शनिवार, 23 सितंबर 2017

लाचार शहर के लाचार मंत्री

गत दिवस स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी की मौजूदगी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जो कि राज्य सरकार में मंत्री भी हैं, ने जिस प्रकार स्मार्ट सिटी में काम न होने का रोना रोया, उससे एक ओर तो यह आभास कराया गया कि उन्हें अजमेर की बड़ी चिंता है, दूसरी ओर यह भी साबित हो गया कि टायर्ड-रिटायर्ड लोगों के इस लाचार शहर के मंत्री भी कितने लाचार हैं।
शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी का तो यहां तक कहना था कि स्मार्ट सिटी केवल चर्चाओं में है, काम नहीं हो रहे। स्मार्ट सिटी पर काम कम, बातें ज्यादा हो रही हैं। जिस प्रकार काम चल रहा है, इसमें सालों लग जाएंगे। हम जब जनता के बीच जब जाएंगे तो उन्हें क्या जवाब देंगे। हालत ये थी कि मंत्री की हैसियत रखने वाले देवनानी को भी पूछना पड़ा कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत अब तक कितना पैसा खर्च हो चुका है। अफसोसनाक बात देखिए कि बैठक के आखिर तक अधिकारी भी ये नहीं बता पाए कि दिल्ली से कितना आ बजट चुका है।
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल की लाचारी देखिए कि उन्हें यह तक कहना पड़ा कि अमृत योजना में क्या चल रहा है, इसकी उनके पास जानकारी नहीं है। बैठक में उन्हें बुलाया ही नहीं जाता है। उनके विधानसभा क्षेत्र में सीवरेज की लाइनें जाम हो चुकी हैं, गंदा पानी ओवर फ्लो होकर सड़कों पर रहा है। निगम अधिकारियों को कई बार कहा, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। अब जब हम जनता के बीच जाएंगे तो उन्हें क्या जवाब दें? शहर जिला भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव तक की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही थी। उन्हें यहां तक कहना पड़ा कि लेपटॉप लेकर आने से बैठक पूरी नहीं हो जाती। जनता को हमें जवाब देना है। आचार संहिता लग जाएगी तब बजट का उपयोग किया जाएगा क्या?
देवनानी सहित अन्य जनप्रतिनधियों ने स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधा को लेकर हो रही लापरवाही का रोना रोया, जिसका संचालन ईएसएल कंपनी करती है।
समझा जा सकता है कि हमारे जनप्रतिनिधि कितने लाचार हैं। जब वे ही संतुष्ट नहीं हैं तो जनता की क्या हालत होगी, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है।
रहा सवाल जनप्रतिनधियों का तो वे समझ रहे हैं कि वे वैसा परफोरमेंस नहीं दे पाए हैं, जिसकी जनता अपेक्षा कर रही है। चार साल पूरे होने को हैं। बाकी एक साल बचा है। अगर ही हाल रहा तो जनता पलटी भी खिला सकती है। बस इसी बात की उन्हें चिंता सता रही है। विधानसभा चुनाव की छोड़ो, दो माह बाद लोकसभा उपचुनाव होने हैं। उन्हें डर है कि जनता का असंतोष भारी न पड़ जाए। ऐसे में जाहिर तौर पर हाईकमान कान उमेड़ेगा, इस कारण इस महत्वूपूर्ण बैठक में अपना असंतोष जाहिर कर दिया ताकि बाद में कहा जा सके वे तो पहले ही कह रहे थे कि जनता के काम ठीक से नहीं हो रहे।
एक ही पार्टी के जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल की हालत ये है कि वे एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। काम न होने की शिकायत का ठीकरा अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेडा पर फोडऩे की कोशिश की गई। अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का कहना था कि एडीए एवं आवासन मंडल की कई योजनाएं हैं, लेकिन उन्हें निगम को ट्रांसफर नहीं किया है, जबकि इन क्षेत्रों में साफ सफाई एवं लाइट की जिम्मेदारी निगम प्रशासन की रहती है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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