रविवार, 15 सितंबर 2024

सांई बाबा मंदिर में हुआ था ऐतिहासिक विवाह

सांई बाबा मंदिर में तकरीबन दस साल पहले एक ऐसा ऐतिहासिक व अनूठा विवाह हुआ था, जिसकी स्मृति इतिहास में सुर्ख हर्फों में दर्ज हो गई। आपने एक फिल्मी गाना सुना होगा-मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिस्तानी, सिर पर लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी। ये गीत इस बात का अहसास कराता है कि हिंदुस्तानी भले ही दुनिया की कैसी भी रंगीनी में रंग जाए, मगर उसका दिल हिंदुस्तानी ही होता है। दुनिया से कदम से कदम मिला कर चलने के लिए हिंदुस्तानी चाहे कहीं भी जा कर बस जाए, मगर अपनी माटी की खुशबू हरदम उसके दिल में महकती रहती है। कुछ ऐसा ही अहसास कराया सुरेश के. लाल ने।

तकरीबन दस साल पहले जब जीवन का अहम संस्कार कन्या दान करने का मौका आया तो उन्होंने इसके लिए अपनी प्यारी जन्मभूमि अजमेर को ही चुना और अपनी बेटी नमिता की शादी जापान के उद्योगपति मिशु से सांई बाबा मंदिर परिसर में ही की। इस भव्य व ऐतिहासिक समारोह के साक्षी बने जिले के कई राजनेता, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी, कारोबारी सहित अजमेर के कई गणमान्य लोग, जिनका कहना है कि ऐसी भव्य, अनूठी और विलक्षण शादी अजमेर के इतिहास में न देखी, न सुनी। न खर्च के लिहाज से, न खूबसूरती के पहलु से और न ही थीम डिजाइन के एंगल से।

तकरीबन तीन सौ जापानियों की बारात को जयपुर से एयर कंडीशंड बसों में विवाह स्थल पर लाया गया। विशेष बात ये रही कि सभी बाराती राजस्थानी वेशभूषा में थे। कैसा विलक्षण सांस्कृतिक संयोग है, युवती सिंधी, युवक जापानी, बाराती राजस्थानी लुक में और विवाह स्थल मंदिर परिसर। इतना ही नहीं, इस भव्य विवाह ने पर्यावरण रक्षा का अनूठा संदेश भी दिया। साईं बाबा मंदिर से डेढ़ किलोमीटर पहले से सजावट की गई सजावट की थीम ग्रीनरी रखी गई थी। ऐसी सजावट शहर में पहले कभी नहीं हुई। सजावट में लगे आकर्षक झूमर जयपुर और दिल्ली से मंगाए गए थे। बारातियों के स्वागत के लिए चार हाथियों को लाया गया था। कहते हैं न कि शादी कितनी भी भव्य सजावट के साथ की गई हो, मगर उसमें शिरकत करने वालों को असल मजा तभी आता है, जबकि उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है। खाने में देश के प्रत्येक राज्य का मीनू स्पेशल डिश के साथ शामिल किया गया था। अतिथियों की सहूलियत के लिए मीनू का बाकायदा नक्शा बनाया गया था, ताकि मेहमानों के खाने के व्यंजन ढूंढने में असुविधा न हो। सॉफ्ट ड्रिंक में ब्लू करंट, पीनी कोलाड़ा, रसभरी, कोकोनट, वाटर मेलन, ग्रीन मिंट, ट्रिपल स्क्वायर आदि को शुमार किया गया था। शेक में काजू, अंजीर, पिस्ता, इलाइची आदि थे तो, साथ ही जूस में मौसमी व पाइन एपल का इंतजाम था।

प्रसंगवश बता दें कि सुरेश के. लाल की आकांक्षा के अनुरूप इस पूरे इंतजाम को साकार रूप दिया सांई बाबा मंदिर के ट्रस्टी महेश तेजवानी और स्वामी समूह के सीएमडी कंवल प्रकाश किशनानी ने, जिसे देख कर अजमेर वासी तो दंग रहे ही, जापानी मेहमान भी अभिभूत हो गए।

यहां आपको बता दें कि सांई बाबा के अनन्य भक्त सुरेश के. लाल जाने-माने अप्रवासी भारतीय हैं, जिन्होंने अजमेर-ब्यावर मार्ग पर पृथ्वीराज स्मारक वाली सड़क पर एक किलोमीटर अंदर अजयनगर कॉलोनी में संगमरमर के पत्थर से साईं बाबा के मंदिर का निर्माण कराया है।