शनिवार, 5 अप्रैल 2014

मार्जिन बरकरार रखने की प्रतिस्पद्र्धा रहेगी देवनानी व अनिता में

कथित मोदी लहर के चलते अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार राज्य के जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट जीतेंगे या नहीं, यह तो बाद में पता लगेगा, मगर अजमेर शहर की दो विधानसभा सीटों अजमेर उत्तर व अजमेर दक्षिण के भाजपा विधायक क्रमश: प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल के बीच इस बात की जरूर प्रतिस्पद्र्धा देखने को मिल रही है कि उन्हें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मिली बढ़त बरकरार रखा जाए। कहने की जरूरत नहीं है कि ये दोनों विधायक लगातार तीन बार जीते हुए हैं और राज्य मंत्रीमंडल में स्थान पाने को आतुर हैं। स्वाभाविक है कि मंत्री बनने के लिए अन्य पैरामीटर तो काम करेंगे ही, उनके अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा की परफोरमेंस भी काउंट की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि हाल ही संपन्न विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर में भाजपा के देवनानी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को 20 हजार 479 मतों से हराया। देवनानी को 68 हजार 461 मत मिले, जबकि डॉ. बाहेती को 47 हजार 982 मत। उधर अजमेर दक्षिण में भाजपा की श्रीमती अनिता भदेल ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के हेमन्त भाटी को 23 हजार 158 मतों से हराया। अनिता भदेल को 70 हजार 509 मत मिले, जबकि हेमन्त भाटी को 47 हजार 351 मत। यानि की श्रीमती भदेल का मार्जिन देवनानी से तकरीबन तीन हजार अधिक है।
भजपाई मानते हैं कि कथित मोदी लहर अब भी मौजूद है, मगर राजनीति के जानकार मानते हैं कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में प्रभावित करने वाले कारक भिन्न-भिन्न होते हैं, इस कारण यह जरूरी नहीं कि भाजपा की बढ़त इतनी ही कायम रह जाए। उदाहरण के बतौर पिछली बार के विधानसभा चुनाव और बाद में हुए लोकसभा चुनाव को सामने रख कर देखते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर में भाजपा के देवनानी ने कांग्रेस डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को 688 मतों से पराजित किया। देवनानी को 41 हजार 9 सौ 7 व बाहेती को 41 हजार 219 मत मिले। चंद माह बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में यह अंतर बदल गया। सचिन पायलट को 39 हजार 241 और किरण माहेश्वरी को 42 हजार 189 मत मिले। यानि कि भाजपा की बढ़त 2 हजार 948 हो गई। इसी प्रकार अजमेर दक्षिण में भाजपा की श्रीमती अनिता भदेल ने कांग्रेस के डॉ. राजकुमार जयपाल को 19 हजार 306 मतों से पराजित किया। अनिता को 44 हजार 9्र2 व जयपाल को 25 हजार 596 मत मिले। चंद माह बाद ही लोकसभा चुनाव में सचिन को 39 हजार 656 व किरण माहेश्वरी को 37 हजार 499 मत मिले। यानि कि भाजपा भाजपा की 19 हजार 306 मतों की बढ़त तो सिमटी ही, उलटा 2 हजार 157 मतों से मात खानी पड़ी।
इस सिलसिले में एक अहम पहलु पर गौर करें। हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में सिंधी-गैर सिंधीवाद चरम पर था क्योंकि कांग्रेस ने अजमेर उत्तर में सिंधी को टिकट नहीं दिया। इस वजह से दोनों सीटों पर अधिसंख्य सिंधी मतदाता भाजपा की झोली में गिर गया। आसन्न लोकसभा चुनाव में यह वाद कितना असर करेगा कुछ नहीं कह सकते, मगर कांग्रेसी सचिन के पक्ष में एक तर्क ये देते हैं कि उन्होंने तो किसी सिंधी को टिकट दिलवाने की भरपूर कोशिश की, इस कारण सिंधियों की नाराजगी कुछ कम हो सकती है। दूसरी ओर भाजपाई कहते हैं कि सिंधियों की नाराजगी कम होने का सवाल ही नहीं  उठता। एक फैक्टर काम कर सकता है। वो यह कि अजमेर दक्षिण में अनुसूचित जाति के जिन नेताओं व पार्षदों ने कांग्रेस के हेमंत भाटी को स्थापित न होने देने के लिए भीतरघात की या सक्रियता नहीं दिखाई, अब वे सीधे सचिन से टकराव मोल नहीं लेना चाहेंगे। इसकी वजह ये है कि सचिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। वे स्वयं ही निष्क्रिय नेताओं को सबक सिखाने की स्थिति में है। इसके अतिरिक्त जिन पार्षदों को दुबारा टिकट चाहिये या जो नए दावेदार बनने जा रहे हैं, वे पूरी मेहनत करेंगे।
बहरहाल, अब देखना ये होगा कि इन हालात में दोनों भाजपा विधायक मार्जिन बरबरार रखने के लिए क्या करते हैं।
-तेजवानी गिरधर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें