भारतीय जनता युवा मोर्चा के शहर अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत को अपने ही संगठन के समानांतर नेताओं से फिर चुनौती मिलती नजर आ रही है। हाल ही जब भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू हुआ है तो उनके विरोधी खेमे के नेता फिर से सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने शहर के प्रमुख चौराहों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए हैं, जिनमें युवा मोर्चा की ओर से भाजपा की सदस्यता लेने की अपील की गई है। दिलचस्प बात ये है कि इसमें विरोधी नेता नितेश आत्रेय व अनिल नरवाल के फोटो तो हैं, मगर शहर अध्यक्ष शेखावत का नहीं। साफ है कि उनका फोटो जानबूझ कर नहीं लगाया गया है। हालांकि सदस्यता की अपील कोई भी भाजपा का कार्यकर्ता कर सकता है, उसमें किसी को कोई आपत्ति होनी भी नहीं चाहिए, मगर यदि अपील संगठन की ओर से की जा रही हो और उसमें अध्यक्ष का ही फोटो न हो तो मुद्दा विचारणीय बन जाता है। भले इस कृत्य को शेखावत को चुनौती न माना जाए, एक सामान्य अपील के रूप में ही देखा जाए, मगर यदि संगठन के कुछ नेताओं की ओर से अलग से अपील की जा रही हो तो कम से कम ये तो परिलक्षित होता ही है कि उन्होंने अपना कद अलग से जाहिर करने की कोशिश की है, जो कि शहर अध्यक्ष शेखावत के चुनौती का ही रूप मानी जाएगी। प्रसंगवश बता दें कि वर्तमान में सदस्यता अभियान के प्रभारी सुरेन्द्र सिंह शेखावत हैं, जिनका देवेन्द्र सिंह शेखावत पर वरदहस्त माना जाता है।
आपको याद होगा कि जब से शेखावत की नियुक्ति हुई है, आत्रेय व नरवाल का गुट अलग ही चल रहा है। भाजपा हाईकमान को जब लगा कि बगावत भारी पड़ जाएगी तो उसने नरवाल की भाजयुमो प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यता को बहाल कर दिया था। इस पर भी उन्होंने अपनी मौजूदगी अलग से दर्ज करवाई थी। उनके नेतृत्व में भाजयुमो शहर जिला के कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर दीपदान किया, जबकि उसमें शहर जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत सहित उनके गुट के कार्यकर्ता इस मौके पर मौजूद नहीं थे।
आपको ये भी याद होगा कि गुटबाजी के इस विवाद पर तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए यह साफ कर दिया था कि शहर अध्यक्ष पद पर देवेन्द्र सिंह शेखावत की नियुक्ति का संगठन फैसला ले चुका है, अत: उसे अब बदला नहीं जाएगा।
जरा और पीछे जाएं तो आपको ख्याल होगा कि शहर अध्यक्ष पद के कुल तीन दावेदारों नीतेश आत्रे, गौरव टाक व देवेन्द्र सिंह शेखावत के नाम का पैनल बना कर जयपुर भेजा गया था। इनमें से नीतेश आत्रे विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी खेमे के माने जाते हैं, जबकि विधायक अनिता भदेल ने गौरव टाक पर हाथ रख रखा था। विधायकों की खींचतान से बचने के लिए हाईकमान ने तीसरे नाम शेखावत पर मुहर लगा दी। हालांकि अनिता भदेल को पता लग गया था कि उनकी ओर से प्रस्तावित नाम तय नहीं हो रहा है, मगर उन्हें इस बात से संतुष्टि थी कि देवनानी की ओर से पेश किया गया नाम भी तय नहीं हो रहा है, इस कारण उन्होंने ऐन वक्त पर शेखावत के नाम पर सहमति जता दी। बहरहाल, जैसे ही शेखावत की नियुक्ति हुई तो मानो भूचाल आ गया। नीतेश आत्रे के नेतृत्व में पार्टी का अनुशासन सड़क पर तार-तार कर दिया गया। असंतुष्ट कार्यकर्ता अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह औंकारसिंह लखावत के घर पर प्रदर्शन करने पहुंच गए। प्रसंगवश बता दें कि देवनानी खेमे के भाजयुमो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज जैन ने भी शेखावत की नियुक्ति पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा था कि नियुक्ति के समय आम कार्यकर्ताओं की भावना का ध्यान नहीं रखा गया और नियुक्ति पर फिर से विचार होना चाहिए। उनके लिए यह बड़ा कष्टप्रद था कि वे अपने गुट के आत्रे को अध्यक्ष नहीं बनवा पाए।
खैर, कुल जमा बात ये समझ में आती है कि नए प्रदेश अध्यक्ष सी. पी. जोशी की ओर से नए शहर अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है, इस लिहाज से ताजा कृत्य को उन पर दबाव के रूप में देख जा सकता है।
-तेजवानी गिरधर
आपको याद होगा कि जब से शेखावत की नियुक्ति हुई है, आत्रेय व नरवाल का गुट अलग ही चल रहा है। भाजपा हाईकमान को जब लगा कि बगावत भारी पड़ जाएगी तो उसने नरवाल की भाजयुमो प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यता को बहाल कर दिया था। इस पर भी उन्होंने अपनी मौजूदगी अलग से दर्ज करवाई थी। उनके नेतृत्व में भाजयुमो शहर जिला के कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर दीपदान किया, जबकि उसमें शहर जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत सहित उनके गुट के कार्यकर्ता इस मौके पर मौजूद नहीं थे।
आपको ये भी याद होगा कि गुटबाजी के इस विवाद पर तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए यह साफ कर दिया था कि शहर अध्यक्ष पद पर देवेन्द्र सिंह शेखावत की नियुक्ति का संगठन फैसला ले चुका है, अत: उसे अब बदला नहीं जाएगा।
जरा और पीछे जाएं तो आपको ख्याल होगा कि शहर अध्यक्ष पद के कुल तीन दावेदारों नीतेश आत्रे, गौरव टाक व देवेन्द्र सिंह शेखावत के नाम का पैनल बना कर जयपुर भेजा गया था। इनमें से नीतेश आत्रे विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी खेमे के माने जाते हैं, जबकि विधायक अनिता भदेल ने गौरव टाक पर हाथ रख रखा था। विधायकों की खींचतान से बचने के लिए हाईकमान ने तीसरे नाम शेखावत पर मुहर लगा दी। हालांकि अनिता भदेल को पता लग गया था कि उनकी ओर से प्रस्तावित नाम तय नहीं हो रहा है, मगर उन्हें इस बात से संतुष्टि थी कि देवनानी की ओर से पेश किया गया नाम भी तय नहीं हो रहा है, इस कारण उन्होंने ऐन वक्त पर शेखावत के नाम पर सहमति जता दी। बहरहाल, जैसे ही शेखावत की नियुक्ति हुई तो मानो भूचाल आ गया। नीतेश आत्रे के नेतृत्व में पार्टी का अनुशासन सड़क पर तार-तार कर दिया गया। असंतुष्ट कार्यकर्ता अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह औंकारसिंह लखावत के घर पर प्रदर्शन करने पहुंच गए। प्रसंगवश बता दें कि देवनानी खेमे के भाजयुमो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज जैन ने भी शेखावत की नियुक्ति पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा था कि नियुक्ति के समय आम कार्यकर्ताओं की भावना का ध्यान नहीं रखा गया और नियुक्ति पर फिर से विचार होना चाहिए। उनके लिए यह बड़ा कष्टप्रद था कि वे अपने गुट के आत्रे को अध्यक्ष नहीं बनवा पाए।
खैर, कुल जमा बात ये समझ में आती है कि नए प्रदेश अध्यक्ष सी. पी. जोशी की ओर से नए शहर अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है, इस लिहाज से ताजा कृत्य को उन पर दबाव के रूप में देख जा सकता है।
-तेजवानी गिरधर
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