ज्ञातव्य है कि बापू के जीवन, संघर्ष और मोहन से महात्मा तक के सफर को जीवंत करने के लिए 23 हजार स्कवायर फीट क्षेत्र में 7.7 करोड़ की लागत से इसका निर्माण किया गया है। उद्यान को उंचाई से देखने पर गांधी के आकार में नजर आता है। यहां स्थित प्राकृतिक संरचनाओं को नहीं छेड़ा गया है। स्मृति उद्यान में सेल्फी प्वाइंट विकसित किए गए हैं।
शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2024
भूल ही गए महात्मा गांधी स्मृति वन उद्यान को
हम महान लोगों के स्मारक इसलिए बनाते हैं कि उनसे प्रेरणा ले सकें। भावी पीढी को भी ख्याल रहे कि अमुक महान हस्ती का समाज को क्या योगदान था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हरिभाउ उपाध्याय नगर विस्तार में महाराजा दाहरसेन स्मारक के पास महात्मा गांधी स्मृति वन उद्यान बनाया गया है। उसका लोकार्पण हो चुका है। उम्मीद थी कि इस बार महात्मा गांधी जयंती पर वहां बडा जलसा होगा, बडी श्रद्धांजलि सभा होगी। मगर अफसोस न राजनीतिक दलों को, न समाजसेवी व स्वयंसेवी संगठनों ने इसकी सुध नहीं ली। इस सरकारी स्थल का ख्याल प्रशासन को भी नहीं रहा। स्मारक में स्थापित महात्मा गांधी की 15 फीट की विशाल प्रतिमा एक फूलमाला तक को तरस गई। अगर हम स्मारकों की खैर खबर नहीं लेते तो बेकार है, उनकी स्थापना करना।
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