उन्हें पिछली बार राजसमंद से टिकट दिया गया, मगर हार गए, तब यही कहा था कि अगर अजमेर से ही टिकट दिया जाता तो वे जीत कर दिखा देते।
यूं परिसीमन के बाद भी रावतों के वोट इतने भी कम नहीं हो गए हैं कि दावा किया ही न जा सके। यह रावतों का ही दबाव था कि भाजपा को ब्यावर के साथ पुष्कर से भी रावत को ही टिकट देना पड़ा। ज्ञातव्य है कि पिछले विधानसभा चुनाव में पुष्कर से रावत को टिकट न दिए जाने के कारण रावतों ने भाजपा की पुष्कर सहित तीन सीटें खराब कर दी थीं। इसी दबाव में इस बार भाजपा को टिकट देना पड़ा। अब लोकसभा चुनाव में रावत फिर दबाव बना रहे हैं। मगरा विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मदनसिंह रावत भी दावा कर सकते हैं, मगर उनका नकारात्मक पहलु ये है कि वे लगातार तीन बार नसीराबाद विधानसभा सीट से हार चुके हैं।
जातीय समीकरणों के लिहाज से जाटों की ओर से आपीएससी के पूर्व चेयरमैन सी. आर. चौधरी, अजमेर में कलेक्टर रह चुके महावीर सिंह और पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना के ससुर सी. बी. गैना दावा कर सकते हैं। एक और जाट सज्जन भी बताए जा रहे हैं, जिन्होंने वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के दौरान अहम भूमिका निभाई बताई।
राजपूतों की ओर से युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा दावा ठोक सकते हैं। उनकी धर्मपत्नी सफल जिला प्रमख रही हैं और हाल ही मूसदा में कॉम्प्लीकेटेड विधानसभा चुनाव भी जीती हैं, इस कारण पलाड़ा उत्साहित हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक बड़ा जलसा करके अपनी दावेदारी जता भी दी थी। वैसे अजमेर नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व केकड़ी प्रधान रिंकू कंवर आदि के भी दावा ठोकने के आसार हैं।
वैश्य वर्ग से पूर्व नगर सुधार न्यास सदर धर्मेश जैन, पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा व शहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा दावा कर सकते हैं। राजसमंद से भाजपा विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी भी वापस मैदान में आ सकती हैं। कदाचित उनकी रुचि प्रदेश की बजाय केन्द्र की राजनीति करने में हो। वे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
दावेदारों में एक नाम मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पुत्रवधू व झालावाड़ के भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह की धर्म पत्नी श्रीमती निहारिका राजे का भी है। इसके पीछे एक तर्क ये भी है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र में तकरीबन डेढ़ लाख गुर्जर मतदाता हैं और श्रीमती निहारिका भी गुर्जर समाज की बेटी हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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