रविवार, 11 अक्तूबर 2015

स्मार्ट सिटी अजमेर: आखिर हम कब तक सोते रहेंगे

एक साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी अमेरिका दौरे पर थे, तब राष्ट्रपति ओबामा बराक ओबामा के श्रीमुख से ऐलान करवाया गया कि अजमेर सहित भारत के तीन नगरों को स्मार्ट सिटी बनाने में अमेरिका मदद करेगा, तो अजमेर वासियों की बाछें खिल गई थीं। हर कोई यह सोच रहा था कि यकायक अजमेर का भाग्य कैसे जाग गया। जिस नगर का कभी कोई धणी धोरी नहीं रहा, उसे स्मार्ट सिटी के चुना गया तो स्वाभाविक रूप से सब खुष थे। भाजपा नेताओं ने तो इसको जम कर भुनाया कि मोदी जी ने अजमेर का कायाकल्प करवाने की पहल की है। जाने कितने समारोहों में अजमेर के मंत्रियों ने भाजपा राज के सुषासन की दुहाई दी। कदाचित उसी बहाने नगर निगम के चुनाव में वोट भी हासिल किए। और तो और संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने भी लगातार बैठकें कर ऐसा जताया कि जैसे अजमेर स्मार्ट सिटी बस होने ही जा रहा है। जयपुर व दिल्ली में भी बैठकें हुईं। अमेरिकी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तीर्थराज में गहन चर्चा की गई। यहां तक कि स्मार्ट सिटी के सपने को साकार करने में बौद्धिक मदद करने वाले चुनिंदा समाजसेवियों तक को सम्मानित तक कर दिया गया। बैठकों में चाय पानी पर लाखों रूपये खर्च किए गए। मगर सब ढाक के तीन पात निकले। यानि कि वह सब कोरी चोंचलेबाजी कि अतिरिक्त कुछ नहीं था।
आज हालत ये है कि अजमेर देष के उन एक सौ नगरों में है, जिनको स्मार्ट सिटी बनाया जाना है। उसमें भी हालत ये है कि यहां का इंफ्रास्टक्चर ही ऐसा नहीं है कि हम उन एक सौ में बीस अग्रणी नगरों में गिने जाएं। पहले संभागीय आयुक्त भटनागर ने नगर के बुद्धिजीवियों और सामाजिक संस्थाओं से सुझाव लिए और अब नगर निगम नए सिरे से सुझाव मांग रहा है। कैसी विडंबना है।
असल में हुआ ये लगता है कि ऐलान के बाद अजमेर के नेता वाहवाही तो लूट रहे थे, मगर स्मार्ट सिटी के नाते होना क्या है, इसकी किसी ने सुध नहीं ली। किसी ने इतनी जहमत नहीं उठाई कि इस मामले में केन्द्र सरकार से संपर्क बना कर रखा जाए। केन्द्रीय जलदाय राज्य मंत्री प्रो सांवरलाल जाट भी कहते ये रहे कि अजमेर जल्द ही स्मार्ट होने जा रहा है, कभी खुलासा नहीं किया कि इसके तहत आखिर होगा क्या। आज भी हालत ये है कि कोई भी आधिकारिक रूप से यह कहने की स्थिति में नहीं है कि स्मार्ट सिटी के तहत अजमेर में क्या बदलाव होंगे। नेता व प्रषासनिक अधिकारी यह कह कर पल्लू झाड रहे हैं कि अभी केन्द्र सरकार की ओर से गाइड लाइन नहीं आई है।
आज हालत ये है कि एक बार फिर हम जीरो पर खडे हैं। नगर निगम नए सिरे से स्मार्ट सिटी के लिए सुझाव मांग रहा है। यह कैसा मजाक है आम जनता के साथ। वस्तुत: यह सब हम नागरिकों सोये होने का परिणाम है। पहले स्लम फ्री सिटी की योजना आई, उस पर कुछ काम नहीं हुआ, मगर हम सोते रहे। सीवरेज योजना कछुआ चाल से चल रही है और अब तक उस पर अमल नहीं हो पा रहा और हम सो रहे हैं। एक बार दरगाह विकास के नाम पर एक बडी योजना बनी, उसे भी आसमान निगल गया और हम व हमारे प्रतिनिधि मुंह पर पट्टी बांधे बैठे रहे। इतना सब होने के बाद भी अगर हम सोते रहे तो भले ही एक दिन अजमेर स्मार्ट सिटी की सूची में गिन लिया जाएगा, मगर ऐसा स्मार्ट होगा, जैसा नहीं हुए बराबर।
तेजवानी गिरधर
7742067000, 8094767000

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