बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

एसपी को हटाने की मांग सार्वजनिक रूप से क्यों करनी पड़ी सांखला को?

अजमेर नगर निगम के उपमहापौर सम्पत सांखला ने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे को पत्र लिखकर मांग की है कि चूंकि अजमेर शहर में कानून व्यवस्था कायम करने में वर्तमान पुलिस अधीक्षक पूरी तरह से फेल हैं, अत: किसी योग्य एवं ईमानदार पुलिस अधीक्षक को लगाया जाए। जाहिर तौर पर सत्तारूढ़ दल के जिम्मेदार पदाधिकारी का इस प्रकार बाकायदा बयान जारी कर मांग करना चौंकाने वाला है। जहां सांखला को उनकी इस हिम्मत के लिए कुछ लोग दाद दे रहे हैं, वहीं सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आई कि उन्हें पार्टी मंच के जरिए अथवा सीधे सरकार से संपर्क करने की बजाय सार्वजनिक रूप से मांग करनी पड़ी?
यह सही है कि विकास कुमार के यहां एसपी होने के दौरान कानून व्यवस्था में सुधार आया था और अपराधियों में खौफ कायम हुआ था, जबकि मौजूदा एसपी नितिनदीप के कार्यकाल में चेन स्नेचिंग, चोरी, नकबजनी की वारदातें तो बढ़ी ही हैं, खुलेआम गोलियां भी चल रही हैं, ऐसे में कानून व्यवस्था पर सवाल उठना ही चाहिए था। संपत सांखला ने वाकई जनभावना का ख्याल रखते हुए वाजिब मांग उठाई है। इसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं। उनकी मंशा पर तो कोई सवाल ही नहीं, मगर सवाल ये उठता है कि अजमेर शहर से ही दो राज्य मंत्रियों व जिले से दो संसदीय सचिवों के अतिरिक्त एक प्राधिकरण अध्यक्ष व एक आयोग अध्यक्ष की सरकार में भागीदारी होते हुए यह मसला उन्हें अकेले सार्वजनिक रूप से क्यों उठाना पड़ा? क्या इसका ये अर्थ निकाला जाना चाहिए कि उनसे कई गुना अधिक जिम्मेदार राजनेताओं को मौजूदा एसपी से कोई शिकायत नहीं, जो वे चुप हैं और एसपी को नहीं हटवा रहे? ऐसे में चौंकाता ये नहीं कि सांखला ने सत्तारूढ़ दल का नेता होते हुए सार्वजनिक रूप से मांग कैसे कर दी, बल्कि चौंकाता ये है कि उनके बड़े नेता क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं? कहने की जरूरत नहीं कि शहर की बहबूदी की जिम्मेदारी बड़े नेताओं की ज्यादा है।
बहरहाल, अगर सांखला की इस मांग पर कार्यवाही होती है तो स्वाभाविक रूप से वे वाहवाही के पात्र होंगे। ये बात दीगर है कि एसपी की पदोन्नति डीआईजी के पद पर हो चुकने के बाद उनका तबादला जल्द होना तय है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें