बुधवार, 9 अक्तूबर 2024

कहानी सैल्फी पॉइंट आई लव अजमेर की

रीजनल कॉलेज के सामने आनासागर चौपाटी पर बने आई लव अजमेर नामक सैल्फी पॉइंट का लोग बहुत उपयोग कर रहे हैं। जाहिर तौर पर यह कौतुहल होता है कि इसका निर्माण किसने करवाया है। यह अजमेर के सुपरिचित व्यवसायी व सिंधी सोशल ग्रुप अजमेराइट्स के अध्यक्ष नरेश बागानी के सपने की परिणति है, जिसे साकार होने के लिए प्रसव पीडा से गुजरना पडा।

कोई सात साल पहले एक बार नरेश बागानी ने मुझे बताया था कि वे अजमेर को कोई अनूठी सौगात देना चाहते हैं। वे इस दिशा में लगे रहे। अजमेर विकास प्राधिकरण व अजमेर नगर निगम के चक्कर लगाते थे, मगर कभी कानूनी पेचीदगियों और कभी आचार संहिता के कारण मामला लंबित बना रहा। जून, 2019 में वे मिले तो जानकारी दी कि अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। कुछ कीजिए। इस पर मैं और पत्रकार व महिला समाजसेवी डॉ राशिका महर्षि उन्हें अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल के पास ले गये और स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर में इस सैल्फी पॉइंट की जरूरत पर चर्चा की। कासलीवाल को प्रस्ताव पसंद आया और उन्होंने जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा से बात की। शर्मा को भी बात जंची और उन्होंने प्रस्ताव बना कर भेजने को कहा। बागानी ने अपनी संस्था सिंधी सोशल ग्रुप अजमेराइट्स के बैनर पर आवेदन किया, जिसे शर्मा ने जरूरी औपचाकिताओं के बाद मंजूरी दी, जिसमें प्राधिकरण के आयुक्त जैन का भी सहयोग रहा। औपचारिकताओं को पूरा करवाने में थोडी मषक्कत हुई। मैने भी कासलीवाल, बागानी व राशिका के साथ दो-तीन बार प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मौके का दौरा किया। सभी के सुझावों का समाहित करते हुए सैल्फी पॉइंट की तैयारियां अंतिम चरण में थी कि बागानी की मुलाकात समाजसेवी हरीश गिदवानी से हुई और उन्होंने अपनी ओर से भी आर्थिक सहयोग का प्रस्ताव रखा। बागानी तुरंत राजी हो गए। दोनों ने दिन रात एक कर यह सौगात तैयार करवाई, जो अब आनासागर चौपाटी पर शोभा बढ़ा रही है।

बागानी ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने इस प्रकार का सैल्फी पॉइंट अमेरिका में देखा था। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली। उसके बाद दुबई, मुंबई व मद्रास में भी ऐसे सेल्फी पॉइंट देखे। अब अपना सपना पूरा होने पर वे बेहद खुश हैं। बेशक यह निर्जीव पत्थर से बना है, मगर लोकार्पण के दौरान उमड़ी भीड़ ने इसे सजीव बना दिया। अब यह चौपाटी पर आने वाले दर्शनार्थियों के आकर्षण का केन्द्र है।

बहरहाल, यह सीखने को मिला कि कोई काम कितना भी अच्छा क्यों न हो, कानूनी पेच व अफसरशाही के भंवर से उसे गुजरना ही होता है। और अगर ठीक अप्रोच न हो तो उसका पूरा होना कठिन होता है।

दिलचस्प है कोसिनोक जैन का नामकरण

कोसिनोक जैन अपरिचित नाम नहीं है। वे राशि एंटरटेन्मेंट कंपनी का संचालन करते हैं। ईवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में खास पहचान रखते हैं। दैनिक नवज्योति से जुडे हुए हैं। बेहतरीन प्रेस फोटोग्राफी करते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में खास उपलब्धियों के लिए सम्मानित हो चुके हैं। सुपरिचित व हरफनमौला शख्सियत स्वर्गीय श्री पी कुमार जैन के सुपुत्र हैं, जो गार्डन सुपरवाइजर थे। उनके प्रयासों से सुभाष बाग में आरंभ फ्लावर शो पूरे राजस्थान में मशहूर था। उन्होंने प्रेस फोटोग्राफर के रूप में भी कार्य किया। यह भी कहा जा सकता है कि स्वर्गीय जैन ने ही अजमेर में प्रेस फोटोग्राफी की शुरुआत की। उन्होंने अपने विवाह की पचासवीं सालगिरह पर बाकायदा नए सिरे से विवाह किया, फेरे लिए, बारात निकाली। यह परिवार आरंभ से एडवांस रहा है। यह परिवार जन्मपत्री, वास्तु, टोना टोटका, गंडा ताबीज पर विश्वास नहीं करता। संस्कार को ही सबसे ज्यादा महत्व देता है। कोसिनोक जैन सबसे ज्यादा अगर किसी को मानते हैं, तो वह है आदिनाथ भगवान महावीर स्वामी और उसके बाद अपने माता पिता को। उन्होंने जो कुछ भी तरक्की की है, उसका श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद को देते हैं। पिताश्री के प्रति श्रद्धा इसी बात से परिलक्षित होता है कि उन्होंने जब 2022 में बी के कौल में नया घर बनाया, उसका नाम कुमार कुटीर रखा। जब पंडित जी नांगल के लिए नाम लेकर आए तो बोले कि आपकी नाम राशि को देखते हुए अमुक नाम रखा जाएगा, इस पर कोसिनोक ने कहा कि जब पैसा मेरा, मेहनत मेरी, घर मेरा, सब कुछ मेरा तो मेरे घर का नाम आप कैसे रख सकते हैं। मेरे पिताजी ने जो नाम रखा था, कुमार कुटीर, उससे बडा पवित्र, उससे बडा नाम और कौन सा हो सकता है। घर के मेन गेट पर नाम लिखे हैं, श्रीमती सुशीला देवी, कोसिनोक जैन, फिर तृप्ती, रौनक व शिवांगी। उनका मानना है कि बेटी का भी तो हक है। ज्ञातव्य है कि गंज में कांजी हाउस के पास पुराने मकान का नाम श्री पी कुमार जैन ने अपने नाम पर कुमार कुटीर रखा था। 

कोसिनोक जैन के नाम को लेकर कौतुहल होता है कि इसका अर्थ क्या है? नाम अटपटा है। वस्तुतः उनके नाम की रचना उनकी सहोदर कामिनी, संगीता, नीलिमा व केनेडी के पहले अक्षर को मिला कर की गई है।

उन्होंने 2005 में एयर कार्टून नाम से कंपनी आरंभ की। कार्टून नब्बे हजार के थे, उसमें चार हजार कम पड रहे थे। इसके लिए अपनी पत्नी से चार हजार उधार लिए, जो अब तक नहीं लौटाए हैं।

नामकरण की अनोखी विधि उनकी कंपनी राशि एंटरटन्मेंट में भी अपनाई गई है। पूर्व में कंपनी का आरंभ उनके बडे भाई दिल्ली निवासी राजीव जैन ने की थी। राजीव और शिखा के नाम से कंपनी बनाई थी। फिर अजमेर में इसका आरंभ हुआ। बेटे रौनक व बेटी शिवांगी नामों के पहले अक्षरों को मिला कर कंपनी का नाम रखा राशि एंटरटेन्मेंट।

वे अपने पिताश्री के कदमों का अनुसरण करते हुए समाजसेवा के कार्य में भी जुटे हुए हैं। उनकी ही तरह हरफनमौला हैं व अपनी गतिविधियों से चर्चा में रहते हैं। फागुन महोत्सव हो या शहर की कोई प्रमुख गतिविधि, अगली पंक्ति में नजर आते हैं। यदि यह कहा जाए कि वे अजमेर में गिनती के जिंदादिल व जागरूक लोगों में शुमार हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।