सोमवार, 5 मई 2014

अनेक समाचार पत्रों के जनक नारायण दास सिंधी नहीं रहे

अजमेर ने एक ऐसे वरिष्ठ पत्रकार को खो दिया है, जिन्हें यदि अनेक समाचार पत्रों का जनक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनका दूसरा परिचय है ऐसे शख्स के रूप में, जिन्होंने लोकसभा व विधानसभा के अनेक चुनाव निर्दलीय रूप से लड़े, महज शौक की खातिर। शायद उनकी इच्छा थी कि सर्वाधिक चुनाव लड़ कर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाएं। अनेक चुनाव लडऩे के लिए उनका नाम स्वर्गीय श्री कन्हैया लाल आजाद के बाद लिया जाता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी वे निर्दलीय प्रत्याशी थे। आप समझ गए होंगे कि हम श्री नारायण दास सिंधी का जिक्र कर रहे हैं।
शक्ल-सूरत, रहन-सहन और चाल-ढ़ाल से आम आदमी होने का अहसास कराने वाले इस शख्स ने पत्रकारों का अखिल भारतीय संगठन गठित कर उसका संचालन किया होगा, इस पर सहज ही विश्वास नहीं होता। वे ऑल इंडिया स्माल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष थे और अजमेर सहित देश के अनेक स्थानों पर उन्होंने पत्रकारों के सम्मेलन आयोजित किए। अनेक स्मारिकाएं प्रकाशित कीं। मैं उन्हें मजाक में पत्रकारों का भीष्म पितामह कहा करता था। वस्तुत: उन्होंने अनेक लोगों को समाचार पत्र शुरू करने की प्रेरणा दी। प्रेरणा ही नहीं दी, शुरू भी करवाया और उनके मुद्रण से लेकर सारी सार-संभाल तक की। कई समाचार पत्रों को विज्ञापनों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से मान्यता दिलवाई। वे न केवल स्वयं एक अखबार जंयती जनता पाक्षिक के संपादक थे, अपितु पत्नी श्रीमती विमला देवी को डायरेक्टर पाक्षिक अखबार शुरू करवाया। पुत्रियों को भी समाचार पत्र आरंभ करवाए। उन्हें समाचार पत्रों के प्रकाशन संबंधी सभी ताजातरीन तकनीकी जानकारियां थीं, इस कारण जिस भी संपादक-प्रकाशक को कुछ पूछना होता था तो उन्हीं के पास जाया करते थे। वे सदैव सहयोग करने को तत्पर रहते थे। आरएनआई, डीएवीपी व डीआईपीआर से संबंधित सभी जानकारियां व फार्म उनके कंप्यूटर में मौजूद रहते थे। प्रसंगवश बता दें कि इस मामले में दूसरा नाम समाचार सम्राट पाक्षिक के संपादक श्री रमेश शर्मा का लिया जाता है।
जहां तक मेरी जानकारी है, श्री सिंधी का पूरा जीवन संघर्ष में बीता। आरंभ में गांधीधाम में बंदरगाह पर काम किया। कुछ समय उन्होंने माउंट आबू में ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में ब्रह्माकुमार के रूप में बिताया। उन्हें डाक टिकट और उपन्यास संग्रहित करने का भी शौक था। अजमेर में फिलेटेली सोसायटी आरंभ करवाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे सिंधी समाज समारोह समिति के अध्यक्ष भी रहे। जीवन के आखिरी दिनों में भी वे सक्रिय रहे। हाल ही दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक श्री रमेश अग्रवाल के पुत्र की शादी में भी उन्हें देखा गया। ऐसी विलक्षण शख्सियत को अजमेरनामा की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
-तेजवानी गिरधर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें