शुक्रवार, 10 मार्च 2017

देवनानी को धमकी : व्यक्ति नहीं, विचार महत्वपूर्ण

शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी को पिछले दिनों मिले धमकी भरे पत्र के सिलसिले में मैने एक विचार आपसे साज्ञा किया था कि इसे एक मामूली धमकी समझना पुलिस की बड़ी भूल हो सकती है। चूंकि इस मामले में एक पारिवारिक विवाद सामने आया है, जिसमें भाई-भाभी को फंसाने की गरज से पंचायतराज प्रशिक्षण केंद्र के सहायक लेखाधिकारी सैयद अतहर अब्बास काजमी ने यह पत्र लिखा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बुजुर्ग व सेवाभावी कार्यकर्ता ने मुझे फोन कर कहा कि मेरी पोस्ट गलत साबित हो गई है। मैने उनसे आग्रह किया कि आप पोस्ट ठीक से पढिय़े, उसमें लिखा क्या है। हालांकि वे संतुष्ट नहीं हो पाए, चूंकि अमूमन संघ स्वयंसेवक से बहस करना अंतहीन होती है, मगर मेरा यह कहना था कि यह एक या दो व्यक्तियों का सिरफिरापन नहीं, बल्कि वैचारिक मतभिन्नता का मामला है, जिसे बड़ी संजीदगी से निपटना होगा। संयोग से एक व्यक्ति का सिरफिरापन सामने आया, मगर बड़ा सवाल है कि उसने भी उसी विचार को काम में लिया न, जो सनसनी फैलाने वाला था। अगर वह एक सामान्य धमकी भरा पत्र लिखता तो कदाचित उसे उतनी तवज्जो नहीं मिलती, जितनी कि इस संवेदनशील विषय पर लिखने की वजह से सुर्खी मिली। इस पर देवनानी की प्रतिक्रिया भी काफी तीखी थी।
वस्तुत: यह उस एक सैयद अतहर अब्बास काजमी का विचार नहीं है, बल्कि यह पूरे एक समुदाय के भीतर ही भीतर सुलग रहा है, यह बात दीगर है कि प्रत्यक्षत: उभर कर नहीं आया, जिसके अनेकानेक कारण हैं, मगर यदि एक व्यक्ति इसका उपयोग किसी को फंसाने के लिए कर सकता है तो किसी और को कुछ और घातक करने को भी प्रेरित कर सकता है। इसी संदर्भ में मैंने लिखा है कि यह मामला दो विचारधाराओं के मुकाबले का लगता है। ऐसे में पुलिस को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
यह पोस्ट लिखी ही इसलिए गई थी कि अजमेर की पृष्ठभूमि कुछ संवेदनशील है और उसमें दरगाह बम ब्लास्ट का भी जिक्र किया गया था। संयोग से इन्हीं दिनों उस मामले में कोर्ट ने संघ के ही तीन स्वयंसेवकों को दोषी माना है, जिस एक समुदाय विशेष संतुष्ट नहीं कि अभियोजन ने ठीक से पैरवी नहीं की, इस कारण कई और बरी हो गए। इस प्रकरण में संघ का सीधा सीधा सांगठनिक हाथ नहीं, मगर संघ से जुड़े स्वयंसेवकों से संलिप्तता सामने आई है, तो अजमेर इतिहास में इस रूप में दर्ज हो गया है, जहां के एक वाशिंदे व उसके सहयोगियों की वजह से भगवा आतंकवाद के आरोप को नकारने की दृढ़ता कमजोर हुई है। इस लिहाज से अजमेर और अधिक संवेदनशील हो गया है। हो सकता है कि यह डर अभी प्री मैच्योर लगे, मगर अब और अधिक सतर्क होने की जरूरत है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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