सोमवार, 2 जून 2014

इस बार जाट का नंबर आयेगा या नहीं?

जैसी की संभावना है, जून की दूसरे-तीसरे हफ्ते में केन्द्रीय मंत्रीमंडल का विस्तार होगा, एक बार फिर राज्य के जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट को इसमें शामिल किए जाने की आशा जाग उठी है। हालांकि ये पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि उनका नंबर आएगा या नहीं, मगर उनका हक तो पक्का बनता ही है, क्योंकि उन्हें राज्य के केबीनेट मंत्री पद को तिलांजलि दे कर लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया है। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को हराने का श्रेय भी हासिल किया है।
हालांकि उम्मीद तो यही की जा रही है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जाट को मंत्री बनाने की पैरवी करेंगी, नैतिकता का भी यही तकाजा है, मगर दूसरी ओर कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनकी प्राथमिकता अपने बेटे व झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह को मंत्री बनाने की रहेगी, जो कि लगातार तीसरी बार जीते हैं। दुष्यंत सिंह जाट कोटे को भी पूरा करते हैं। समझा जा सकता है कि अपने बेटे को ऊंचे ओहदे पर स्थापित करने का वसुंधरा के लिए यह स्वर्णिम मौका है। पांच साल बाद क्या होगा, कौन क्या कह सकता है? चाहे केन्द्र में, चाहे राज्य में। यदि इस बार राज्य मंत्री भी बनते हैं तो कम से कम उनका एक कद तो बनेगा, जिससे आगे की यात्रा बाद में की जा सकती है। एक अदद सांसद बने रहने पर तो केरियर के लिए अगली बार फिर से आरंभिक मशक्कत करनी होगी। वैसे दुष्यंत के मंत्री बनने पर संदेह इस कारण जाहिर किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वंशवाद के विरुद्ध अपना मन्तव्य जाहिर कर चुके हैं। मगर दूसरी ओर वसुंधरा का मिजाज जानने वाले यह मानते हैं कि वे अपनी जिद को पूरा करवाने में माहिर हैं। पिछली बार जिस प्रकार उन्होंने हाईकमान को झुकने को मजबूर किया, वह जगजाहिर है, मगर जिस प्रचंड बहुमत से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उनको झुकाना आसान नहीं होगा। संघ ही बीच में पड़ जाए तो बात अलग है।
दुष्यंत सिंह को छोड़ भी दें तो राज्य के अन्य भाजपा सांसदों में और भी कई दिग्गज हैं। वे भी अपनी-अपनी ताकत लगा रहे हैं। न केवल वसुंधरा के जरिए, अपितु केन्द्रीय नेताओं के माध्यम से भी। जहां तक राज्य से बनाए गए एक राज्य मंत्री निहाल चंद मेघवाल का सवाल है, उन्हें जिस तरह से मौका दिया गया है, उससे तो यह साफ लगता है कि वे कम से कम वसुंधरा की प्राथमिकता तो नहीं थे। सच तो ये है कि सूची में तो राजस्थान का नाम ही नहीं था, मेघवाल का नाम भी आखिर में जोड़ा गया।
बहरहाल, जैसे ही मंत्रीमंडल विस्तार की चर्चा शुरू हुई है, यह माना जा रहा है कि राजस्थान को कम से कम एक केबीनेट और एक राज्य मंत्री  मिलेगा ही। अब उसमें प्रो. जाट का नंबर आएगा या नहीं, शर्तिया तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। अगर प्रो. जाट को मौका नहीं मिलता है तो यह उनके साथ तो धोखा होगा ही, अजमेर की जनता भी ठगी जाएगी।
-तेजवानी गिरधर

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