सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

स्मार्ट सिटी : कौन जवाबदेह है सब्जबाग के लिए?

अमेरिकी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के श्रीमुख से जब अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा हुई थी तो यहां के हर नागरिक तक खुशी की लहर दौड़ गई थी। एक ओर जहां कुछ भाजपा नेताओं ने इसका श्रेय लेने की कोशिश की तो वहीं अखबारों ने भी जश्न का माहौल बना दिया। हालांकि उस वक्त भी बुद्धिजीवियों का एक तबका ऐसा था, जो यह मानता था कि भले ही स्मार्ट सिटी के लिए खूब बजट आ जाए, मगर जैसा यहां के राजनेताओं और अफसरों का हाल है, कुछ खास बदलाव आने वाला नहीं है। तब उनकी राय को नकारात्मक दृष्टिकोण में शामिल किया जाता था। ऐसे बुद्धिजीवी तब चुप हो गए, जब संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने ताबड़तोड़ बैठकें लेना शुरू कर दिया। फेसबुक पेज बना। स्मार्ट सिटी के लिए सुझाव देने वाले पसंदीदा समाजसेवकों को सम्मानित तक किया गया। तब कहीं ये शक नहीं था कि स्मार्ट सिटी एक छलावा है।
इसके बाद जब केन्द्र सरकार ने एक सौ शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की और उसमें भी अजमेर का नाम था तो तनिक संदेह हुआ कि जब अमेरिका के सहयोग से अजमेर पहले ही स्मार्ट सिटी बनाया जाना तय हो चुका है तो उसे एक सौ शहरों में कैसे शामिल कर लिया गया। तब शंकाएं उठी थीं, मगर स्मार्ट सिटी के लिए हो रही कवायद में दब गईं। शक तब और पुख्ता हुआ, जब नगर निगम ने नए सिरे से स्मार्ट सिटी के लिए सुझाव मांगना शुरू किया। जाहिर तौर पर इस पर मीडिया चिल्लाया कि पहले जो सुझाव लिए थे, उनका क्या हुआ? बेवजह क्यों स्मार्ट सिटी संबंधी बैठकों पर लाखों रुपए बर्बाद किए गए? जब गाइड लाइन ही नहीं थी तो क्यों पानी को दही की तरह मथने की कवायद की गई? आखिरकार नगर निगम आयुक्त गुइटे साहब ने हाल ही साफ ही कर दिया है कि अजमेर अभी तो पहले बीस शहरों की सूची में शामिल होने की दौड़ में है। उनका ऐसा कहना था कि हर नागरिक को यह पक्का हो गया कि प्रधानमंत्री ने अमेरिकी दौरे के वक्त जो घोषणा की थी, वह छलावा मात्र थी। हालांकि अब भी अधिकृत रूप से कोई ये कहने का तैयार नहीं है कि आखिर उस घोषणा का क्या हुआ, इस कारण पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, मगर शहर की दो विधानसभा सीटों से विधायक बन कर राज्य मंत्री बने प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल की चुप्पी साफ संकेत दे रहे हैं कि दाल में काला ही नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। केन्द्र सरकार में जलदाय महकमे के राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट भी मौन हैं, जबकि वे भी कई बार अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने संबंधी बयान दे चुके हैं।
असल में उनकी जिम्मेदारी यहां का प्रतिनिधित्व करने के कारण तो है ही, इस कारण और अधिक है क्योंकि उन्होंने हाल ही हुए नगर निगम चुनाव के दौरान वोट बटोरने के लिए स्मार्ट सिटी के सपने को जम कर बेचा था। ऐसे में आज उनकी चुप्पी स्वाभाविक रूप से खलने वाली है। चंद दिन से मीडिया व सोशल मीडिया पर अजमेर को छले जाने के समाचार छाये हुए हैं, मगर दोनों मंत्रियों को एक बार भी इस जिम्मेदारी का अहसास नहीं हुआ कि वे कुछ तो स्पष्ट करें। यह बेहद अफसोसनाक है। कल आप इसी बिना पर वोट मांग रहे थे, लिए भी, और आज चुप्पी साधे बैठे हैं। सच जो भी हो, आम जनता को यह पूछने का हक है कि वे पहले हुई घोषणा का खुलासा करें कि वह कहां जा कर अटक गई अथवा निरस्त हो गई? या अभी निरस्त नहीं हुई है?
अफसोसनाक बात ये है कि नगर निगम में बराबर की टक्कर वाली विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस मामले में चुप्पी साध रखी है। उसे तो अब तक आसमान सिर पर उठा लेना चाहिए था। तभी तो इस शहर को टायर्ड और रिटायर्ड लोगों का शहर कहा जाता है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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