शनिवार, 24 जून 2017

किशनगढ़ एयरपोर्ट की वाहवाही लूटते हैं तो खैर-खबर भी लें

जिस किशनगढ़ एयरपोर्ट को स्थापित करने की आरंभिक सारी कवायद पूर्व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने की, उसका श्रेय स्थानीय भाजपा नेता ले तो रहे हैं, चूंकि आज केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार है, मगर वे इसके लिए कितने प्रयासरत हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग रहा है कि जुलाई से ट्रायल उड़ानें और अगस्त में शिड्यूल फ्लाइट्स शुरू होने को लेकर आशंकाएं जताई जा रही हैं।
भास्कर के तेजतर्रार रिपोर्टर अतुल सिंह की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अब तक न तो गृह मंत्रालय से एनओसी मिला और न ही डायरेक्ट्रेट जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) से लाइसेंस। ऐसे में एयरपोर्ट का संचालन शुरू होने पर सवाल उठने ही हैं। इसका सीधा सा अर्थ है कि केन्द्र में अजमेर का प्रतिनिधित्व करने वाले इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे। जो कुछ हो रहा है, वह ब्यूरोक्रेट लेवल पर है।
जहां तक इस एयरपोर्ट में राज्य सरकार की भूमिका का सवाल है, बिजली, पानी और हाई-वे से रोड कनेक्टिविटी के काम भी कछुआ चाल से चल रहे हैं। क्या इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि राज्य सरकार का हिस्सा बने अजमेर के भाजपाई जनप्रतिनिधि इन कामों को समय पर पूरा करवाने के लिए कोई निगरानी नहीं कर रहे। ऐसे में यह कहते हुए अफसोस ही होता है कि मात्र वाहवाही लेने के लिए संसदीय सचिव सुरेश रावत व किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी दिल्ली से यहां आए निजी कंपनी के चार्टर प्लेन को बाकायदा हरी झंडी दिखाने पहुंच जाते हैं। कैसी विडंबना है कि जिस एयरपोर्ट का औपचारिक व विधिवत शुभारंभ हुआ नहीं है, वहां एक प्राइवेट कंपनी का ट्रायल चार्टर प्लेन आने पर ऐसा माहौल बना दिया जाता है, मानो हवाई अड्डों की दुनिया में अजमेर भी शुमार हो गया है। जबकि हकीकत ये है कि इससे पहले भी चार्टर प्लेन लैंड कर चुके थे। बेशक, आज जब भाजपा की सरकार है तो शाबाशी भी वे ही लूटेंगे, मगर वहां पर रावत का बड़े अधिकारापूर्वक यह कहना कि किशनगढ़ एयरपोर्ट को जो सपना देखा था, वह आज पूरा हो गया, जल्द ही एयरपोर्ट से नियमित विमान सेवाएं शुरू होगीं, तो ऐसा प्रतीत होता है, मानो वे इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। और वाकई कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति क्यों बनती है कि जुलाई से ट्रायल उड़ानें और अगस्त में शिड्यूल फ्लाइट्स शुरू होने को लेकर मीडिया सवाल खड़े करता है। मीडिया सवाल खड़े करे न करे, धरातल का सच भी यही है कि निर्धारित शिड्यूल से काम नहीं हो रहा। ऐसे में क्या स्थानीय भाजपाई जनप्रतिनिधियों, जिनमें राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष प्रो. सांवरलाल जाट, राजस्थान पुरा धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत, शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी, महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, संसदीय सचिव शत्रुघ्न आदि शुमार हैं, का यह दायित्व नहीं बनता कि वे अजमेर की इस महत्वाकांक्षी योजना को गंभीरता से लें। अगर क्रेडिट लेने का हक आपका है तो उसको समय पर पूरा करने की जिम्मेदारी भी आप पर ही आयद होती है।
अजमेर के हितों के लिए वर्षों से संघर्षरत सिटीजंस कौंसिल के अध्यक्ष व दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी ने एक बार व्यक्तिगत चर्चा में बताया था कि अजमेर दर्द यही है कि जनप्रतिनिधि न तो अजमेर से संबंधित योजनाओं की पूरी स्टडी करते हैं और न ही फॉलोअप। इसी वजह से अजमेर का विकास धीमी गति से हो रहा है।
इसी संदर्भ में अगर स्मार्ट सिटी अजमेर की बात करें तो जब पहली बार अजमेर के नाम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी, तब भाजपा नेता वाहवाही लेने तो आगे आ गए, मगर उन्हें यह पता तक न था कि अजमेर का चयन किस प्रक्रिया के तहत हुआ। उन्हें यह जानकारी भी ठीक नहीं थी इसके तहत आखिर होगा क्या? तत्कालीन संभागीय आयुक्त ने भी खूब बेवकूफ बनाया। यदि मौजूदा जिला कलैक्टर गौरव गोयल इसमें व्यक्तिगत रुचि न लेते तो अजमेर का नाम सूची में अब तक भी नहीं आ पाता। इससे समझा जा सकता है कि अजमेर का पानी कैसे लाडलों का जन्म देता है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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