शनिवार, 28 सितंबर 2024
जुझारू पत्रकार थे स्वर्गीय श्री कृष्ण गोपाल गुप्ता
आज जब पत्रकारिता व्यवसाय का स्वरूप लेती जा रही है, ऐसे में मिशन के रूप में पत्रकारिता करने के लिए स्वर्गीय श्री कृष्ण गोपाल गुप्ता की याद आना स्वाभाविक है। उन्होंने पहले स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर आजादी के बाद मेहनतकश लोगों के लिए लम्बा संघर्ष किया। अजमेर में समस्या चाहे पीने के पानी की हो या फिर राशन की दुकानों पर खाद्य सामग्री मिलने की, समस्या धोबी समुदाय की हो या फिर रेलवे और बस स्टैण्ड के कुलियों की, गोपाल भैया के नाम से पहचान बनाने वाले श्री कृष्ण गोपाल गुप्ता ने समाधान के लिए संघर्ष में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी सिलसिले में वे आजादी से पूर्व और आजादी के बाद कई बार सेन्ट्रल जेल गए। सन् 1974 में जब देशव्यापी रेल हड़ताल हुई तो अजमेर में इस हड़ताल का नेतृत्व भी किया। वे पत्रकारिता से भी जुड़े रहे। अपनी प्रवृत्ति और कार्यशैली के अनुरूप अपने पाक्षिक अखबार का नाम भभक रखा। भभक भले ही पाक्षिक रहा हो, लेकिन उसकी लिखावट दो नाली बंदूक की मार से कम नहीं रही। आपातकाल के दौरान 1975 में जब सरकार विरोधी अखबारों पर प्रतिबंध लगाया गया तो उसमें सबसे पहले भभक का नाम था। तब उन्होंने प्रेस कौंसिल में चुनौती दी। राजस्थान में श्री गुप्ता पहले ऐसे सम्पादक थे, जिन्होंने आपातकाल में कलैक्टर के खिलाफ शिकायत की। कौंसिल ने भी माना कि प्रतिबंध गलत है। आपातकाल के बाद संयुक्त सरकार बनने पर तब के केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आड़वाणी ने एक सवाल के जवाब लोकसभा में कहा कि राजस्थान में भभक पाक्षिक अकेला ऐसा अखबार है, जिसका प्रकाशन आपातकाल के दौरान ही हो गया। गोपाल भैया ने पत्रकारिता एक मिशन के रूप में की, जिसका उद्देश्य निरकुंश सरकार पर लगाम लगाना और आम लोगों की सहायता करना था। अजमेर की पत्रकारिता के इतिहास में कृष्ण गोपाल गुप्ता का नाम कभी नहीं भुलाया जा सकता। वर्तमान में उनके पुत्र वरिष्ठ पत्रकार श्री एस. पी. मित्तल भभक का संचालन कर रहे हैं। अनेक समाचार पत्रों में काम किया है। वर्तमान में जाने माने ब्लॉगर हैं और टीवी चैनल्स में ज्वलंत मसलों पर पत्रकार के रूप में बहस में हिस्सा लेते हैं।
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