इस मौके पर जनाब मौलाना बशीरुल कादरी साहब ने सलातो सलाम का नजराना पेश किया व अमीन मूए मुबारक जनाब ख्वाजा सैय्यद गयासुद्दीन चिश्ती साहब दुआ फरमाई।
पूर्व दीवान दादा शैखुल मशाएख हज़रत सैयद इनायत हुसैन व वालिद पूर्व दीवान सैयद सौलत हुसैन की औलाद ख्वाजा सैयद गयासुद्दीन चिश्ती 1 जुलाई 1959 को अजमेर में पैदा हुए। आपने शुरुआती तालीम अपने वालिद और खास तरबियत वालिदा से हासिल की। जोधपुर के दारूल उलूम इस्हाकिया से मौलवी की सनद और तजवीद व किरअत में महारत हासिल की। मोईनिया इस्लामिया स्कूल से हायर सेकण्डरी का इम्तेहान पास किया। आपकी नियुक्ति राजस्थान लोक सेवा आयोग में 1979 में हुई। आप राजस्थान लोक सेवा आयोग मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रहे हैं। 1977 में अपने वालिद से मुरीद हुए। 2002 में वालिद के इन्तेकाल पर जलसा-ए-आम में मशाइकीन ने दस्तारबन्दी की। दीवान ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (ख़्वाजा साहब की कविताओं का संकलन) का दूसरा एडीशन आपकी निगरानी में छप चुका है। नगमाते ख्वाजा, सलामे ख़्वाजा, गुलदस्ता-ए-चिश्तिया, खत्मे ख़्वाजगान आप की लिखी हुई किताबें हैं। कलेक्ट्रेट अजमेर के पास मस्जिद मूए मुबारक (कचहरी मस्जिद) की आपने नई तामीर की, जो 1947 के बाद इतने बड़े पैमाने पर तामीर होने वाली पहली तीन मंज़िला मस्जिद है। हिन्दुस्तानी हुकुमत की तरफ से खिदमत अन्जाम देते हुए दो बार हज-ए-बयतुल्ला अदा फरमाया।
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