सोमवार, 27 मार्च 2017

माथुर की बदोलत उभर कर आया सोनगरा गुट

अजमेर में यूं तो प्रमुख रूप से औंकार सिंह लखावत नीत अनिता भदेल और प्रो. वासुदेव देवनानी के ही गुट सक्रिय हैं, मगर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर के स्वागत समारोह के बहाने श्रीकिशन सोनगरा गुट भी उभर कर आ गया है। हालांकि यह गुट पहले भी रहा है, मगर काफी समय से सुप्तप्राय: था। जैसे ही माथुर के मुख्यमंत्री बनने की अफवाहें उड़ी हैं, यह गुट सामने आ गया है। दिलचस्प बात ये है कि जो शहर जिला भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव इन दिनों नए समीकरणों के तहत देवनानी गुट में माने जाते हैं, उन्होंने भी अपने पुराने गुट साथ-साथ पार्टी बैनर पर सभी को स्वागत समारोह से जोडऩे की कोशिश की। यह बात दीगर है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाराजगी के डर से देवनानी, श्रीमती भदेल, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, डिप्टी मेयर संपत सांखला, एडीए चेयरमेन शिवशंकर हेडा आदि ने परहेज किया। वे जानते थे कि अगर समारोह में गए तो इसे वसुंधरा राजे अन्यथा ले सकती हैं। सच बात तो ये है कि वसुंधरा खेमे के कुछ लोगों पर ये जिम्मेदारी थी कि वे कौन-कौन आया, इसकी रिपोर्ट तुरंत फोटो सहित भेजें। कुल मिला कर वे सभी लोग चिन्हित हो गए हैं, जिन्होंने समारोह में भाग लिया।
हालांकि वैसे यादव को कुछ हद तक कामयाबी भी मिली। उनके आह्वान पर श्रीकिशन सोनगरा व उनके पुत्र विकास सोनगरा, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, सोमरत्न आर्य, पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना, कमला गोखरू, पूर्व नगर परिषद सभापति सरोज यादव, पूर्व शहर जिला अध्यक्ष पूर्णाशंकर दशोरा, तुसली सोनी, विनीत पारीक, श्रीमती रश्मि शर्मा, श्रीमती वनिता जैमन आदि समारोह में गए। देवनानी गुट की मौजूदा जिला प्रमुख वंदना नोगिया, पार्षद नीरज जैन, वीरेन्द्र वालिया, महेन्द्र जादम, राजेन्द्र लालवानी, अनीश मोयल, रमेश सोनी आदि भी गए, मगर समझा जाता है कि वे गफलत में पहुंचे या फिर उन पर यादव का इतना दबाव था कि वे टाल नहीं पाए। ये भी एक चकित कर देने वाला तथ्य रहा कि देवनानी गुट और उत्तर विधानसभा क्षेत्र के ज्यादा लोगों ने इसमें शिरकत की।
अगर इस समारोह को यह मान कर कि भाजपा के वरिष्ठ नेता का स्वागत किया गया है, एक सामान्य सी घटना है तो भी ये सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने वहां जाना उचित क्यों नहीं समझा? क्या वे माथुर को पार्टी नेता नहीं मानते?
लब्बोलुआब, यह बात साफ है कि चूंकि इन दिनों वसुंधरा की जगह माथुर को मुख्यमंत्री बनाए जाने की अफवाहें जोर पर हैं, इस कारण जिम्मेदार जनप्रतिनिधि समारोह में जा कर वसुंधरा के प्रति अपनी वफादारी पर सवालिया निशान नहीं लगवाना चाहते थे। हां, इतना तय है कि अगर माथुर वाकई मुख्यमंत्री बने तो वे नेता फायदे में रहेंगे, जिन्होंने उनके प्रति अपनी आस्था जाहिर की है। 

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