शनिवार, 2 नवंबर 2024

अजमेर में कांग्रेस के स्तम्भ एडवोकेट जसराज जयपाल

अजमेर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे एडवोकेट जसराज जयपाल अपने आप में एक संस्था हैं। आजादी के बाद अजमेर की राजनीति में उनके परिवार का खासा वर्चस्व बना हुआ है। उनका जन्म 13 मई 1930 को ब्यावर इलाके के छोटे से गांव झाक में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय श्री केशवराम ब्यावर स्थित कपड़ा मिल में मुकद्दम के पद कार्यरत रहे और ब्यावर नगर पालिका के छह बार पार्षद बने। श्री जयपाल ने बी. कॉम., एम. ए. व एल.एल.बी. की डिग्रियां राजकीय महाविद्यालय, अजमेर में पढ़ते हुए हासिल कीं। वकालत ही उनका पेशा है, मगर राजनीति में भी पूरा दखल रखते हैं। वे सन् 1967 से 1972 तक अजमेर जिले की भिनाय सीट से विधायक रहे और मंत्री भी बने। उन्होंने अनुसूचित जातीय जनजातीय समाज की अनेक संस्थाओं में सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने सहकारिता के क्षेत्र में विशेष कार्य किया और अनेक पुस्तकें भी लिखीं। अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के संचालक मंडल के सदस्य व राजस्थान उपभोक्ता समिति के अध्यक्ष पद के रूप में राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की, जिसे सरकार ने यथावत स्वीकार कर लिया। उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीया श्रीमती भगवती देवी 1972 व 1980 के चुनाव में भिनाय विधानसभा सीट से विजयी हुई थीं। उनके सुपुत्र डॉ राजकुमार जयपाल 1985 में अजमेर पूर्व सीट से विधायक चुने गए थे। वे अजमेर क्लब के अध्यक्ष हैं।

हाल ही अजमेर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रभान सिंह राठौड़ ने श्री जसराज जयपाल का उनके 95 वें जन्म दिन के अवसर पर नागरिक अभिनंदन किया। इस अवसर पर गुलाब सिंह राजावत, लोक अभियोजक विवेक पाराशर, अरविंद मीणा, अभय वर्मा, इंदर चंद मण्डूसिया, महेंद्र मेड़ता, राकेश मेहरा, महेश काला, पूर्व विधायक डॉ राजकुमार जयपाल, अशोक दायमा, कर्मचारी नेता रतन कोमल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

अजमेर ने खो दिया समाजसेवी श्री श्यामसुंदर छापरवाल को

अजमेर ने हाल ही प्रमुख समाजसेवी श्री श्यामसुंदर छापरवाल को खो दिया। वे न केवल प्रतिष्ठित व्यवसायी थे, अपितु आध्यात्मिक नगर अजमेर में आयोजित विशाल धार्मिक आयोजनों में उनकी अहम भूमिका रही। श्रद्धेय श्री डोंगरे जी महाराज, कथा वाचक श्री मुरारी बापू, श्री रामसुखदास जी महाराज जैसे बडे संतों के प्रवचनों व कथाओं में उन्होंने बढ-चढ कर भाग लिया। ज्ञातव्य है कि ऐसे आयोजनों में धर्मप्राण समाजसेवियों स्वर्गीय श्री मणिलाल गर्ग, शंकर लाल बंसल, कालीचरण खंडेलवाल, रामेश्वर लाल फतेहपुरिया, सीताराम मंत्री आदि का भी अविस्मरणीय योगदान रहा है। श्री छापरवाल के भ्राता सर्वश्री भीमकरण, सत्यनारायण व गोपाल कृष्ण भी व्यवसाय के अतिरिक्त धार्मिक कार्यक्रमों में साथ देते थे। ऐसे कार्यक्रमों का मीडिया प्रबंधन जाने-माने पत्रकार स्वर्गीय श्री आर डी कुवेरा किया करते थे। श्री छापरवाल अर्थ संपन्न होने के बावजूद सादा जीवन जीते थे। उनका स्वर्गवास अजमेर के लिए अपूरणीय क्षति है। अजमेरनामा उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

हरदिल अजीज शख्सियत: डॉ. सुरेश गर्ग

डॉ. सुरेश गर्ग का नाम परिचय का मोहताज नहीं। शहर का शायद ही कोई ऐसा जागरूक व्यक्ति होगा, जो उनको न जानता हो, या जिसने इस हरदिल अजीज शख्सियत का नाम न सुना हो। असल में इसकी एक मात्र वजह ये है कि एक तो वे आम जनता से जुड़ी नगर पालिका सेवा में रहे, दूसरा ये कि उन्होंने केवल नौकरी ही नहीं की, बल्कि सदैव अजमेर से जुड़े हर राजनीतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक मुद्दे से हर वक्त जुड़े रहे। सेवानिवृत्ति के बाद तो वे पूरी तरह अजमेर के लिए समर्पित हो गए हैं और अजमेर के हित से जुड़े हर मुद्दे पर अपना किरदार निभाने की कोशिश कर रहे हैं। वे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की गहन जानकारी की वजह से भी लोकप्रिय हैं। सेवाभाव की वजह से लागत मूल्य पर ही आयुर्वेद की दवाई दे देते हैं। यदि कोई निर्धन आ जाए तो उसे मुफ्त में ही दवा दे कर स्वयं को भाग्यवान समझते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी श्रीमती इन्द्र प्रभा गर्ग भी हाथ बंटाती हैं।

स्वर्गीय श्री किशन स्वरूप जी गर्ग के घर 13 फरवरी 1948 को जन्मे डॉ. गर्ग ने एमए व एलएलबी तक अध्ययन किया है और बायोकेमिस्ट व आयुर्वेद रत्न की शिक्षा भी अर्जित की है। उन्होंने 14 साल तक जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में सेवाएं दीं और उसके बाद 28 साल तक राजस्थान नगरपालिका सेवा में रहे और 16 साल पहलेअधिशाषी अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में आप आयुर्वेद व होम्योपैथी की प्राइवेट पै्रक्टिस कर रहे हैं। सरकारी सेवा के दौरान कर्मचारी संगठनों की गतिविधियों से जुड़े रहे हैं। सहकारी क्षेत्र में भागीदारी निभाते हुए दी अजमेर जलदाय कर्मचारी बचत व साख सहकारी समिति के निदेशक रहे। समाजसेवा के क्षेत्र में भी आपकी सक्रियता रही और 1970 से 78 तक स्वयंसेवी संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वूमन आर्गेनाइजेशन में निदेशक रहे। सेवारत अग्रवाल कल्याण परिषद के आजीवन संरक्षक, अग्रवंशज संस्थान के निदेशक, अग्रवाल वैवाहिक परिचय एवं सामूहिक सम्मेलन में उपाध्यक्ष व संयोजक और अग्रबंधु निर्देशिका के संपादक रहे। उन्होंने संत श्री मोरारी बापू की नौ दिवसीय कथा के आयोजन के संयोजन का जिम्मा निभाया। उन्होंने नगर पालिका कानून की पांच पुस्तकें, व्यंग्य व स्वास्थ्य पर पुस्तकें लिखीं। उन्होंने स्थानीय निकाय के बढ़ते कदम पत्रिका का संपादन किया है और अनेक स्मारिकाओं का प्रकाशन करवाया है। वर्तमान में आंखन देखी पाक्षिक व रिमझिम साप्ताहिक में संपादन का कार्य कर रहे हैं। रिमझिम प्रकाशन ने अजमेर के इतिहास, वर्तमान व भविष्य पर रचित पुस्तक अजमेर एट ए ग्लांस का प्रकाशन  किया है। स्वाभाविक रूप से पुस्तक के प्रकाशन में उनकी अहम भूमिका रही है। वे सन् 2001 से 2005 तक अजयमेरू प्रेस क्लब में  निदेशक रह चुके हैं। सन् 1970 से 1980 तक सामाजिक संस्था में प्रगतिशील युवक संघ में महामंत्री रहे व वर्तमान में उसके अध्यक्ष हैं। राजनीतिक से आपका शुरू से जुड़ाव रहा। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी प्रत्याशियों के खुल कर काम करने की वजह से भाजपा शासनकालों में अजमेर से स्थानांतरित हो कर बाहर रहना पड़ा। केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री श्री सचिन पायलट से नजदीकी की बदौलत शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष के पद पर आसीन हैं। उनकी पत्नी श्रीमती इन्द्र प्रभा गर्ग सन् 1982 से 90 तक शहर महिला कांग्रेस की महामंत्री रही हैं।