मंगलवार, 6 मई 2014

चंद खादिमों की हरकतें बनेंगी सारे खादिमों पर सख्ती का सबब

महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में बम ब्लास्ट की घटना के बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का दावा खादिमों के झगड़े में चले हथियारों ने खारिज कर दिया है। दरगाह परिसर में खुले आम तलवारें, चाकू और अन्य हथियारों से हमले की घटना ने मेटल डिटेक्टर और लगेज स्कैनर की व्यवस्था पर तो सवाल खड़ा किया ही है, इससे खादिमों को भी सुरक्षा जांच के दायरे में लाने व उनके लिए परिचय पत्र जारी करने की जरूरत पर गंभीर विचार को बल दिया है। ज्ञातव्य है कि जब भी खादिमों और उनके हुजरों की जांच का सवाल आता है, वे एकजुट हो जाते हैं और उसी का नतीजा है कि सरकार इस दिशा में केवल विचार मात्र ही कर पाई है। घटना के बाद पुलिस अधीक्षक महेंद्र सिंह चौधरी चौधरी का यह बयान कि खादिम सुरक्षा जांच के दायरे में नहीं हैं, यह बताने के लिए काफी है कि  सरकार व प्रशासन खादिमों के सामने कितने बौने हैं। चौधरी की यह स्वीकारोक्ति कि खादिमों के हुजरे, परिसर में स्थित दुकानें और इनके अन्य सामान की जांच कार्रवाई नहीं होती, यह प्रमाणित करता है कि पुलिस प्रशासन कितना मजबूर है। यानि कि अगर पुलिस को यह पता भी लग जाए कि किसी हुजरे में हथियार रखे हैं तो भी वह मूकदर्शक रहने को विवश है। खादिमों के दो गुटों के झगड़े में तलवारें और अन्य हथियार भी शायद सुरक्षा में इसी कमी के चलते उपयोग हो सके हैं। बेशक खादिम चूंकि दरगाह का अहम हिस्सा हैं, इस कारण उन पर संदेह करना ठीक नहीं प्रतीत होता, मगर इस प्रकार की वारदात सरकार को मजबूर कर सकती है कि वह अब इन पर भी सख्ती बरते। इस आशय के संकेत चौधरी ने यह कह कर दिए कि घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए वे मुख्यालय को इस बारे में रिपोर्ट देंगे, जिसमें दरगाह परिसर में खादिमों और उनका सामान चैक करने का सुझाव भी देंगे।
आपको याद होगा कि बम ब्लास्ट की घटना के बाद दरगाह में विशेष सुरक्षा इंतजाम के तहत भीतर और बाहर आने-जाने वाले सामान को चैक करने के लिए आधुनिक लगेज स्कैनर मशीनें लगाई गई थीं। हालांकि खादिमों ने विरोध किया, लेकिन यह मशीनें दरगाह के सोलह खंभा गेट और लंगर खाना गेट पर लगा दीं थी, मगर दरगाह परिसर में हथियारों से हमले की घटना ने साबित हो गया है कि ये मशीनें भी नाकाम हो गई हैं। ऐसे में स्पष्ट हो जाता है कि खादिमों को मिली छूट का कुछ खादिमों ने दुरुपयोग किया है, जिसका खामियाजा सारे खादिमों को उठाना पड़ सकता है। ताजा वारदात ने सुरक्षा व्यवस्था पर ही नहीं, अपितु दरगाह शरीफ की पवित्रता पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। यदि खुद खादिम ही करोड़ों लोगों की आस्था के केन्द्र दरगाह की गरिमा का ख्याल नहीं रखेंगे तो सरकार को सख्त होना ही चाहिए।

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