हालांकि पिछले कुछ सालों में यह देखा गया है कि मौसम चक्र में परिवर्तन के कारण पुष्कर मेले के दौरान सर्दी नहीं बढी, मगर इस बार मावठ की बारिश होने के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि कहावत कुछ कुछ चरितार्थ हो रही है। हालांकि अब भी उतनी कडक व ठिठुराने वाली सर्दी नहीं पड रही, जिसके लिए कहावत बनी थी।
मंगलवार, 4 नवंबर 2025
पोखर जी को पानी हाल्यो, ठिठुरण चाल्यो
बुधवार, 29 अक्टूबर 2025
ऊर्जावान वरिष्ठ पत्रकार डॉ. निर्मल कुमार गर्ग का देहावसान
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025
बहुत प्रभावशाली रहे रामचंद्र चौधरी
शनिवार, 11 अक्टूबर 2025
इसलिए कायम है अजमेर का सांप्रदायिक सौहार्द्र
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025
अब दरगाह जियारत को कौन साथ ले जाएगा, मेरे दोस्त?
मरहूम जनाब मनवर खान कायमखानी उर्फ मनजी
सहसा यकीन ही नहीं होता कि जनाब मनवर खान कायमखानी उर्फ मनजी इस फानी दुनिया को अलविदा कर गए। उससे भी ज्यादा अफसोस इस खबर पर कि ऐसे बिंदास इंसान ने इतना जल्द यूं रुखसती कैसे ले ली? उन जैसा जिंदादिल इंसान ऐसा कर कैसे सकता है? दोस्तो को हौसले की रोशनी देने वाला अपनी रोशनी इस तरह कैसे समेट सकता है? जिसकी शख्सियत पूरी तरह से खिले हुए फूल सी थी, वह यकायक कैसे मुरझा सकती है? हर वक्त शिद्दत से कुछ नया करने का जज्बा रखने वाले उस शख्स का तजकिरा करने में लफ्ज साथ देने को तैयार नहीं हैं। वे यारों के यार थे। वह उनकी फितरत थी। क्या मजाल कि उनकी दुकान से गुजरने वाला कोई दोस्त उनकी चाय पिये बिना चला जाए?मुझे वे दिन याद आते हैं, जब रीजनल कॉलेज चौराहे पर आज जैसी चहल-कदमी नहीं थी, मगर जब भी कोई वीआईपी उधर से गुजरता तो उसके इस्तकबाल करने को उनकी टीम इस चौराहे को आबाद कर देती थी। यहीं से उनकी पहचान बनी। तब कोई पूछे कि मनवर खान कौन, तो यही जवाब आता कि वही रीजनल कॉलेज चौराहे वाले। वे युवक कांग्रेस के दमदार नेता थे। वे विधानसभा चुनाव 2023 में अजमेर संभाग के प्रोटोकॉल इंचार्ज थे। उन्होंने सन् 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में दनिलइम्दा इलाके में बतौर एआईसीसी ऑब्जर्वर की जिम्मेदारी निभाते हुए तकरीबन दो महीने तक दौरे किए। वे पूर्व विधायक डॉ श्रीगोपाल बाहेती के बहुत करीबी थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खासा जानकार थे। इसी की बदोलत अजमेर नगर निगम के मनोनीत पार्षद बने। बतौर पार्षद कोटडा इलाके के खूब खिदमत की। सभी मजहबों के प्रति गहरी अकीदत रखते थे। बहुत सियासी समझ रखते थे। कई बार गुफ्तगू में मजहबी भेदभाव पर अफसोस जताते थे, मुल्क की बहबूदी की बातें किया करते थे। कोटडा इलाके में हिंदुओं के सभी त्यौहारों में खुल कर हिस्सा लेते थे। मेन रोड से शिव मंदिर को हटा कर थोडा अंदर की तरफ शिफ्ट करवाने की जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई।
आईटी की खूब जानकारी रखते थे। ईमित्र का बखूबी संचालन किया। सोशल मीडिया पर छाये रहते थे। क्या कोई इस बात पर यकीन करेगा कि हाल ही 5 अक्टूबर को उन्होंने फेसबुक पर कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के फोटो साझा किए थे। फेसबुक पर उनके छह हजार सात सौ फॉलोअर रहे।
उनका इंतकाल मेरे लिए बहुत बडा निजी नुकसान है। बहुत मोहब्बत करते थे, बहुत इज्जत बख्शा करते थे। वे मुझे हर जुम्मेरात अलसुबह पांच बजे दरगाह जियारत के लिए साथ लेकर जाते थे।
अफसोस कि ऐसा इंसान, जिसमें अभी बहुत कुछ करने का जज्बा था, हौसला था, वह कैसे बीमारी से मुकाबला करते करते हौसला खो बैठा। उनकी हस्ती का तजकिरा करते हुए लगता है कि बहुत कुछ छूट रहा है। खुदा उन्हें अपनी जन्नत में आला मकाम अता फरमाए। मैं उन को अश्कबार खिराज-ए-अकीदत पेश करता हूं।
बुधवार, 8 अक्टूबर 2025
कांग्रेस के स्तम्भ थे स्वर्गीय श्री कुलदीप कपूर
गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025
हरदिल अजीज थे खादिम जनाब अब्दुल बारी चिश्ती
सोमवार, 29 सितंबर 2025
साहित्य को समर्पित श्री उमेश चौरसिया
सेवानिवृत्ति के उपरांत और अधिक ऊर्जा से सरस्वती की सेवा का संकल्प
सुपरिचित साहित्यकार श्री उमेश चौरसिया 29 सितंबर 2025 को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सहायक निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हो गए। अजमेर के साहित्य जगत व रंगकर्मीय पटल पर सर्वाधिक सक्रिय व ऊर्जावान हस्ताक्षरों में से एक हैं श्री उमेश कुमार चौरसिया। साहित्य को समर्पित यह शख्स न केवल अपनी सुवास बिखेर रहा है, अपितु नवोदित लेखकों को भी पल्लवित व पुष्पित करने में जुटा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो, जबकि वे किसी न किसी साहित्यिक गतिविधि से न जुड़े हों।
कहते हैं न कि विद्या ददाति विनयम, ठीक उसी को चरितार्थ करती है उनके चेहरे पर पसरी विनम्रता। व्यवहार की सरलता, सहजता आपको तनिक भी अहसास नहीं होने देती कि भीतर एक गंभीर चिंतक व सृजनधर्मी का निवास है।
श्री चौरसिया ने अब तक 52 पुस्तकों का लेखन किया है। उन्हें अब तक अनेकानेक पुरस्कार मिल चुके हैं। गत दिवस जब उन्होंने सेवानिवृत्ति पर आयोजित समारोह के निमंत्रण दिया तो, मैने विनोद करते हुए कहा कि आप तो अभी जवान हैं, बोर्ड आपको सेवानिवृत्त कैसे कर रहा है? उन्होंने कहा कि यह केवल नौकरी से सेवानिवृत्ति है, उन्हें अब और अधिक उर्जा से मां सरस्वती की सेवा करने का मौका मिलेगा। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनकी सृजनधर्मिता को प्रणाम करता है। साथ ही उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना करता है।
सोमवार, 15 सितंबर 2025
क्या दोषी अफसरों को सजा मिल पाएगी?
जरा पीछे मुड कर देखें तो आपको ख्याल में आ जाएगा कि जिन दिनों सेवन वंडर्स का निर्माण आरंभ किया गया था, तब कई जागरूक लोगों ने ऐतराज जताया था कि आनासागर के किनारों का पाट कर इसका निर्माण करना गलत है। मीडिया ने भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई। बाकायदा फोटोज छापे, किनारे को मिट्टी से पाटते हुए। मगर जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी थीं। आनासागर का जल भराव क्षेत्र कम होने पर खूब चिंता जताई गई, जिसका नतीजा बाद में पूरे अजमेर ने भुगता, मगर संबंधित अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। किसी भी अधिकारी ने इन सवालों के जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। अचरज होता है कि नियम विरूद्ध हो रहे निर्माण को संज्ञान में लाए जाने को अफसरों ने नजरअंदाज क्यों कर किया? क्या किसी का दबाव था या निजी हित साधे जा रहे थे?
यह बेहद अफसोसनाक है कि कथित रूप से स्मार्ट किए जा रहे अजमेर का चेहरा चमकाने की बजाय, उस पर कालिख पोती जा रही है। अफसोस इस बात पर भी कि कुछ विघ्नसंतोशी सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व पार्शद अषोक मलिक पर तोहमत लगा रहे हैं कि एक तो अजमेर में वैसे ही विकास हो नहीं पाता, और जब होता है तो उन जैसे लोग उसे तुडवाने में लगे हुए हैं।
आज जब अजमेर की आत्मा आर्तनाद कर रही है कि तब क्या सरकार इस पर गौर करेगी? या फिर इसके लिए भी किसी सोशल एक्टिविस्ट को कोर्ट में गुहार लगानी पडेगी? राजनीति से जुडे लोगों को तो एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने से ही फुरसत नहीं है। उनसे अपेक्षा करना बेमानी है। अब देखते हैं कि क्या दोषी अफसरों के गले नापे जाते हैं या नहीं। सिस्टम की जैसी रवायत है, उसे देखते हुए तो यही लगता है कि लोगों की आवाजें नक्कारखाने में तूती की तरह दब जाएंगी। ऐसा लगता है कि फिर अधिकारियों को बचाने का कोई न कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।
रविवार, 14 सितंबर 2025
जिंदादिल कांग्रेस नेता श्री हरीश मोतियानी नहीं रहे
उनका जन्म 12 जुलाई 1961 में हुआ। उन्होंने 1981 में राजकीय महाविद्यालय से बीकॉम की डिग्री हासिल की। विवाह 30 मई 1987 को हुआ। वे युवा अवस्था से ही कांग्रेस में अनेक पदों पर सक्रिय रहे। सन् 1990 से 1995 तक नगर निगम में पार्षद रहे। उनके पिताश्री स्वर्गीय वासदेव मोतियानी का स्याही का कारोबार था, जो मिनिस्टर इंक के नाम से प्रसिद्ध रहा। पिताश्री के निधन के बाद उन्होंने कारोबार संभाला। उन्होंने 1996 से स्टेश्नरी का होलसेल कारोबार आरंभ किया।
शुक्रवार, 5 सितंबर 2025
क्या सुरेश कासलीवाल फिर राजनीति में प्रवेश करेंगे?
वरिष्ठ पत्रकार सुरेश कासलीवाल ने फिर खेली नई पारी, पहला डेली डिजिटल अखबार शुरू किया
हाल ही जब वरिष्ठ पत्रकार सुरेष कासलीवाल चार एक्सटेंशन के बाद दैनिक भास्कर, अजमेर से डिजिटल हैड के पद से रिटायर हुए तो मेरे एक मित्र ने मुझ से पूछा कि क्या अब वे राजनीति में फिर प्रवेश करेंगे? मैं तो स्तब्ध रह गया। मैने उनसे पूछा कि आप ऐसा कयास क्यों लगा रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि वे मांगलियावास के सरपंच रह चुके हैं और एक बार नसीराबाद विधानसभा सीट का टिकट हासिल करते करते रह गए थे। तो पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद नई राजनीतिक पारी खेल सकते हैं। उनकी बात में दम तो है।
यही सही है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि के वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेश कासलीवाल ने जब 1989 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया तो उन्होंने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि यही उनका केरियर हो जाएगा। असल में वे निकटवर्ती मांगलियावास गांव के सरपंच थे। सन् 1989 में पहली बार उपसरपंच चुने गए। उसके बाद सन् 1995 से 2000 तक व सन् 2005 से 2010 तक सरपंच रहे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी पंचायत में जैन समाज का मात्र एक ही परिवार है, अर्थात जनता ने उनका व्यवहार देख कर बिना किसी जात-पांत के वोट दिए। सरपंच रहते बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए राजस्थान में अव्वल दर्जे का काम किया। इसके उपलक्ष में उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया गया। वे पीसांगन पंचायत समिति की 45 ग्राम पंचायतों के सरपंच संघ के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए नहीं थे और न ही किसी पार्टी के सदस्य रहे, लेकिन तत्कालीन पुष्कर विधायक स्वर्गीय जनाब रमजान खान से गहरी दोस्ती थी। तब नसीराबाद विधानसभा सीट के लिए भाजपा में दो दावेदारों के बीच टिकट को लेकर घमासान चल रहा था। मरहूम जनाब रमजान खान को लगा कि दोनों को छोड़ किसी तीसरे बेदाग व दबंग युवा पर दांव खेला जाए। उन्होंने ही तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री भैरोंसिंह शेखावत से यह कह कर नसीराबाद से विधानसभा चुनाव का टिकट देने की सिफारिश की कि ये बंदा तेज-तर्रार व जनता को समर्पित होने के कारण लोकप्रिय है और जीत जाएगा। श्री कासलीवाल को चुनाव की तैयारी करने को भी कह दिया गया, लेकिन भाजपा ने ऐन वक्त पर समझौते के तहत नसीराबाद सीट जनता दल को दे दी और श्रीकरण चौधरी ने चुनाव लड़ा। वे हार गए। यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि उनकी पुत्री ज्योतिका जैन नगर पालिका सरवाड़ के वार्ड संख्या 14 से कांग्रेस की पार्षद रही हैं। उनकी जीत भी इस कारण ज्यादा मायने रखती है कि इस वार्ड से पहले कभी कांग्रेस चुनाव नहीं जीत पाई थी। इसके बाद डॉ रघु शर्मा ने उन्हें मनोनीत पार्षद भी बनाया था। श्री कासलीवाल की बड़ी बहन भी दूदू ग्राम पंचायत की वार्ड मेंबर रही। दैनिक भास्कर में रहते हुए उन्होंने एक साल में ही आठ नेशनल अवार्ड जीतकर और ग्रेट चौंपियन बन पूरे देश में छाप छोड़ी थी। दसवीं बोर्ड की कॉपी जांचें ही नंबर दे देने की उनकी खबर ने देश में प्रथम स्थान हासिल किया।
वे अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे हैं और उनके कार्यकाल में क्लब की नई बिल्डंग में अनेक विकास कार्य करवाए।
पूरे 28 साल तक भास्कर में नौकरी करने के बाद 30 जून को अंतिम दिन अपने साथियों को बोला भी था कि वो जल्द नई पारी खेलेंगे। बहरहाल, हाल ही 6 अगस्त से उन्होंने अपना डेली ईवनिंग डिजिटल न्यूज पेपर राजस्थान लहर आरंभ किया है। न्यूज चौनल भी जल्द शुरू कर रहे है। यानि पत्रकारिता को निरंतर जारी रखे हुए हैं। क्या फिर राजनीति में आने का मूड बनेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।
रविवार, 10 अगस्त 2025
गरीब नवाज की दौलत केवल इतनी ही थी
बुजुर्गवार बताते हैं कि उनके व्यक्तिगत सामान में दो जोड़ी कपड़े, एक लाठी, एक तीर-कमान, एक नमकदानी, एक कंछी और एक दातून थी। हर वक्त वे इतना ही सामान अपने पास रखते थे। उन्होंने कभी तीसरी जोड़ी अपने पास नहीं रखी। यदि कपड़े फटने लगते तो उसी पर पैबंद लगा कर साफ करके उसे पहन लेते थे। यह काम भी वे खुद ही किया करते थे। पैबंद लग-लग कर उनके कपड़े इतने वजनी हो गए थे कि आखिरी वक्त में उनके कपड़ों का वजन साढ़े बारह किलो हो गया था।
केवल सामान के मामले में ही नहीं अपितु खाने-पीने के मामले में भी बेहद सीमित जरूरत रखते थे। पूरे दिन में वे दो बार कुरान पाठ कर लिया करते थे। इस दौरान इबादत में वे इतने व्यस्त हो जाते थे कि उन्हें खाने-पीने की ही खबर नहीं रहती थी। वे लगातार चार-पांच दिन रोजा रख लिया करते थे। यदि रोटी सूख जाती तो उसे फैंकते नहीं थे, बल्कि उसे ही भिगो कर खा लेते थे।
शुक्रवार, 1 अगस्त 2025
इस बार होगी निर्दलियों की पौ-बारह
चुनाव हारा हूं, भरोसा नहीं
चुनाव हारा हूं,
भरोसा नहीं।
यही भरोसा मेरी
असली जीत है।
शनिवार, 26 जुलाई 2025
क्या धनखड कांग्रेस में शामिल होंगे?
कुछ लोगों का मानना है कि उन पर इतना दबाव बनाया जाएगा कि चुप रहने में ही अपनी भलाई समझेंगे। दूसरी ओर कुछ का मानना है कि धनखड का जैसा स्वभाव है, वे ज्यादा दिन तक चुप रह नहीं पाएंगे। न चाहते हुए भी जाट व किसानों के दबाव में उनके हितों के लिए चल रहे संघर्ष में शामिल होंगे। पद पर रहते हुए भी उन्होंने किसानों की आवाज उठाई थी, जो उनकी विदाई का एक कारण माना जाता है।
जहां तक उनके कांग्रेस में शामिल होने का कयास है, तो उसके पीछे यह दलील दी जा रही है कि मूलतः वे कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं। एक बार किशनगढ से कांग्रेस के विधायक रहे तो एक बार अजमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड चुके हैं। दूसरा यह कि राज्यसभा में उन्होंने विपक्ष का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश की इस्तीफे के बाद धनखड के पक्ष में दी गई प्रतिक्रिया को भी रेखांकित किया जा रहा है। विपक्ष के नेताओं से मीटिंग्स को भी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से मुकालात के भी अर्थ निकाले जा रहे हैं।
हालांकि फिलहाल उनके भावी कदम के बारे में हो रहे कयास प्रीमैच्योर ही कहे जाएंगे, मगर इतना तय माना जा रहा है कि वे देर से ही सही, मगर मुखर जरूर होंगे।
मंगलवार, 22 जुलाई 2025
कीर्ति पाठक एक बार फिर नए अवतार में?
अब समय आ गया है कि राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से इतर अजमेर के लिए संगठित रूप से लड़ा जाए। जन प्रतिनिधियों और जन सेवकों को जवाबदेह ठहराया जाए, विकास न होने पर प्रश्न पूछे जायें और अकर्मण्यता का हिसाब मांगा जाए। हमें बीस साल का हिसाब लेना ही होगा और वो भी बिना इन की चालों में फंसे। वो आप को लपेटने का प्रयत्न करेंगे, आप की राजनीतिक प्रतिबद्धता पर प्रश्न खड़े करेंगे, आप को नाहक ही घेरेंगे ताकि जवाबदेही न ठहराई जाए, पर हमें अजमेर के लिए अडिग रहना होगा। हमें अजमेर की जल निकासी पर, अतिक्रमण से अवरुद्ध आनासागर के जलनिकास पर प्रश्न खड़े करने होंगे।
हमें समयबद्ध कार्य न होने पर इन से प्रश्न करने होंगे। हमें इन के ढीले ढाले रवैये पर उंगली उठानी होगी। हमें इन को कटघरे में खड़ा करना ही होगा। कब तक अजमेरवासी इस दोयम दर्जे का जीवन जीने को बाध्य होगा। यदि आप अजमेरवासी अब निडर हो प्रश्न करने की हिम्मत रखते हैं, तो आइए हम सब संगठित रूप से एक गैर राजनैतिक मंच से जुड़ें और अजमेर के लिए प्रश्न करें। उन्होंने सिविल सोसायटी अजमेर के नाम से सर्वे का एक फार्म भी साझा किया है।उनकी इस पोस्ट ये सवाल उठता है कि क्या वे आम आदमी पार्टी से इतर मंच खडा करने जा रही हैं? चूंकि उनकी पहचान आम आदमी पार्टी से है, इस कारण सुनहरी कॉलोनी में आम आदमी पार्टी हाय हाय के नारे लगे।
गुरुवार, 17 जुलाई 2025
डीपीआर के पूर्व सहायक निदेशक श्री मुकुल मिश्रा का निधन
रविवार, 6 जुलाई 2025
शैलेन्द्र अग्रवाल को इतनी क्रेडिट क्यो?
शनिवार, 5 जुलाई 2025
रामसेतु को लेकर सोशल मीडिया को राम राम
https://youtu.be/E-eTXDBfLb4
गुरुवार, 3 जुलाई 2025
यानि अंग्रेज हमसे ज्यादा ईमानदार थे
क्या राजनीति इतनी गंदी हो गई है?
नमस्कार मित्रों, कल कहीं सांत्वना देने पहुंचने पर उपस्थित मित्रों व अन्य ग्रामीणों ने कहा कि मैं भिनाय का विधायक बनने के लिए प्रयासरत हूं। इस पर मैंने उन्हें कहा कि मेरा राजनीति में कोई इंट्रेस्ट नहीं है, न ही मैं अपने आपको इसके लिए फिट मानता हूं, लेकिन वो माने नहीं।
दोस्तों, मेरा नेचर भगवान ने ऐसा बनाया है कि मैं गलत बात और गलत इंसान को स्वीकार ही नहीं कर पाता हूं, इसलिये मैं अपने आपको राजनीतिक फील्ड के योग्य मानता ही नहीं हूं। वहां आप अगर गलत को गलत कह दो तो बवाल हो जाए। वहां जीतने का पैरामीटर ही गलत और गलत लोग होते हैं। अभी हाल ही में मुझे मेरे साथियों ने बार अध्यक्ष का चुनाव लड़वाया। मैंने उन्हें वेरी फर्स्ट डे ही बोल दिया था कि 13 लोगों के पास मैं नहीं जाऊंगा, नहीं गया लास्ट तक... क्योंकि मुझे राजनीति करना आता ही नहीं है। चेहरे पर झूठी मुस्कान और नफरत के समय मुस्कान लाना न तो आया और न ही लाना चाहता हूं। इसलिये मित्रों मैं आप सभी को बता दूं कि मैं न तो किसी राजनीतिक दल का सदस्य हूं, न ही भविष्य में मैं विधायक का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं। मेरा नेचर है लोगों के सुःख दुःख में शामिल होने का, वो सदैव रहेगा। मुझे वकालात और पत्रकारिता में मजा आता है मैं वो जीवन पर्यन्त करूंगा ही और रिलेशन निभाना,सुःख दुःख में शामिल होना मेरा नेचर है, जिसे मैं इसलिये चैंज नहीं कर सकता कि चार लोग ये और वो सोच रहे हैं।
श्री आहूजा अपनी जगह ठीक प्रतीत होते हैं, मगर सवाल यह उठता है कि सच बोलने वाले या सज्जन राजनीति में नहीं आएंगे तो राजनीति का क्या हाल होगा? तब तो राजनीति में शुचिता की उम्मीद करना बेकार है। बेशक श्री आहूजा अपनी ओर से राजनीति में नहीं आना चाहते, मगर कल यह भी तो हो सकता है कि बार चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी कुछ लोग उन्हें चुनाव लडवा दें। रहा सवाल लोगों की धारणा का तो, वह भी ठीक है, क्योंकि जो भी सोसायटी में सक्रिय होता है तो यही माना जाता है कि चुनाव की तैयारी कर रहा है। वे न केवल सफलता पूर्वक वकालत कर रहे हैं और जरूरतमंद की मदद को तत्पर रहते हैं, अपितु सामाजिक सरोकार के लिए भी सतत सक्रिय रहते हैं। वे जिले के चंद जागरूक व ऊर्जा न लोगों में गिने जाते हैं। ऐसे में अगर कोई ऐसा सोचता है कि वे चुनाव लड सकते हैं, तो वह अपनी जगह ठीक है।
बहरहाल, जब श्री आहूजा से सवाल किया गया कि आपने भिनाय का जिक्र क्यों किया है, जबकि वह तो मसूदा विधानसभा क्षेत्र में है, तो उन्होंने बताया कि ऐसा अनुमान है कि परिसीमन के बाद भिनाय फिर से विधानसभा क्षेत्र हो जाएगा। ऐसा सोच कर ही मित्र अनुमान लगा रहे हैं कि वे वहां से चुनाव लडने का मानस बना रहे हैं।
मंगलवार, 1 जुलाई 2025
अजमेर की बेटी रुमानी कपूर ने फहराया अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर परचम
रुमानी एक अनुभवी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जिन्होंने अमेरिका में हेल्थकेयर और डिजिटल तकनीक क्षेत्रों में नेतृत्व करते हुए कई सफल प्रोजेक्ट्स पूरे किए हैं। इसके साथ ही वह दूसरा दषक एलजीओ के साथ ग्रामीण भारत में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देती हैं और अमेरिका में को-म्यूजिक प्रो व एसएसएआईएस के साथ समावेशी कला व स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए काम करती हैं। वे कई अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट कार्यक्रमों की मास्टर ऑफ सेरेमनी रह चुकी हैं और एनजीओ के लिए सोशल मीडिया व इवेंट मैनेजमेंट भी संभालती हैं। रुमानी कपूर नारी सशक्तिकरण की प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं, जो अपने पारंपरिक मूल्यों को विश्व मंच पर आत्मविश्वास और सौंदर्य के साथ प्रस्तुत कर रही हैं।
उनका परिवार साधारण एवं शिक्षा से जुड़ा इंसानियत के प्रति सजग परिवार है। रुमानी केतकी सिन्हा और प्रिंस सलीम की बिटिया हैं। जिन्होंने सेंट मैरी कान्वेंट स्कूल अजमेर में शिक्षा प्राप्त की। स्कूल के दिनों से वह अकादमिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में आगे रही है। उन्होंने ऐमेटी युनिवर्सिटी जयपुर से टोप रेंक बीटेक किया। वहीं से अजीम प्रेमजी की विप्रो कम्पनी में जाब हासिल की। उसके बाद जयपुर निवासी राहुल कपूर से अजमेर में शादी हुई। 2019में सीमेन्स कम्पनी जोइन कर सीएटल शहर (अमेरिका) में सीनियर सोफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजिनियर के रूप में पति पत्नी कार्यरत हैं। वे अपनी सफलता के लिए मिसेज कविता खरायत, श्री सनी काम्बले, लुबना आदम और अंजलि साहनी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हैं।
सोमवार, 30 जून 2025
धनेश्वर मन्दिर सेवा ट्रस्ट के माध्यम से सेवाकार्य
मन्दिर से आने वाले दान एवं शिष्टाचार भेंट में आये धन से गरीब बच्चों की शिक्षा, वृद्धा सेवा में अन्न-वस्त्र में ही खर्च कर दीदी नाम से पहचान से जानी जाती रही। उनके देवलोक गमन सिंधी तिथि 23 दिसंबर 2018 के बाद अब मन्दिर की सेवा भाभी हर्षिता एवं मन्दिर सेवादारियों द्वारा अन्न- वस्त्र सेवा, सामाजिक सेवा एवं बच्चों की शिक्षा सेवा का कार्य किया जाता है। अब सेविका हर्षिता जी एवं अन्य सेवादारियों द्वारा धनेश्वर मन्दिर सेवा ट्रस्ट का गठन कर मन्दिर के सेवा कार्य गर्मी में जगह वाटर कूलर, पक्षियों के अन्न-जल पात्र बांटना, गौ मां के चारा-पानी की शुरुआत करने का विचार बन रहा है।
शुक्रवार, 27 जून 2025
अजमेर में भी फिल्मसिटी विकसित हो सकती है
तीर्थराज पुष्कर व दरगाह ख्वाजा साहब के बदौलत अजमेर में धार्मिक पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं, लेकिन यदि थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो यहां फिल्म सिटी भी विकसित हो सकती है। असल में अजमेर में ऐसे अनेक स्थान हैं, जो फिल्मों के लिए बेहद उपयुक्त हैं। धार्मिक दृष्टि से जहां दरगाह, पुष्कर, साईं बाबा का मंदिर, सोनी जी की नसियां महत्वपूर्ण हैं, वहीं प्राकृतिक दृष्टि से आनासागर झील, फायसागर झील, अजयसर की पहाडिय़ां, नाग पहाड़, पुष्कर के आसपास का क्षेत्र, पीतांबर की गाल, बीसलपुर, बीर और ऐतिहासिक स्थलों की दृष्टि से तारागढ़, अकबर का किला, मेयो कॉलेज, रूपनगढ़ किला जैसे खूबसूरत व आदर्श स्थान उपलब्ध हैं। अजमेर की भौगोलिक स्थिति ने फिल्मी जगत को आकर्षित किया है। पिया मिलन री आस, दिल्ली 6, नमस्ते लंदन, कच्ची सड़क, इंसाफ कौन करेगा, मैं सोलह बरस का, जुर्म और सजा, बंटवारा, मेरे गरीब नवाज, दुनिया मेरी जेब में, परंपरा आदि फिल्मों की शूटिंग अजमेर व आसपास के इलाकों में हुई है। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना व धर्मेन्द्र की फिल्म बंटवारा में तो पुष्कर के मेले को ही दर्शाया गया है। चाइनीज फिल्म होली स्मोक की हीरोइन चौरी पर कुछ दृश्य पुष्कर के गऊ घाट पर फिल्माए जा चुके हैं। इसी प्रकार रब्बी शेरगिल ने सूफी कवि बुल्ले शाह की रचना बुल्ला की जाणां मैं कौन पर बनाए म्यूजिक वीडियो में दरगाह व पुष्कर को शामिल किया है। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी का एक विज्ञापन यहीं बनाया जा चुका है। हिंदी रॉक बैंड यूफोरिया ने अपने एलबम पुष्कर के सनसेट प्वाइंट व बाजारों में शूट किया। फिल्म कन्हैया की शूटिंग टोरेंटो पैलेस में हुई। चंद वर्ष पहले नमस्ते लंदन के गीत मैं जहां रहूं् के कुछ हिस्से दरगाह में शूट किए जाते वक्त हीरोइन कैटरीना कैफ के स्कर्ट पहन कर दरगाह जियारत करने पर बड़ा हल्ला हुआ था।
यह भी रोचक तथ्य है कि जाने-माने फिल्म अभिनेता व रंगकर्मी नसीरुद्दीन शाह ने स्कूल शिक्षा अजमेर में ही सेंट एंसलम्स में हासिल की। करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने पत्नी व बेटे के सहयोग से तीन नाटकों का मंचन किया था। दुनियाभर में प्रसिद्ध महान संगीतकार ए. आर. रहमान का अजमेर से विशेष लगाव है और उन्होंने यहां कुंदननगर में एक बंगला भी बना रखा है। अजमेर के कुछ कलाकारों ने फिल्मों में काम किया है। पचास-साठ के दशक में अजमेर के श्री उल्हास ने अनेक फिल्मों में हास्य कलाकार ने काम किया। फिल्म निर्माता श्री प्रेमनाथ असावा की राजस्थानी फिल्म पिया मिलन री आस में अजमेर की उर्मिला आर्य उर्फ अनुश्री ने काम किया। सह निर्माता श्री राजेन्द्र माथुर की राजस्थानी फिल्म बंधन वचना रो में भी उन्होंने काम किया। इस फिल्म में हीरो की भूमिका अजमेर के जेलर रहे स्वर्गीय श्री भारतभूषण भट्ट ने अदा की। सोफिया कॉलेज की छात्रा शिल्पी सैनी ने भी काम किया। राज्यसभा सदस्य डा. प्रभा ठाकुर के बेटे राहुल ठाकुर कई फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं। यहीं के राजीव पॉल छोटे पर्दे के लिए काम कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्री अभय कुमार बीजावत के बेटे मनोज बीजावत भी फिल्मी दुनिया में सक्रिय हैं। स्थानीय कलाकार भाजपा नेता बाबूभाई घोसी ने फिल्म आज का अर्जुन, द हीरो अभिमन्यु, करण-अर्जुन और टीवी सीरियल अकबर द ग्रेट व द ग्रेट मराठा में काम किया।
छोटे पर्दे पर लाइव शो लॉफ्टर चौलेंज में अजमेर के प्रसिद्ध हास्य कवि रासबिहारी गौड़ खूब धूम मचा चुके हैं। गिटारिस्ट सतीष षर्मा अनेक फिल्मी गीतों में गिटार बजा चुके हैं और उनका बडा नाम है। कई वीडियो षूट कर चुके हैं। हाल ही पुश्कर में उन्होंने एक वीडियो षूट किया। अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार व प्रसिद्ध गजलकार सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने कुछ फिल्मों की पटकथा व गजलें लिखी हैं। वरिष्ठ पत्रकार महावीर सिंह चौहान, अशोक शर्मा, श्याम माथुर, अमित टंडन व गोविंद मनवानी एक अरसे से बेहतरीन फिल्म व टीवी समीक्षाएं लिखते रहे हैं। वरिष्ठतम प्रूफरीडर रहे आर. डी. प्रेम ने फिल्मों के लिए गीत लिखे। फिल्म वितरक रहे नारायण माथुर के जरिए अनेक फिल्मी एक्टर-एक्ट्रेस व डायरेक्टर्स ने दरगाह जियारत की है। खादिम कुतुबुद्दीन सखी अनेक कलाकारों को जियारत करवा चुके हैं।
कुल जमा बात ये है कि फिल्म जगत से अजमेर के अनेक महानुभाव जुडे हुए हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=0wftd-j_rUQ&t=62s
बुधवार, 25 जून 2025
पलाडा के जन्मदिन पर उमडा जनसैलाब
गुरुवार, 19 जून 2025
कांग्रेस से क्यों विमुख होते जा रहे हैं सिंधी नेता?
रविवार, 15 जून 2025
छोटा सा गांव टहला बना शक्तिकेन्द्र
मातृभूमि की अनूठी पूजा की औंकार सिंह लखावत ने
अजमेर के निकटवर्ती नागौर जिले का छोटा सा टहला गांव। गत दिनों चहल-पहल के आगोश में था। प्रदेश भर के छोटे-बडे नेताओं की आवाजाही से आबाद। एक जागृत शक्ति केन्द्र का आभास। मौका था राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत की धर्म पत्नी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने का। दिनभर श्रद्धालुओं का तांता। आवभगत में कोई कमी नहीं। हर एक को आते ही पानी की बोतल। तुरंत बाद चाय की प्याली। भीषण गर्मी से निजात दिलाने के लिए दो बडे कूलर। लखावत बैठक के एक कोने में मुड्डे पर बैठे हुए दिखाई देते हैं। शांत, अविचल। धीर-गंभीर चहरे के भीतर से झांकता जीवनसाथी के विछोह का दर्द। हर खास को अपने पास सोफे पर बिठाते हैं। सुनते सबकी हैं, खुद चंद शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। पूरे बाहर दिन सुबह से लेकर शाम तक लगातार बैठना कितना कठिन है, यह वे ही समझ सकते हैं। कौतुहल होता है कि वे चाहते तो शोक बैठक अपनी कर्मस्थली अजमेर में भी रख सकते थे, जहां कहीं अधिक गुना लोग संवेदना व्यक्त करने आते, मगर उन्होंने इसके लिए चुना अपनी मातृभूमि को। कदाचित धर्मपत्नी की मृत्युपूर्व इच्छानुसार या पारिवारिक परंपरा के निर्वहन की खातिर। और उससे भी अधिक जन्म देने वाली भूमि की पूजा की खातिर। भाव भंगिमा में मातृभूमि के प्रति समर्पण की संतुष्टि साफ झलकती है। कुछ इस तरह जताया आभारः-https://www.facebook.com/photo?fbid=10012922488797444&set=a.893845674038550
शुक्रवार, 6 जून 2025
लंबी राजनीतिक यात्रा के बाद बी पी सारस्वत को मिला यथोचित सम्मान
जब उन्हें देहात जिला भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई तो यह माना जाने लगा कि उनकी किस्मत में केवल सेवा ही लिखी है। तीन विधानसभा चुनावों में वे ब्यावर सीट के दावेदार रहे, उसके बाद अजमेर उत्तर अथवा केकड़ी से प्रबल दावेदार थे, मगर उन्हें मौका नहीं मिला। देहात जिले की छहों सीटों पर पार्टी की जीत ने यह साबित हो गया कि सांगठनिक लिहाज से उनकी कार्यशैली अद्भुद है। जिले में पूरी निष्पक्षता के साथ शानदार सदस्यता अभियान चलाने का श्रेय भी उनके ही खाते में दर्ज है। वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी लोगों में माने जाते हैं।
वस्तुतः वे मूल्य आधारित विचारधारा के पोषक हैं और मूल्यों की रक्षा के कारण ही उठापटक की राजनीति में अप्रासंगिक से नजर आते हैं। नैतिक मूल्यों की रक्षा की खातिर ही उन्होंने भाजपा के शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष पद को त्याग दिया, हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय रहे हैं। पिछली अशोक गहलोत सरकार के दौरान विहिप नेता प्रवीण भाई तोगडिया के त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के दौरान उनको सहयोग करने वालों में प्रमुख होने के कारण उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था।
विद्यार्थी काल से ही वे संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। वे सन् 1981 से 86 तक परिषद के विभाग प्रमुख रहे। वे सन् 1992 से 95 तक संघ के ब्यावर नगर कार्यवाह रहे। वे सन् 1997 से 2004 तक विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री रहे हैं। वे सन् 1986 से 97 तक राजस्थान यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अनेक पदों पर और 2001 से 2003 तक अजमेर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। उनकी चौदह पुस्तकें और बीस पेपर्स प्रकाशित हो चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने पीएचडी की है। वे चीन, सिंगापुर, श्रीलंका व पाकिस्तान आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं।
उनका जन्म जिले के छोटे से गांव ब्रिक्चियावास में सन् 1960 में हुआ। उच्च शिक्षा पाने के बाद वे ब्यावर स्थित राजकीय सनातन धर्म महाविद्यालय में लेक्चरर बने। लंबे समय तक नौकरी करने के बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बनाए गए। पदोन्नति के बाद प्रोफेसर बने। बाद में वे कॉमर्स विभाग के विभागाध्यक्ष और डीन बनाए गए। ग्यारह साल तक पीटीईटी (प्री. बी.एड़ परीक्षा) के कोर्डिनेटर बने। यह विश्वविद्यालय तब पीटीईटी की नोडल एजेंसी रहा। एक बार राज्य सरकार की ओर से रजिस्ट्रार पद नहीं भरा गया तो उनको तत्कालीन कुलपति ने रजिस्ट्रार का दायित्व सौंपा, जिसका निर्वहन करते हुए उन्होंने अनेक उपब्धियां हासिल कीं।
शुक्रवार, 30 मई 2025
बहुत जीवट वाले थे पत्रकार श्री निर्मल मिश्रा
उन्होंने पत्रकारिता की यात्रा 1984 में दैनिक आधुनिक राजस्थान से आरंभ की। तब मैं इंचार्ज था। वे बहुत महत्वाकांक्षी थे। ग्रामीण पृष्ठभूमि से अजमेर आ कर उन्होंने अपने आपको स्थापित करने के लिए बहुत मेहनत की। आरंभिक दिनों में उनका कहना था कि वे बहुत उंचाई को छूना चाहते हैं। मुझे चुनौती देते थे कि आप तो यहीं रह जाओगे, मैं नेशनल लेवल तक जा कर चैन लूंगा। उन्होंने दैनिक न्याय, दैनिक नवज्योति व राजस्थान पत्रिका में भी काम किया। आखिर में दैनिक भास्कर से जुडे रहे। खोजपूर्ण पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने खास पहचान बनाई। कम लोगों को ही पता होगा कि अजमेर के बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां व छायाचित्र सबसे पहले उनके हाथ लगे थे। उन्हें प्रकाशित करने में कुछ बाधाएं थीं। बाद में दूसरे पत्रकारों के हाथ लगे। ब्लैकमेल कांड पर कार्यवाही के लिए सरकार व प्रशासन पर दबाव बनाने वाले समूह में उनकी अहम भूमिका थी। क्राइम रिपोर्टिंग पर उनकी विशेष पकड थी। राजनीति व प्रशासन के क्षेत्र में भी खूब हाथ आजमाये। उन्होंने दैनिक नवज्योति में अजमेर विशेष पेज के लिए वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी के निर्देशन में अनेक खोजपूर्ण व दिलचस्प न्यूज आइटम दिए। दैनिक भास्कर में भी कई महत्वपूर्ण स्टोरीज कीं। वे राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ में भी सक्रिय रहे। पार्टटाइम पत्रकारिता करने वाले कर्मचारी नेता स्वर्गीय श्री सत्येश्वर प्रसाद शर्मा उन्हें पुत्रवत मानते थे। उनकी अच्छी खासी मित्र मंडली थी। राजनीतिक नेताओं भी गहरे ताल्लुकात थे। पत्रकार मित्र मंडली में सबसे छोटे होने के कारण सबके प्रिय थे और उनके छोटे-मोटे हठ को पूरा करने में खुशी महसूस करते थे। करीबी दोस्तों को सहसा यकीन ही नहीं हो रहा कि वे हमारे बीच नहीं रहे। कुल जमा अजमेर के पत्रकार जगत ने बहुत प्यारा, यारबाज व दिलेर पत्रकार खो दिया है। उनके जैसे यारबाज शख्स कम ही हैं, खासकर पत्रकार जगत में। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनके निधन पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। साथ ही उनके परिवार को इस वज्रपात को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
गुरुवार, 29 मई 2025
अग्रणी समाजसेवी थे श्री सुनील भुटानी
वे सुपरिचित कर कानून सलाहकार थे। उनका जन्म 5 फरवरी 1962 को हुआ। उनके पूर्वज सिंध के सेवण में रहते थे। उन्होंने 1985 में एम कॉम की डिग्री जीसीए से हासिल की और अपने मामा जाने-माने समाजसेवी श्री मोतीलाल ठाकुर के साथ टैक्स प्रैक्टिस आरंभ की। 2002 से उन्होंने अपना ऑफिस आरंभ किया। उनके पास अच्छा क्लाइंटेज था। प्रमुख व्यवसायी उनसे सलाह लिया करते थे। उनके चार भाई व चार बहिनें हैं। उनका विवाह 24 मार्च 1996 को हुआ। उनके एक पुत्र व एक पुत्री है। ज्ञातव्य है कि उनके जीजाजी श्री जगदीश वच्छानी समाज के एक स्तम्भ हैं। स्वामी श्री हिरदाराम जी के आशीर्वाद से प्रशासन पर गहरी पकड और एनआरआई से घनिष्ठ संबंधों के चलते समाजसेवा के अनेक प्रकल्प संचालित कर रहे हैं। स्वर्गीय श्री भुटानी के निधन से समाज को जो क्षति हुई है, उसकी पूर्ति असंभव है। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
शुक्रवार, 23 मई 2025
जियारत व पूजा भी कोई खबर है?
उसमें किसने जियारत करवाई, किसने तवरूख भेंट किया, किसने पूजा करवाई, कौन कौन मौजूद थे, आदि का जिक्र होता है। सवाल उठता है कि आम पाठक की क्या इसको जानने में रूचि होती है। वह हैडिंग पढ कर उसे छोड देता है या पूरी खबर पढता है। हां, अगर जियारत व पूजा के दौरान वह कोई बयान देता है तो वह जरूर खबर है, मगर केवल जियारत व पूजा खबर कैसे हो सकती है। होता अमूमन ये है कि जब भी कोई दरगाह षरीफ में आता है या तीर्थराज पुश्कर की पूजा करता है तो मीडिया उसे घेर लेती है और संबंधित व ताजा मामलों में उसका बयान लेती है, जो कि खबर बन जाती है। मुझे ख्याल आता है कि दैनिक भास्कर अजमेर के तत्कालीन स्थानीय संपादक श्री जगदीष षर्मा ने एक व्यवस्था बनाई थी कि जियारत व पूजा की कोई खबर नहीं जाएगी। यदि जाएगी भी तो दो तीन लाइन में, जानकारी मात्र के लिए। ताकि यह पता रहे कि अमुक विषिश्ट व्यक्ति यहां आया था। खबर तभी बनाई जाए जब वह कुछ बयान दे। उसमें भी जियारत व पूजा की जानकारी दो तीन लाइन में होनी चाहिए। यह व्यवस्था काफी दिन चली।
अब बात करते हैं कि जियारत व पूजा की खबर बनाने की परंपरा कैसे षुरू हुई। ऐसा प्रतीत होता है कि आरंभ में अखबार वालों ने विषिश्ट व्यक्ति के दरगाह व पुश्कर आने पर जियारत व पूजा करवाने वालों से खबर ली। बाद में इसका उलट हो गया। खबर अखबार के दफ्तर में भी आने लगी। यह ठीक वैसा ही है कि अमुक वकील ने अमुक मामले में अमुक को जमानत दिलवाई या बरी करवाया, और उसकी खबर बन जाए। अब तो जियारत व पूजा करने वाले स्वयं भी खबर लगवाने में रूचि लेते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=vvHkmnZ2HJ0
शनिवार, 17 मई 2025
आजादी के बाद अजमेर नगर पालिका से निगम के मुखिया
1948-49ः श्री कृष्णगोपाल गर्ग
1949-51ः श्री कृष्णगोपाल गर्ग
1951ः श्री विशम्बरनाथ भार्गव
1951-52ः श्री ज्वाला प्रसाद शर्मा
1952ः श्री जे. के. भगत
1953 व 54 में प्रशासकों ने व्यवस्था संभाली
1954-55ः श्री दुर्गादत्त उपाध्याय
1955-57ः श्री कृष्णगोपाल गर्ग
1957-58ः श्री ज्वालाप्रसाद शर्मा
1959-60ः श्री देवदत्त शर्मा
1960-61ः श्री माणकचंद सोगानी
1961 से 69 तक प्रशासकों ने व्यवस्थाएं संभाली
1970ः श्री एम.के. नाथूसिंह तंवर
1971ः श्री माणकचंद सोगानी
1973ः डॉ. एम. एल. बाघ
1973 से 90 तक प्रशासकों ने काम संभाला
1990-95ः श्री रतनलाल यादव
1995-2000 श्री वीरकुमार
24.1.2000-9.4.2000: श्रीमती विद्या कमलाकर जोशी (कार्यवाहक)
10.4.2000-28.8.2000: श्री सुरेन्द्र सिंह शेखावत
28.8.2000-22.12.2003ः श्रीमती अनिता भदेल
22.12.2003-31.12.2005ः श्रीमती सरोज देवी जाटव
2005-10ः श्री धर्मेन्द्र गहलोत
सन् 2008 में भाजपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पहल पर नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा दे दिया गया। इसकी घोषणा उन्होंने अजमेर में ही की। वे यहां राज्य स्तरीय गणतंत्र समारोह में शिरकत करने आई थीं। इस लिहाज से श्री धर्मेन्द्र गहलोत को पहला मेयर बनने का गौरव हासिल हुआ। हालांकि जनसंख्या संबंधी औपचारिकता बाद में कुछ गांव मिला कर की गई।
अगस्त 2010 में करीब बीस साल भाजपा का कब्जा रहने के बाद पहली बार कांग्रेस के नए चेहरे वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व पार्षद स्वर्गीय श्री हरिशचंद जटिया के पुत्र श्री कमल बाकोलिया अजमेर नगर निगम के पहले निर्वाचित मेयर बने। उन्होंने भाजपा के डॉ. प्रियशील हाड़ा को पराजित किया।
2015 में नई व्यवस्था के तहत मेयर का चुनाव पार्षदों में से किया गया और एक बार फिर धर्मेन्द्र गहलोत मेयर बने
2020 में भाजपा की श्रीमती ब्रजलता हाडा मेयर चुनी गई
गुरुवार, 15 मई 2025
आज भी जिंदा हैं सबा खान
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| फोटो कांग्रेस नेता सौरभ यादव ने अपनी फेसबुक वाल पर साझा की है। कदाचित सबा खान की यह आखिरी फोटो है। |
अब जरा, उनकी शख्सियत के बारे में। उनमें गजब की फुर्ती थी, चुस्ती थी। यानि बिजली जैसी चपलता। तभी तो उनकी साथिनें पूछा करती थीं कि कौन सी चक्की का आटा खाती हो। कांग्रेस में तकरीबन दस साल शहर महिला अध्यक्ष रहीं। इस दौरान शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो कि वे कहीं नजर न आई हों। राजनीति से इतर भी वे आम अवाम के हर काम के लिए जुटी दिखाई देती थीं। उनके पास शहर का जो भी मसला आता था, जो भी फरियादी आता था, वे तत्काल आला अफसरान के चेंबर में बेधड़क घुस कर पैरवी करती थीं। सियासत उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बन गई थी। कांग्रेस और भाजपा, दोनों में इस किस्म के नेता कम ही हैं। अफसोस, एक मर्द औरत कोरोना से जंग हार गईं। और इसी के साथ अपार संभावनाओं का अंत हो गया। शहर वासियों केलिए भी, परिवार वालों के लिए भी।
अल्लाह उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुकाम अता फरमाए। गमजदा परिवार वालों को सब्र जमील अता फरमाए। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनको भावभीन श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
मंगलवार, 13 मई 2025
प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है सुधाबाय में
हर मंगला चौथ पर भरता है मेला
तीर्थराज पुष्कर के ही निकट सुधाबाय में हर मंगला चौथ अर्थात मंगलवार व चतुर्थी तिथी का संगम होने पर मेला भरता है। यहां श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करते हैं। अनेक वे लोग, जो आर्थिक अथवा अन्य कारणों से अपने पितरों के पिंड भरने गया नहीं जा पाते, वे यहां यह अनुष्ठान करवाते हैं। बताया जाता है कि भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध इसी कुंड में किया था। मान्यता है कि यहां कुंड में स्नान से प्रेत-बाधा से मुक्ति मिलती है। इस कारण कथित ऊपरी हवा से पीड़ित लोगों को उनके परिजन यहां लाते हैं और कुंड में डुबकी लगवा कर राहत पाते हैं।जानकारों का कहना है कि पुष्कर से करीब 4 किलोमीटर दूर व बूढा पुश्कर के पास स्थित सुधाबाय कुंड में शुक्ल पक्ष चतुर्थी मंगलवार के त्रि-संयोग के अवसर पर गया माता स्वयं विराजमान रहती है। इस मौके पर नारायण बली की पूजा भी यहां पर करवाई जाती है। आसानी से देखा जा सकता है कि महिला पुरुषों में कुंड में स्नान करने के साथ ही अदृश्य आत्माएं स्वयं अपनी भाषा बोलती है। अपना नाम पता बोलती है तथा उसका शरीर से निकल जाने की सौगंध लेती हैं। स्नान करने के बाद कुछ समय में ही प्राणी हंसता हुआ स्नान करता है तथा कुंड से बाहर आता है।
पद्मपुराण के पृष्ठ संख्या 104 में लिखा है कि मर्यादा पर्वत यज्ञ पर्वत के बीच सतयुग के तीन कुंड बताए गए हैं, जिन्हें ज्येष्ठ पुष्कर, मध्य पुष्कर ओर कनिष्ठ पुष्कर के नाम से जाना जाता है। मध्य पुष्कर के समीप अवियोगा नामक एक चोकोर बावड़ी है, जिसके मध्य मे जल से युक्त एक कुआं है, जिसे सौभाग्य कूप कहते हैं। यहां पिंड दान करने से भटकती आत्माओं को मुक्ति मिलती है।
https://www.youtube.com/watch?v=Q1g4_2z08PU
रविवार, 11 मई 2025
समाजसेवी श्री ओमप्रकाश हीरानंदानी नहीं रहे
बेमिसाल सहजता की प्रतिमूर्ति थे स्वर्गीय श्री रासासिंह रावत
भाजपा में जाने से पहले रासासिंह रावत ने दो बार कांग्रेस के टिकट पर भीम विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वे हार गए। बाद में भाजपा में शामिल हो गए। वे विरजानंद स्कूल के प्रधानाचार्य रहे। बाद में उन्हें डीएवी स्कूल का प्राचार्य बना दिया गया, फिर वे आर्य समाज के प्रधान भी बने। आर्य स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान भी रहा है।
सांसद के रूप में उन्होंने सभी पांचों कार्यकालों में उन्होंने लोकसभा में अपनी शत-प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करवाई। अजमेर से जुड़ा शायद ही कोई ऐसा मुद्दा रहा होगा, जो उन्होंने लोकसभा में नहीं उठाया। यह अलग बात है कि दिल्ली में बहुत ज्यादा प्रभावी नेता के रूप में भूमिका न निभा पाने के कारण वे अजमेर के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। एक बार उनके मंत्री बनने की स्थितियां निर्मित भी हुईं, लेकिन चूंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सोलह सहयोगी दलों के साथ मिल कर सरकार बनाने के कारण वे दल आनुपातिक रूप में मंत्री हासिल करने में कामयाब हो गए और प्रो. रावत को एक सांसद के रूप में ही संतोष करना पड़ा। उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि वह सहज उपलब्ध हुआ करते थे। बेहद सरल स्वाभाव और विनम्रता उनके चारित्रिक आभूषण थे। 10 मई 2021 को उनका देहावसान हो गया। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
शनिवार, 3 मई 2025
आनासागर में लिंक ब्रिज होना चाहिए
https://www.youtube.com/watch?v=ZYZtVrpKDgs
गुरुवार, 1 मई 2025
अजमेर को ऊनाळो भलो
https://youtu.be/dzuGnBYux8M















