मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

शहर भाजपा ने दी देवनानी के पक्ष में लचर दलील

नाम के आगे प्रोफेसर शब्द लगाने को लेकर दायर याचिका के बाद हाईकोर्ट की ओर से जारी नोटिस की कड़ी में शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी द्वारा पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया गया तर्क एक नए विवाद का कारण बन ही गया। ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों ने सुदामा शर्मा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंप कर उन्हें पदमुक्त करने की मांग कर डाली। दूसरी ओर हर बार की तरह इस बार भी शहर जिला भाजपा देवनानी की ढ़ाल बन कर सामने आई। मगर दलील बेहद लचर ही रही। जिस पंडित शब्द की वजह से विवाद हुआ, उसको डाइल्यूट करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम का सहारा लिया गया, मगर कहीं भी ये स्पष्ट नहीं किया कि देवनानी के नाम से जो बयान छपा है, वह कितना गलत है, या उन्होंने ये बयान दिया ही नहीं अथवा उसे किस प्रकार तोड़ा मरोड़ कर छापा गया है।
ज्ञातव्य है कि पंजाब केसरी, जयपुर में छपे उनके बयान के अनुसार उन्होंने दलील दी थी कि लोगों को मेरे नाम के आगे प्रोफेसर शब्द लगाने से ईष्र्या है, जबकि ब्राह्मण बिना किसी योग्यता के अपने नाम के आगे पंडित लगा लेते हैं। अगर किसी ने अपने नाम के आगे पंडित शब्द लगा लिया तो क्या उसे इसके लिए किसी डिग्री की आवश्यकता होती है?
शहर जिला अध्यक्ष अरविंद यादव की ओर से जारी बयान का हाल देखिए:-
उसमें देवनानी की तारीफ करते हुए कहा गया है कि वे शिक्षा राज्य मंत्री होने के साथ-साथ भाजपा के प्रबुद्ध कार्यकर्ता है तथा पंडित दीनदयाल जी के आदर्शों को ध्येय मानकर ही कार्य कर रहे हैं। पंडित शब्द को लेकर सोशल मीडिया व राजनीतिक स्वार्थों से प्रेरित लोग देवनानी के कथित बयान का हवाला देकर समाज विशेष को उकसा रहे हैं, वह निराधार है। देवनानी किसी भी सूरत में ऐसी बात नहीं कह सकते हैं।
बेशक देवनानी बुद्धिजीवी हैं, दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों पर चल रहे हैं, ये भी मान लिया कि समाज विशेष को उकसाया जा रहा है, जो कि राजनीति में होता ही है, आप भी होते तो ऐसा ही करते, मगर इसका क्या जवाब है कि पंजाब केसरी में जो छपा है, वह क्या उसके रिपोर्टर के दिमाग की उपज है। जरूर उससे संबंधित कुछ तो कहा ही होगा, वरना रिपोर्टर को क्या सपना आ रहा था? कदाचित रिपोर्टर की समझ में कुछ फर्क हो गया होगा या खबर लिखते समय कलम कुछ फिसल गई होगी, मगर आप ये कह कर देवनानी जी ऐसा कह नहीं सकते, क्या खबर का खंडन करने के लिए पर्याप्त है।
यादव की विज्ञप्ति में अधिसंख्य उन भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के नाम सायास शामिल किए गए हैं, जो कि ब्राह्मण हैं, ताकि ये संदेश जाए कि ब्राह्मण देवनानी के साथ हैं।
जिस पंडित शब्द का उल्लेख करने से देवनानी फंसे, उसकी व्याख्या करते हुए कहा है कि पंडित उपाधि आदर व सम्मान का सूचक है तथा जनसंघ स्थापना हो या भाजपा स्थापना इसका अपना विशेष महत्व रहा है। जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय भाजपा के कार्यों का मूल आधार है और तत्व रूप में आज भी हमारे लिये अनुकरणीय व मार्गदर्शक हैं। पंडित दीनदयाल जी हो या अटल बिहारी वाजपेयी हो केवल जनसंघ, भाजपा के ही नहीं बल्कि पूरे देश में सर्व समाजों व वर्गों के गौरव हैं।
यादव जी से यह पूछने का मन करता है कि श्रीमान्, दीनदयाल जी या वाजपेयी जी का तो मुद्दा है ही नहीं, वे बीच में कहां से आ गए। उनकी महिमा या पंडित शब्द की महत्ता साबित करने से कहां साफ हो रहा है कि देवनानी ने पंडित शब्द का उल्लेख क्यों कर किया है?
यादव ने यह भी कहा कि देवनानी ने राज्य भर में राष्ट्रीय मूल्य आधारित शिक्षा का विस्तार किया है तथा आचार्य चाणक्य, गोस्वामी तुलसीदास व पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय के संदर्भों व आदर्शों को पाठ्यक्रम में जुड़वा कर सम्मान बढ़ाया है। बहुत अच्छी बात है। देवनानी जी तो बहुत महान हैं, मगर आप तो ये बताइये कि उनका बयान आखिर था क्या?
अलबत्ता देवनानी जी के नाम से वाट्स ऐप पर एक बयान भी चला, जो कुछ बेहतर है। उसमें भले ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम का सहारा लिया गया है, मगर साथ ही यह कह कर कि वे ब्राह्मण समाज के व्यक्तित्व व आस्थाओं का सम्मान करता हूं, स्पष्ट करने की कोशिश की गई है कि ब्राह्मणों के प्रति उनके मन में कोई द्वेष भाव नहीं। उसमें कहा गया है कि मैं भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हूं। हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के आदर्शों पर चलने का प्रयास करते हैं। हमारा विश्वास समाजिक समरसता में है। कुछ लोग राजनीतिक द्वेषता के कारण भ्रामक बातें करके सामाजिक समरसता बिगाडऩे का प्रयास कर रहे हैं। मैं इसकी निन्दा करता हूं। व्यक्तिगत रूप से मैं सभी समाजों का आदर करता हूं एवं जीवन मैं  ब्राह्मण समाज के व्यक्तित्व एवं आस्थाओं का सम्मान करता रहा हूं।
हालांकि उनके इस बयान में भी कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि आखिर उन्होंने कहा क्या था और पंजाब केसरी में छप क्या गया, जो ब्राह्मण समाज के लोगों को उत्तेजित कर गया।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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