मंगलवार, 18 मार्च 2014

अब भी टांग ऊंची किए हुए हैं राजेश टंडन

अजमेर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश टंडन ने दावा किया था कि अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट, जो कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, इस बार अजमेर से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि उनका दावा कभी बेबुनियाद नहीं होता। दावे को पुष्ट करने के लिए उन्होंने ये भी बताया कि इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि भवानी सिंह देथा अजमेर के जिला कलेक्टर होंगे और वैसा ही हुआ। फेसबुक के जरिए किए गए उनके इस दावे को सच इसलिए माना जा रहा था कि एक तो सचिन विरोधियों ने यह अफवाह फैला रखी थी कि अजमेर संसदीय क्षेत्र की सभी आठों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा हो चुका है, सो सचिन की हिम्मत नहीं हो रही, दूसरा मीडिया में कभी लाल चंद कटारिया का तो कभी अजहरुद्दीन का नाम उछल रहा था। और सबसे बड़ा आधार ये था कि चूंकि सचिन पर प्रदेश कांग्रेस का भार है, इस कारण संभव है वे खुद चुनाव न लड़ें। मगर नामांकन दाखिल होने की प्रक्रिया शुरू होने से एक दिन पहले साफ हो गया कि सचिन अजमेर से ही चुनाव लड़ेंगे। और इसी के साथ टंडन के दावे की हवा निकल गई।
टंडन अजमेर के राजनीतिक पंडित माने जाते हैं। ऐसे में भला वे हार कैसे मान लेते, सो उन्होंने सचिन का नाम घोषित होते ही फेसबुक पर यह पोस्ट डाली कि सचिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति का शिकार हुए हैं। वे अजमेर से चुनाव नहीं लडऩा चाहते थे और उनका नाम टोंक-सवाईमाधोपुर के लिए फाइनल हो चुका था, मगर गहलोत ने उनका नाम कटवा दिया। ऐसे में सचिन को नहीं चाहते हुए भी अजमेर से चुनाव लडऩा पड़ेगा। ऐसा तर्क देने के पीछे उनका मकसद ये था कि उनका दावा तो सच था, मगर गहलोत की वजह से गलत साबित हो गया। यानि कि चित होने के बाद भी उनकी टांग ऊंची रहनी चाहिए।
उनका दावा था कि गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत को टोंक-सवाईमाधोपुर से टिकट दिलवाने के लिए सचिन का वहां से टिकट कटवाया, मगर उनका ये दावा भी गलत हो गया क्योंकि वहां से क्रिकेटर अजहरुद्दीन को टिकट दिया गया है।

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