शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

प्रो. जाट के समधी हैं कांग्रेस से निकाले गए चौधरी

केकड़ी ब्लॉक के पूर्व अध्यक्ष मदनगोपाल चौधरी को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किए जाने के साथ ही यकायक उनके भाजपा प्रत्याशी प्रो. सांवरलाल जाट के समधी बनने की घटना जेहन में उभर आई। तब इस संबंध की चर्चा अखबारों में सुर्खियां पा गई थी। अजमेरनामा में भी खबर भारती न्यूज चैनल के अजमेर ब्यूरो प्रमुख सुरेन्द्र जोशी ने भी इस बाबत लिखा था।
पेश है हूबहू वह रिपोर्ट:-
सियासत में रिश्तों की काफी अहमियत होती है। और यही रिश्ते जब दो परस्पर विरोधी विचारधाराओं से जुड़ी राजनीतिक पार्टियों के रसूखदार लागों के बीच कायम हों तो न केवल सियासत में हलचल ही मचती है, वरन सियासी हलको में जोड़-बाकी का हिसाब भी लगना शुरू हो जाता है। बुधवार को शहर में दो अलग-अलग धुरियों पर घूमने वाले राजनीति के धुरन्धर जब रिश्तों के बंधन में बंधे तो इलाके के सियासतदानों की धड़कनें तेज हो गईं। मौका था प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता एवं भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. सांवर लाल जाट और इलाके के रसूखदार कांग्रेसी नेता मदन गोपाल चौधरी के बीच परस्पर कायम हुए रिश्ते का। दरअसल प्रोफेसर जाट ने अपनी डाक्टर पुत्री सुमन का रिश्ता मदनगोपाल चौधरी के पुत्र गोविन्द के साथ तय किया है और इसी रिश्ते की पहली रस्म अदा करने के लिये जब वे अपने दोनों भाईयों व अपने रिश्तेदारों के साथ यहां पहुंचे तो इलाके के विधायक डॉ. रघु शर्मा सहित भाजपा व कांग्रेस के सभी स्थानीय नेतागण दलगत राजनीति का भेद भुला कर कार्यक्रम में शरीक हुए। हांलाकि सामाजिक परिवेश में यही वे मौके होते हैं, जिसमे न तो कोई बीजेपी का होता है और न ही कांग्रेस का। न कोई छोटा होता है और न ही कोई बड़ा। मगर बात जब सियासत की हो तो हलचल मचना लाजिमी ही है क्यों कि भले ही प्रो. जाट ने मदन गोपाल चौधरी के साथ बेटी व्यवहार करके अपने रिश्तों की डोर बांध ली हो, मगर बात जब राजनीति की होगी राजनीतिक विचारधारा अपनी परम्परागत धारा में ही बहती नजर आयेगी। हांलाकि ये सब सामाजिक रिश्ते का एक व्यावहारिक पहलू भी है, मगर सियासी हलकों में इसकी फलावट ने सियासतदानों की बैचेनी बढ़ा दी है और वे अपने अपने हिसाब से जोड़-बाकी गुणा-भाग में लग गये हैं। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि दो बड़े रसूखदार राजनीतिज्ञों के बीच बंधी रिश्तों की यह डोर भविष्य में किसके लिये फायदेमंद साबित होगी।
जोशी का यह न्यूज आइटम आज यकायक प्रासंगिक हो गया है। प्रो. जाट चुनाव मैदान में हैं और चौधरी कांग्रेस से निष्कासित किए गए हैं। समझा जा सकता है कि दो बड़े रसूखदार राजनीतिज्ञों के बीच बंधी रिश्तों की यह डोर आज प्रो. जाट के लिए फायदेमंद हो गई है। इसी से जुड़ा रोचक तथ्य ये भी है कि पुराने कांग्रेसी दिग्गज अजमेर डेयरी के सदर रामचंद्र चौधरी प्रो. जाट के समर्थन में खड़े हैं और मदन गोपाल चौधरी उनके खासमखास हैं।

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