रविवार, 27 अक्तूबर 2024

पान की दुकानों पर भी जुटते हैं किस्सागो

ठीयों की बात हो और पान की दुकानें ख्याल में न आएं, ऐसा कैसे हो सकता है। वस्तुतः ये भी शहर की पंचायती करने वालों से सजती रही हैं। एक समय क्लॉक टावर थाने के नुक्कड़ पर इंडिया पान हाउस हुआ करता था, जो बाद में अतिक्रमण हटाओ अभियान में नेस्तनाबूद हो गया और बाद में सामने ही स्थापित हुआ। वह देर रात तक रोशन रहा करता है। इसी प्रकार स्टेशन रोड पर मजदूर पान हाउस, जनता पान हाउस, गुप्ता पान हाउस व चाचा पान हाउस, बजरंगगढ़ चौराहे पर शास्त्रीनगर की ओर जाने वाले रास्ते के नुक्कड़ पर स्थित दो दुकानें, हाथीभाटा के नुक्कड़ पर हंसमुख पान वाला, केन्द्रीय रोडवेज बस स्टैंड के ठीक सामने निहाल पान हाउस, रामगंज स्थित मामा की होटल आदि भी छोटे-मोटे ठीये रहे हैं।  वैशाली नगर में सिटी बस स्टैंड पर गुप्ता पान हाउस पहले एक केबिन में था, जो बाद में एक बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में तब्दील हो गया। वहां पान की दुकान अब भी है।

ठीयों के किस्से आपसे साझा किए तो मेरे दो पत्रकार मित्रों ने भी कुछ और ठीयों के बारे में जानकारी भेजी है। पत्रकार तीर्थदास गोरानी ने कहा है कि आप तीन अड्डे और भूल गए तेजवानी जी! एक, स्टेशन के दाहिने गेट के बाहर चाय की थड़ी पर आप, कासलीवाल जी, राजू मोहन, राजेंद्र गुप्ता वगैरह बैठते थे। दो, बस स्टैंड के बाहर तांगा जहां ज्यादातर अनिल लोढ़ा जी और भास्कर के अन्य पत्रकार जुटते थे। तीसरा, बस स्टैंड के एग्जिट गेट के पास हिम्मत सिंह, राकेश सोनी, अखिल शर्मा और अन्य दो दो बजे तक बैठते थे।

पत्रकार अनुराग जैन ने बताया है कि शहर में दिन के संजीदा पत्रकारों का जमघट (आवागमन) स्व. श्री अभयकुमार जैन के फव्वारा चौराहे स्थित मंगल मुद्रणालय पर भी हुआ करता था। पत्रकारों की गतिविधियां यहीं से हुआ करती थीं।

स्वर्गीय बाबा विश्वदेव, कप्तान दुर्गा प्रसाद, घीसूलाल पांड्या, कैलाश वरणवाल, राजनारायण, मोहनराज भंडारी, श्याम जी , दिलीप जैन, विश्वविदेह विभूजी, राजकुमार दोसी, आर.के. चौधरी, लहर पत्रिका के संपादक प्रकाश जैन, सुरेश पारीक, वीरेंद्र आर्य, इन्दुशेखर पंचोली, एस. पी. मित्तल और तब के अन्य युवा पत्रकारों का भी आना जाना होता रहा। ऐसे कई और ठिये होंगे, जो मुझ अल्पज्ञानी की जानकारी में नहीं हैं। आपको पता हो तो इस सूची में इजाफा कर दीजिए।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें