गुरुवार, 12 सितंबर 2024

शैलेन्द्र अग्रवाल पहले भी मेरिट पर थे

हाल ही शैलेन्द्र अग्रवाल का नाम अजमेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए उभरा। अन्य दावेदारों की तुलना में वे अधिक उपयुक्त माने जा रहे हैं। विभिन्न दृष्टिकोण से। चाहे वरिष्ठता के नाते, चाहे अनुभवी होने की वजह से। चाहे अन्य दावेदारों की तुलना में अधिक सर्वग्राह्यता व सर्वसहमति के लिहाज से। लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि पिछली बार जब विजय जैन को अध्यक्ष बनाया गया, तब भी वे बेहतर विकल्प के रूप में उभरे थे। तब वणिक वर्ग के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना तय किया गया था। तब दो ही नाम सामने आए। अग्रवाल व जैन का। अध्यक्ष पद का निर्वहन करने के लिए अपेक्षित संसाधन संपन्नता के लिहाज से जैन बेहतर समझे गए। ऐसे में जैन के नाम पर मुहर लग गई। बहरहाल, एक बार फिर अग्रवाल का नाम उभरा है। विशेष रूप से पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव और उसके बाद में अब तक उनकी भूमिका के चलते। बस फर्क ये है कि अब लॉबी बदल गई है। इसका अर्थ यह भी नहीं कि दूसरे दावेदार कमतर हैं। मंथन चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही नियुक्ति होगी। देखते हैं किसके नाम पर मुहर लगती है।

रलावता तीसरी बार चुनाव लडना चाहते हैं

अजमेर शहर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भले ही लगातार दो बार हार चुके हैं, लेकिन वे तीसरी बार भी चुनाव लडने का मानस रखते हैं। तीसरी बार टिकट मिलना कठिन प्रतीत होता है, मगर इसके लिए उनके पास तर्क है कि श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ को भी तो तीसरी बार टिकट दिया गया था। इसी प्रकार रामबाबू शुभम भी तीसरी बार टिकट लाने में कामयाब हो गए थे। तीसरी बार टिकट पाने के लिए उनके पास एक मजबूत आधार है ये कि वे दूसरी बार मात्र साढे चार हजार वोटों से ही हारे। इस हार का मतांतर ज्यादा नहीं है। जानकारी के अनुसार हारने के बाद भी जयपुर रोड पर स्थित उनका दफ्तर रोज खुलता है। फरियादी अब भी आते हैं, इस कारण वे नियमित रूप से दफ्तर में बैठते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनके पुत्र शक्ति सिंह लोगों से मुखातिब होते हैं। एक अर्थ में यह शक्ति सिंह का प्रशिक्षण है। अगर जरूरत हुई तो ऐन वक्त पर उन्हें भी आगे किया जा सकता है।


मधु सिंह फिर तलाश रही हैं राजनीतिक जमीन

किसी जमाने में शहर जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष के नाते अजमेर में सक्रिय रहीं श्रीमती मधु सिंह राजनीतिक पटल के नैपथ्य में चली गई हैं। सक्रियता के दौर वे बहुत चर्चित रहीं। मगर अब फिर पर्दे से बाहर आने की इच्छुक हैं। एक बार फिर राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से वे राजनीतिक कार्यक्रमों से दूर रही हैं, मगर सामाजिक सक्रियता सतत बनाए हुई हैं। कदाचित पारीवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए राजनीतिक गतिविधियों से दूर रही हों, मगर अब सभी कामों से फारिग हो चुकी है। ऐसे में उन्हें पुराने दिन याद आ रहे हैं। वे शहर अध्यक्ष के बाद देहात जिला कांग्रेस में उपाध्यक्ष भी रही हैं। उन्हें लगता है कि राजनीति में फिर से सक्रिय हुआ जा सकता है। इस सिलसिले उन्होंने अपने करीबियों से चर्चा आरंभ कर दी है। ज्ञातव्य है कि पूर्व में वे अजमेर पश्चिम के अतिरिक्त पुष्कर से प्रबल दावेदार हुआ करती थीं। तब उनका भी जलजला हुआ करता था। उन्हें लगता है कि जिस प्रकार कांग्रेस हाईकमान महिलाओं को प्राथमिकता देना चाहता है, संभव है उनकी लॉटरी खुल जाए। रहा सवाल जयपुर दिल्ली तक संपर्क सूत्रों तो वे फिर से पुनर्जीवित किए जा सकते हैं।


शख्सियत: स्वर्गीय श्री कमलेन्द्र कुमार झा

कला की सेवा और उसका संरक्षण करने के क्षेत्र में कवि एवं गीतकार स्वर्गीय श्री कमलेन्द्र कुमार झा अजमेर में एक स्थापित शख्सियत थे। हालांकि पेशे से वे इंजीनियर रहे और सार्वजनिक निर्माण विभाग में अतिरिक्त मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन कला के प्रति उनकी विशेष रुचि रही। वे स्वयं कवि थे और कला के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुकी संस्था कला-अंकुर की स्थापना की और उसके संरक्षक रहे। कला-अंकुर संस्था के माध्यम से उन्होंने अनेक स्तरीय सांस्कृति कार्यक्रमों आयोजन करवाया। संस्था के माध्यम से उन्होंने संगीत के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं को तराशने का उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने कला-अंकुर अकादमी की स्थापना कर संगीत, गायन, वादन, नृत्य, नाटक व चित्रकला के क्षेत्र में नई पीढ़ी को दिशा देने का बीड़ा उठाया। 1 जनवरी 1943 को श्री पूरन चंद्र झा के घर जन्मे कमलेन्द्र कुमार झा अजमेर इंजीनियरिंग इस्टीट्यूट के सचिव और अध्यक्ष रहे। अजमेर सिटीजन कौंसिल की तकनीकी शाखा के अध्यक्ष थे। अजमेर में अधिशाषी अभियंता व अधीक्षण अभियंता के पदों पर रहते हुए उन्होंने जवाहर रंगमंच के निर्माण, नगर सौंदर्यीरकरण और दरगाह विकास में महत्वपूर्ण तकनीकी योगदान दिया है।