शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

चुनाव हारा हूं, भरोसा नहीं

दोस्तो, नमस्कार। किषनगढ के पूर्व निर्दलीय विधायक सुरेष टाक पिछले चुनाव भले ही हार गए हों, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। असल में उनकी हिम्मत के पीछे हैं वे विकास कार्य जो उन्होंने विधानसभा चुनाव फिर जीतने की उम्मीद में करवाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री अषोक गहलोत को समर्थन देकर उन्होंने सरकार का भरपूर लाभ लिया भी। लोग उनके जन समर्पण को भूले नहीं हैं। आषा थी कि जनता विकास कार्यों का याद रख कर चुनावी वैतरणी पार लगा देगी, मगर इस बार हुए चुनाव में जमीन पर जातीय व अन्य समीकरण बदल गए। नतीजतन वे हार गए। प्रसंगवष बता दें कि सचिन पायलट ने भी अजमेर में इसलिए विकास कार्य करवाए थे कि अगली बार जमीन और मजबूत होगी, मगर अकेले मोदी लहर ने सब कुछ धो दिया था। यानि जीत के लिए अकेले विकास कार्य पर्याप्त नहीं होते, तत्कालीन और फैक्टर भी असर डालते हैं। बहरहाल, वैसे भी किसी निर्दलीय का दुबारा चुना जाना कठिन ही होता है। निर्दलीय प्रत्याषी अमूमन काठ की हांडी की तरह होता है। हांडी एक बार में तो काम में आ भी सकती है, मगर अपवाद को छोड दे ंतो वह एक बार ही चढती है। खैर, हारने के बाद भी टाक जमीन पर पकड बनाए हुए हैं। उनका बडा समर्थक वर्ग है। अगले विधानसभा चुनाव बहुत दूर हैं, मगर नगर निगम चुनाव में अपना दखल जरूर रखेंगे। हाल ही उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर फोटो के साथ एक पोस्ट साझा की है- 

चुनाव हारा हूं,

भरोसा नहीं।

यही भरोसा मेरी 

असली जीत है।

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