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गुरुवार, 1 मई 2025
अजमेर को ऊनाळो भलो
दोस्तो, नमस्कार। इन दिनों भीशण गर्मी पड रही है। सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त है। लोग परेषान हैं। अगर कोई आपसे कहे कि अजमेर की गर्मी तो भली है, तो आप झुंझला सकते हैं कि कैसी बात कर रहे हैं। हमारा हाल खराब है और आप इसे अच्छा बता रहे हैं। असल में किसी जमाने में गर्मी के मामले में अजमेर अन्य स्थानों से बेहतर था। इसी कारण राजस्थानी कहावत बनी कि सियाळो खाटू भलो, ऊनाळो अजमेर, नागौर नित रो भलो, सावण बीकानेर। अर्थात सर्दी खाटू की अच्छी है तो गर्मी अजमेर की और नागौर प्रतिदिन अच्छा और बीकानेर का सावन। वस्तुतः किसी जमाने में अरावली पर्वत श्रृंखला के नाग पहाड पर घने जंगल हुआ करते थे। मौसम बहुत सुहावना होता था। इसी सुरम्यता के कारण सत्ताधीषों ने इसे अपना केन्द्र बनाया। प्राचीन काल से लेकर मुगल काल व बाद में ब्रितानी हुकूमत के दौरान अजमेर सत्ता का केन्द्र रहा। पानी की कमी नहीं होती तो कदाचित आजादी के बाद यह राजधानी बनता। खैर, बाद में वृक्षों की निरंतर कटाई के कारण नाग पहाड पर हरियाली कम होती चली गई। इसे पुनः हराभरा करने के लिए भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री षिवचरण माथुर ने बारिष के मौसम में नाग पहाड पर हैलीकॉप्टर से बीजों का बिखराव किया था। मगर फॉलोअप न होने कारण कोई फायदा नहीं हुआ। इसी प्रकार पुश्कर घाटी में बरसाती पानी के ठहराव व हरियाली के लिए जापान के सहयोग से एक प्रोजेक्ट पर काम हुआ। अनेक उपाय किए गए, मगर ठीक से रखरखाव न किए जाने के कारण सारा पैसा पानी के साथ बह गया। बावजूद इसके गर्मी के लिहाज से अजमेर को आज भी अन्य स्थानों की तुलना में बेहतर माना जाता है। तापमान भले ही समान रहे, मगर आम तौर पर अजमेर में गर्मी सहन करने लायक पडती है। बीच में कुछेक दिन जरूर तापमान बढ जाता है।
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