गुरुवार, 20 अगस्त 2015

अजमेर का मेयर कौन होगा?

अजमेर नगर निगम में हालांकि 60 में से 31 सीटों पर जीत से भाजपा का बोर्ड बनना तय है, मगर अब एक ही सवाल हर अजमेर वासी के जुबान पर है कि अजमेर का मेयर कौन होगा। जहां तक आंकडों का सवाल है शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी खेमे के दावेदार धर्मेन्द्र गहलोत ही भारी पड रहे हैं। इसकी वजह ये है कि अजमेर उत्तर में भाजपा को 28 में से 19 सीटें मिली हैं, जो कि देवनानी के खाते में गिनी जा रही हैं। दूसरी ओर महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल की पसंद सुरेन्द्र सिंह शेखावत कमजोर इस कारण पड गए क्योंकि दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के 32 वार्डों में से भाजपा को मात्र 12 वार्डों में ही जीत मिली है। अगर दक्षिण में सीटें ज्यादा आतीं तो अनिता षेखावत के लिए अड जातीं, मगर अब वह तो संभव नहीं, इस कारण गहलोत का विरोध इस आधार पर किया जा रहा है कि वे ओबीसी से हैं, जबकि मेयर की सीट सामान्य है। भाजपा के लिए खतरा ये है कि अगर उसने षेखावत को राजी किए बगैर गहलोत का नाम फाइनल कर दिया तो एक बडा खेल हो सकता है। वो ये कि दक्षिण के 12 भाजपा पार्षदों के अतिरिक्त कांग्रेस के सहयोग से षेखावत पर दाव खेल दिया जाए। अजमेर की कई ताकतें इस समीकरण पर माथापच्ची कर रही हैं। कदाचित कांग्रेस इस पर विचार कर भी ले क्योंकि उसका मेयर तो वैसे भी नहीं बन रहा और भाजपा में फूट पडती है तो उसका लाभ क्यों न उठा लिया जाए। वैसे गहलोत को आसानी से मेयर बनाने के लिए निर्दलीय रूप से चुने गए बागियों के अतिरिक्त कांग्रेसियों से भी संपर्क साधा जा रहा है।
भाजपा के बडे नेता पार्टी में फूट की आषंका से भलीभांति वाकिफ हैं, इस कारण सारा जोर एकराय बनाने पर लगाया जा रहा है।
पुष्कर स्थित पुष्कर बाघ पैलेस में हो रही मषक्कत का एक रास्ता ये भी निकाला जा सकता है कि दोनों प्रमुख दावेदारों में किसी एक को मेयर बनाया जाए तो दूसरे को अन्य बडा राजनीतिक लाभ वाला पद देने का वायदा किया जाए। एक रास्ता ये है कि दोनों को ही दरकिनार कर जे.के. शर्मा, ज्ञान सारस्वत, भागीरथ जोशी, नीरज जैन आदि में से किसी एक का नाम तय किया जाए।

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