रविवार, 10 अप्रैल 2016

क्या स्वर्णकार भाजपा को छोड़ भाजपा में शामिल होंगे?

तुलसी सोनी
पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी दाहरसेन मंडल के कोषाध्यक्ष जयकिशन छतवानी सोनी के कांग्रेस में शामिल होने के विवादास्पद समाचार के बाद भले ही शहर भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया हो कि खबर पूरी तरह से निराधार थी, मगर सच ये है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा सोने के व्यापारियों व कारीगरों पर कसे गए शिकंजे की वजह से अनेक सर्राफा व्यवसायी व स्वर्णकार बहुत गुस्से में हैं। भाजपा से जुड़े कई कार्यकर्ता पार्टी छोडऩे की सोचने को मजबूर हैं।
वस्तुत: अजमेर के अधिकतर सिंधी स्वर्णकार आरंभ से आरएसएस व भाजपा से जुड़े हुए हैं। विशेष रूप से चुनाव के दौरान इनकी मजबूत टीम भाजपा के लिए पूरे जोश खरोश के साथ काम करती है। मगर हाल ही केन्द्र की भाजपा सरकार ने जैसे ही कड़ा कदम उठाया है, उनमें गुस्सा है। पहले तो उम्मीद थी कि सरकार उनकी मांग मान लेगी, इस कारण हड़ताल में जोश के साथ भाग लिया, मगर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के सख्त रवैये के चलते अब धीरे-धीरे आस टूटने सी लगी है। इस बीच हड़ताल को एक माह से भी ज्यादा समय हो जाने के कारण कई स्वर्णकार आर्थिक संकट में आने लगे हैं। बेशक उनकी आस्था भाजपा में रही है और अब भी है, मगर जब केन्द्र ने उनके पेट पर लात मारी है तो आखिर कितने दिन तक उस आस्था को बरकरार रख पाते हैं, ये देखने वाली बात है। जानकारी के अनुसार अब तंग आ कर कई स्वर्णकार भाजपा को छोडऩे का विचार करने को मजबूर हैं, मगर भाजपा के वरिष्ठ नेता तुलसी सोनी ने उन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। गुस्सा तुलसी सोनी को भी कम नहीं है, जिसका इजहार उनके भाषणों में होता है। दरगाह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चादर चढ़ाने आए केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के सामने भी आग बबूला हो गए, जिसकी वीडियो क्लिपिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई। मगर चूंकि आरएसएस के सच्चे स्वयंसेवक और भाजपा के जिम्मेदार नेता हैं, इस कारण एकाएक विद्रोह करने की स्थिति में नहीं हैं। एक ओर समाज में व्याप्त गुस्सा तो दूसरी ओर भाजपा के प्रति प्रतिबद्धता, बेहद मुश्किल है संतुलन बना पाना। बेशक उनके लिए भाजपा छोडऩा कठिन है, कांग्रेस में शामिल होना और भी कठिन, मगर कई स्वर्णकारों का भाजपा से मोहभंग होने को है। संभव है, जैसे जयकिशन छतवानी सोनी के मामले की तरह भाजपा अपनी लाज बचाने की खातिर इस खबर का भी खंडन करे, मगर सच ये है कि स्वर्णकारों में भाजपा के प्रति बहुत अधिक रोष है। अब देखने वाली बात ये है कि ये हड़ताल आखिर कितनी लंबी चलती है, केन्द्र सरकार क्या कदम उठाती है और मांग पूरी न होने पर वे क्या रुख इख्तियार करते हैं। देखते हैं कि आखिर कितने दिन तक तुलसी सोनी उन्हें पार्टी से विमुख होने से रोक पाते हैं।
-तेजवानी गिरधर
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