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राजेश टंडन |
दरअसल टंडन कभी कोई काम बेमकसद नहीं करते। कदाचित पायलट में राजस्थान का भविष्य तलाशते हुए उनसे नजदीकी हासिल करना चाहते हों। या फिर खुद को सुर्खियों में रखने का पुराना शगल। इसके लिए गहलोत को ही निशाना बना डाला। अब ये फैंका गया पत्थर दूर तक जाएगा या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। मगर लोगों को तो जुगाली करने का मौका मिल ही जाएगा। हालांकि हमले का टारगेट गहलोत हैं, मगर एक ही तीर से दूसरा निशाना वसुंधरा पर भी लग ही रहा है। टंडन की नजर इतनी तेज है कि वे हॉट केक को तलाश ही लेते हैं। मौजूदा मुद्दा भी सुर्खियों वाला ही है। हाल ही गहलोत अजमेर से गुजरे हैं। उनकी आवभगत के लिए पायलट खेमे के कम ही लोगों के पहुंचने की खासी चर्चा है। गहलोत व पायलट के बीच कितना फासला है, कुछ कह नहीं सकते, मगर मीडिया और विशेष रूप से गहलोत के समर्थकों ने ऐसा माहौल बना रखा है कि मानो कांग्रेस इन दोनों नेताओं के बीच विभाजित है। स्वाभाविक रूप से कुछ कट्टर समर्थक हैं तो कई को सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस से मतलब है। उनके लिए दोनों ही नेता स्वीकार्य हैं। एक ओर जहां गहलोत के दो बार मुख्यमंत्री रह चुकने के कारण उनके साथ अनेक उपकृत लोगों की जमात है तो दूसरी ओर पायलट के ऊर्जावान और तेज-तर्रार होने के कारण लोग उनमें कांग्रेस का भविष्य देखते हैं। अब यह तो कांग्रेस आलाकमान पर निर्भर करता है कि वह क्या सोचता है? क्या करता है?
-तेजवानी गिरधर
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