रविवार, 9 अगस्त 2015

कामना पेसवानी किसे नुकसान पहुंचाएंगी, पता नहीं..

वार्ड 21 में निर्दलीय प्रत्याशी कामना पेसवानी कांग्रेस या भाजपा को नुकसान पहुंचाएंगी, ये कहना बहुत मुश्किल है। असल में वे हैं तो कांग्रेसी, मगर टिकट नहीं मिलने के कारण चुनाव मैदान में हैं। उनकी पहचान एक  बिंदास सामाजिक कार्यकर्ता की है। इस सिंधी बहुल वार्ड में वे जाहिर तौर पर सिंधी वोटों में ही ज्यादा सेंध मार सकती हैं। लगता तो यही है कि वे अपने प्रभाव से जिन सिंधियों के वोट हासिल करेंगी, वे भाजपा के खाते से ही निकलेंगे, चूंकि सिंधी अमूमन भाजपा मानसिकता के हैं। यदि कांग्रेस पृष्ठभूमि की वजह से अन्य जातियों के कांग्रेसी वोट भी हासिल किए तो उसका नुकसान कांग्रेस की रश्मि हिंगोरानी को होगा। कदाचित वे रश्मि से नाराज मतदाताओं के भी वोट हासिल कर लें, क्योंकि रश्मिा मौजूदा पार्षद हैं और एंटी इंकंबेसी तो होती ही है। कुल मिला कर निर्दलीय कामना पेसवानी के बारे में आकलन करना कठिन है कि वे कितने वोट झटकेंगी। वजह ये कि निर्दलीय प्रत्याशी को आसानी से वोट नहीं मिलते। अगर मिलते भी हैं तो खुद के व्यवहार और बलबूते पर। यूं सामाजिक कार्यकर्ता के नाते जमीन पर पकड़ तो है, मगर वह वोटों में कितनी तब्दील होती है, कुछ कहा नहीं जा सकता। हां, इतना पक्का है कि उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी तो समीकरणों को तो प्रभावित कर ही सकती हैं।
रहा सवाल भाजपा के मोहन लालवानी का तो बताया जाता है कि उनकी छवि तो अच्छी है, मगर फील्ड पर उतनी पकड़ नहीं। चुनाव प्रचार में साधन कितने झौंक पाएंगे, इस पर भी असमंजस है। असल में यहां डॉ. धर्मू लौंगानी को टिकट की ऑफर थी, मगर उन्होंने अरुचि दिखाई, इस पर उनकी ही सलाह पर उनको टिकट दे दिया गया। अगर खुद डॉ. धर्मू लौंगानी मैदान में होते तो उनकी जीत पक्की थी, क्योंकि डाक्टर होने के नाते उनकी सेवाएं लोगों के जेहन में हैं। उनकी तुलना में मोहन लालवानी कमजोर हैं। यहां देखने वाली बात ये होगी कि शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी समर्थक उनका कितना साथ देते हैं। अगर साथ नहीं देते तो वे किसे तरजीह देंगे, रश्मि को या फिर कामना को, कुछ पता नहीं।
उधर पार्षद रश्मि हिंगोरानी की छवि अच्छी व सीधी सादी महिला की है, मगर उनकी निर्भरता सिंधियों की बजाय, अन्य जातियों के वोटों पर ज्यादा है। साधन संपन्नता की कोई कमी नहीं है। रिपोर्ट कार्ड भी अच्छा ही है। ज्ञातव्य है कि वे विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से टिकट की दावेदार थीं और इस चुनाव में खुद को मेयर पद के दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट कर रही हैं।
पार्टी के लिहाज से देखें तो यह वार्ड भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का है, क्योंकि उसे तकलीफ ये है कि भाजपा मानसिकता के सिंधियों के बाद भी इस इलाके से एक बार कांग्रेस जीत गई। इस कारण इस बार वह किसी भी सूरत में जीत दर्ज करवाना चाहती है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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