गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

क्या फिर अध्यक्ष बनने से सारस्वत खुश हैं?

अजमेर देहात जिला भाजपा अध्यक्ष पद पर तीसरी बार काबिज होने पर जाहिर तौर पर बी पी सारस्वत को बधाइयां मिल रही हैं, वे स्वीकार भी कर रहे हैं, मगर सवाल ये है कि क्या सारस्वत वाकई इससे खुश हैं? ये सवाल इसलिए मौजूं है क्योंकि सारस्वत ने पार्टी की बहुत और बेहतर सेवा की है और अब वे ईनाम के हकदार हैं, मगर फिर से उनको पार्टी की ही सेवा का मौका दिया गया है। ऐसे में यह सवाल भी बनता है कि क्या भाजपा के मौजूदा षासनकाल के बाकी बचे हुए तीन साल भी वे किसी सरकारी लाभ के पद से वंचित रहेंगे?
असल में वे आरंभ से राजनीति में एक जनप्रतिनिधि के तौर पर काम करना चाहते थे। कोई बीस साल पहले उन्होंने ब्यावर से विधानसभा चुनाव की टिकट चाही थी। पार्टी की सेवा करते रहे और हर चुनाव में ब्यावर से टिकट मांगी। पिछली बार अजमेर उत्तर से टिकट के मजबूत दावेदार रहे। माना जाता है कि अगर पार्टी किसी गैर सिंधी को टिकट देने का मानस बनाती तो उनका नाम टॉप पर होता। यहां बता दें कि एक फेसबुक सर्वे में उन्हें सर्वाधिक वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव में आए अच्छे परिणाम में भी उनकी भूमिका को सराहा गया। माना जाता है कि उन पर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे भी मेहरबान हैं, इस वजह से एडीए के चेयरमैन के रूप में उनकी दावेदारी सबसे प्रबल है। मगर एक बार फिर से संगठन की जिम्मेदारी लेने पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसा खुद उनको मंजूर है? क्या वे इससे खुश हैं? वैसे लगता तो नहीं कि वे इस पद से खुष होंगे। इसमें कोई दोराय नहीं कि जब से उन्होंने देहात जिला की काम संभाला है, पार्टी और मजबूत हुई है। उनकी देखरेख में सदस्यता अभियान भी षानदार सफलता हासिल कर चुका है। मगर यह एक सामान्य सी बात है कि हर कोई राजनीति में सेवा के बाद मेवा चाहता है। अब तीन साल बाकी रह गए हैं। क्या अब भी पार्टी उनकी और घिसाई करेगी या कभी ईनाम भी देने पर विचार करेगी?
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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