शनिवार, 26 जुलाई 2025

क्या धनखड कांग्रेस में शामिल होंगे?

रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड क्या करेंगे? क्या वे नाराजगी में भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे? या हताश हो कर चुप बैठ जाएंगे? और लाल कृष्ण आडवानी की तरह निर्वासित जीवन जीयेंगे? या फिर नई राजनीतिक यात्रा के लिए कांग्रेस अथवा किसी और दल में शामिल होंगे? ये सवाल इन दिनों राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा में हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि उन पर इतना दबाव बनाया जाएगा कि चुप रहने में ही अपनी भलाई समझेंगे। दूसरी ओर कुछ का मानना है कि धनखड का जैसा स्वभाव है, वे ज्यादा दिन तक चुप रह नहीं पाएंगे। न चाहते हुए भी जाट व किसानों के दबाव में उनके हितों के लिए चल रहे संघर्ष में शामिल होंगे। पद पर रहते हुए भी उन्होंने किसानों की आवाज उठाई थी, जो उनकी विदाई का एक कारण माना जाता है।

जहां तक उनके कांग्रेस में शामिल होने का कयास है, तो उसके पीछे यह दलील दी जा रही है कि मूलतः वे कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं। एक बार किशनगढ से कांग्रेस के विधायक रहे तो एक बार अजमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड चुके हैं। दूसरा यह कि राज्यसभा में उन्होंने विपक्ष का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश की इस्तीफे के बाद धनखड के पक्ष में दी गई प्रतिक्रिया को भी रेखांकित किया जा रहा है। विपक्ष के नेताओं से मीटिंग्स को भी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से मुकालात के भी अर्थ निकाले जा रहे हैं।

हालांकि फिलहाल उनके भावी कदम के बारे में हो रहे कयास प्रीमैच्योर ही कहे जाएंगे, मगर इतना तय माना जा रहा है कि वे देर से ही सही, मगर मुखर जरूर होंगे।

मंगलवार, 22 जुलाई 2025

कीर्ति पाठक एक बार फिर नए अवतार में?

दोस्तो, नमस्कार। ऐसा प्रतीत होता है कि आम आदमी पार्टी की प्रखर नेत्री श्रीमती कीर्ति पाठक एक फिर अजमेर में सक्रिय होने की तैयारी में है। अन्ना हजारे के आंदोलन से उपजी श्रीमती कीर्ति पाठक ने अब तक आम आदमी पार्टी को खडा करने की अथक कोशिश की, मगर धरातल पर हुई राजनीतिक चालों और उपर से अपेक्षित सहयोग न मिलने के कारण उन्हें सफलता हासिल नहीं हो पाई। पिछले दिनों उन्हें जब सुनहरी कॉलोनी में वहां की कांग्रेस पार्षद श्रीमती चंचल बारवाल के पति निर्मल बारवाल से जुझते देखा गया तो यह साफ संकेत मिल गया कि वे एक बार फिर से मैदान में आ डटी हैं। वे सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर अजमेर की ज्वलंत समस्याओं को लेकर टिप्पणियां करने लगी हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, मगर निकट भविष्य में होने वाले नगर निगम चुनाव के मद्देनजर हाल ही उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की है, जो इस बात का साफ संकेत है कि वे कोई ताना बाना बुन रही हैं। उनकी ताजा पोस्ट देखिएः-

अब समय आ गया है कि राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से इतर अजमेर के लिए संगठित रूप से लड़ा जाए। जन प्रतिनिधियों और जन सेवकों को जवाबदेह ठहराया जाए, विकास न होने पर प्रश्न पूछे जायें और अकर्मण्यता का हिसाब मांगा जाए। हमें बीस साल का हिसाब लेना ही होगा और वो भी बिना इन की चालों में फंसे। वो आप को लपेटने का प्रयत्न करेंगे, आप की राजनीतिक प्रतिबद्धता पर प्रश्न खड़े करेंगे, आप को नाहक ही घेरेंगे ताकि जवाबदेही न ठहराई जाए, पर हमें अजमेर के लिए अडिग रहना होगा। हमें अजमेर की जल निकासी पर, अतिक्रमण से अवरुद्ध आनासागर के जलनिकास पर प्रश्न खड़े करने होंगे।

हमें समयबद्ध कार्य न होने पर इन से प्रश्न करने होंगे। हमें इन के ढीले ढाले रवैये पर उंगली उठानी होगी। हमें इन को कटघरे में खड़ा करना ही होगा। कब तक अजमेरवासी इस दोयम दर्जे का जीवन जीने को बाध्य होगा। यदि आप अजमेरवासी अब निडर हो प्रश्न करने की हिम्मत रखते हैं, तो आइए हम सब संगठित रूप से एक गैर राजनैतिक मंच से जुड़ें और अजमेर के लिए प्रश्न करें। उन्होंने सिविल सोसायटी अजमेर के नाम से सर्वे का एक फार्म भी साझा किया है।उनकी इस पोस्ट ये सवाल उठता है कि क्या वे आम आदमी पार्टी से इतर मंच खडा करने जा रही हैं? चूंकि उनकी पहचान आम आदमी पार्टी से है, इस कारण सुनहरी कॉलोनी में आम आदमी पार्टी हाय हाय के नारे लगे।

गुरुवार, 17 जुलाई 2025

डीपीआर के पूर्व सहायक निदेशक श्री मुकुल मिश्रा का निधन

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सहायक निदेशक पद से सेवानिवृत्त अजमेर निवासी श्री मुकुल मिश्रा का गांधीनगर में एक कार द्वारा टक्कर मारने से दर्दनाक निधन हो गया। उन्होंने सहायक जन संपर्क अधिकारी व जन संपर्क अधिकारी के रूप में अजमेर में कई सालों तक सेवाएं दीं। वे अत्यंत सहज व सरल व्यक्तित्व के धनी थे। मधुर मुस्कान के साथ मिलनसारिता के कारण अजमेर जिले के पत्रकार उन्हें बहुत सम्मान देते थे। वे शांत स्वभाव के थे। शायद ही उन्हें कभी किसी ने गुस्से में देखा हो। उनकी हैंड राइटिंग बहुत सुंदर थी। दरगाह व पुष्कर मेलों में उन्होंने डूब कर रिपोर्टिंग की। उन्होंने अजमेर के बारे में अनेक फीचर लिखे। वे सहायक निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

रविवार, 6 जुलाई 2025

शैलेन्द्र अग्रवाल को इतनी क्रेडिट क्यो?

हाल ही एक पोस्ट आपसे साझा की थी। जिसमें बताया गया था कि मोहित मल्होत्रा ने याद ताजा कर दी शैलेन्द्र अग्रवाल की। इस पर कुछ मित्रों ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि आपने अग्रवाल को इतनी बडी क्रेडिट कैसे दे दी? उनकी राजनीतिक यात्रा के अन्य पहलु भी हैं। उनका जिक्र क्यों नहीं किया? उनका सवाल ठीक है। तस्वीर का दूसरा पहलु उजागर करने का आग्रह है। इस पर मैने कहा कि यह न्यूज आइटम कोई शैलेन्द्र अग्रवाल को क्रेडिट देने के लिए नहीं बनाया गया था। वह तो केवल इस पर फोकस्ड था कि एक जमाने में अग्रवाल ने नेतृत्व में सेवादल मुख्य कांग्रेस संगठन से भी अधिक सक्रिय था। वह एक सच्चाई है, जिसे कोई नहीं नकार सकता। अगर उससे अग्रवाल को क्रेडिट मिलती है तो क्या किया जा सकता है। बाद में अग्रवाल ने क्या किया, यह उस न्यूज आइटम का विशय ही नहीं था। और अगर उनकी पूरी राजनीतिक यात्रा का शब्द चित्र बनाया गया तो, उनसे भी बडे नेताओं का जिक्र पहले करना पडेगा। ऐसे नेताओं की राजनीतिक यात्रा के उतार चढाव की जानकारी पब्लिक डोमेन में पहले से है। नाम लिखने की जरूरत नहीं है। और सबसे बडी बात यह कि भाजपा में भी त्रुटि करने वालों को फिर से अंगीकार किया गया है। इन संगठनों को पता है कि कौन नेता उपयोगी है। वफादारी से कहीं अधिक महत्ता है उपयोगिता की। यह संगठनों का अपना अधिकार क्षेत्र है कि वे किस नेता को कितना तवज्जो दें।


शनिवार, 5 जुलाई 2025

रामसेतु को लेकर सोशल मीडिया को राम राम

दोस्तो, नमस्कार। सोषल मीडिया में बहुत कमियां हैं। खासकर फर्जी व फेक सूचनाओं पर आपत्ति की जाती है। मर्यादा की कोई सीमा नहीं है। वह आरोप वाजिब है। मगर यह कितना प्रभावषाली है, इसका सबूत हाल ही राम सेतु की एक भुजा के बरसात में क्षतिग्रस्त होने पर मिला। जैसे ही यह जानकारी मिली कि एक भुजा की सडक पर गड्ढा हो गया है, जमीन थोडी धंस गई है, सारे न्यूज चैनल के संवाददाता व यूट्यूबर्स सक्रिय हो गए। मौके पर पहुंच कर बहुत बारीकी से पडताल कर जनता को मसले से रूबरू कराया। सोषल मीडिया के सारे प्लेटफार्म्स पर यह खबर वायरल होने लगी। आम जन की प्रतिक्रिया भी खुल कर सामने आई। जनमत भी त्वरित रूप से हिलोरें लेने लगा। राजनीति भी गरमाने लगी। हल्ला मचने पर जिला प्रषासन भी हरकत में आया। उसने त्वरित कार्यवाही करते हुए यातायात रोक कर क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत करवाई। ऐसा नहीं कि जिन दिनों सोषल मीडिया नहीं था, तब कार्यवाही नहीं होती थी। होती थी, मगर इतनी त्वरित नहीं। अव्वल तो जनता को दूसरे दिन अखबार पढ कर पता लगता था। दूसरा, जनमत का पता ही नहीं लगता था। प्रषासन पर इतना दबाव नहीं पडता था, जितना आज रामसेतु को लेकर हुआ। जनता की समस्याओं को लेकर सोषल मीडिया की जागरूकता वाकई सराहनीय है। साधुवाद। राम राम।

https://youtu.be/E-eTXDBfLb4

गुरुवार, 3 जुलाई 2025

यानि अंग्रेज हमसे ज्यादा ईमानदार थे

हाल ही राम सेतु की एक भुजा पर सडक पर तेज बारिश के कारण गड्ढा हो गया तो सोशल मीडिया पर कडी प्रतिक्रिया सामने आई। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप आरंभ हो गए। कांग्रेसी भाजपा को तो भाजपाई कांग्रेस को दोष दे रहे हैं। कोई राजनीतिक व्यवस्था को कोस रहा है तो कोई प्रशासनिक स्तर हुई लापरवाही पर तंज कस रहा है। बेशक घोटाले में राजनीतिक हिस्सेदारी होती है, मगर उसके रास्ते अफसरशाही ही निकालती है। और जैसे ही राजनीतिक खींचतान होती है, प्रशासनिक तंत्र सुकून में आ जाता है। कि आपस में झगडने से हम पर से ध्यान हट जाएगा। बस यहीं चूक हो जाती है। एक प्रतिक्रिया यह भी आई कि हमने जो ब्रिज बनाया, वह मात्र दो साल में क्षतिग्रस्त हो गया, जबकि अंग्रेजों के जमाने में एक सौ साल से भी ज्यादा पहले बने मार्टिंडल ब्रिज का कुछ नहीं बिगडा। इस प्रतिक्रिया के गहरे अर्थ हैं। इस टिप्पणी से यह सवाल उठता है कि क्या अंग्रेज हमारे से अधिक ईमानदार थे? बेशक ब्रितानी हुकूमत ने स्वाधीनता आंदोलन को कुचलने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को अनेक यातनाएं दीं, जो पीडादायक है, मगर ब्रिटिश सिस्टम में घोटाले नहीं होते थे। उस जमाने के अनेक निर्माण आज भी वजूद में हैं। सच तो यह है कि दरगाह और पुष्कर को छोड़ कर अगर अजमेर कुछ है तो उसमें अंग्रेज अफसरों का योगदान है। सीपीडब्ल्यूडी, सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एज्युकेशन, कलेक्ट्रेट बिल्डिंग, सेन्ट्रल जेल, पुलिस लाइन, टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, लोको-केरिज कारखाने, डिविजन रेलवे कार्यालय बिल्डिंग, मार्टिन्डल ब्रिज, सर्किट हाउस, अजमेर रेलवे स्टेशन, क्लॉक टावर, गवर्नमेन्ट हाई स्कूल, सोफिया कॉलेज व स्कूल, मेयो कॉलेज बिल्डिंग, लोको ग्राउण्ड, केरिज ग्राउण्ड, मिशन गर्ल्स स्कूल, अजमेर मिलिट्री स्कूल, नसीराबाद छावनी, सिविल लाइंस, तारघर, आर.एम.एस., गांधी भवन, नगर निगम भवन, जी.पी.ओ., विक्टोरिया हॉस्पिटल, मदार सेनीटोरियम, फॉयसागर, भावंता से अजमेर की वाटर सप्लाई, पावर हाउस की स्थापना, रेलवे हॉस्पिटल, दोनों रेलवे बिसिट आदि का निर्माण ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों के विजन का ही परिणाम था, जिससे अजमेर के विकास की बुनियाद पड़ी। वे निर्माण आज भी मजबूती के साथ खडे हैं। आज भी आप पुरानी पीढी के लोगों को यह कहते हुए सुनते होंगे कि मौजूदा राज से तो अंग्रेजों का राज अच्छा था। कुल जमा जैसे ही हमें आजादी मिली, स्वतंत्रता मिली, हमें बेईमानी करने की, घोटाले करने की छूट मिल गई। नतीजा सामने है।

क्या राजनीति इतनी गंदी हो गई है?

राजनीति का चेहरा कितना विद्रूप हो गया है कि सच बोलने वाला सियासत में हिस्सा लेना ही नहीं चाहता। चेहरा क्या, संपूर्ण राजनीति ही ऐसा दलदल हो गई है कि कोई सज्जन व्यक्ति उसमें फंसना नहीं चाहता। राजनीति में सच्चाई कम, आडंबर ज्यादा है। यानि राजनीति झूठ की बुनियाद पर टिकी है। इसका इशारा किया है केकडी बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष लोकप्रिय एडवोकेट मनोज आहुजा ने। उन्होंने अपनी फेसबुक वाल पर इसका तफसील से खुलासा किया है। उनकी पोस्ट हूबहू प्रस्तुत हैः-

नमस्कार मित्रों, कल कहीं सांत्वना देने पहुंचने पर उपस्थित मित्रों व अन्य ग्रामीणों ने कहा कि मैं भिनाय का विधायक बनने के लिए प्रयासरत हूं। इस पर मैंने उन्हें कहा कि मेरा राजनीति में कोई इंट्रेस्ट नहीं है, न ही मैं अपने आपको इसके लिए फिट मानता हूं, लेकिन वो माने नहीं। 

दोस्तों, मेरा नेचर भगवान ने ऐसा बनाया है कि मैं गलत बात और गलत इंसान को स्वीकार ही नहीं कर पाता हूं, इसलिये मैं अपने आपको राजनीतिक फील्ड के योग्य मानता ही नहीं हूं। वहां आप अगर गलत को गलत कह दो तो बवाल हो जाए। वहां जीतने का पैरामीटर ही गलत और गलत लोग होते हैं। अभी हाल ही में मुझे मेरे साथियों ने बार अध्यक्ष का चुनाव लड़वाया। मैंने उन्हें वेरी फर्स्ट डे ही बोल दिया था कि 13 लोगों के पास मैं नहीं जाऊंगा, नहीं गया लास्ट तक... क्योंकि मुझे राजनीति करना आता ही नहीं है। चेहरे पर झूठी मुस्कान और नफरत के समय मुस्कान लाना न तो आया और न ही लाना चाहता हूं। इसलिये मित्रों मैं आप सभी को बता दूं कि मैं न तो किसी राजनीतिक दल का सदस्य हूं, न ही भविष्य में मैं विधायक का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं। मेरा नेचर है लोगों के सुःख दुःख में शामिल होने का, वो सदैव रहेगा। मुझे वकालात और पत्रकारिता में मजा आता है मैं वो जीवन पर्यन्त करूंगा ही और रिलेशन निभाना,सुःख दुःख में शामिल होना मेरा नेचर है, जिसे मैं इसलिये चैंज नहीं कर सकता कि चार लोग ये और वो सोच रहे हैं।

श्री आहूजा अपनी जगह ठीक प्रतीत होते हैं, मगर सवाल यह उठता है कि सच बोलने वाले या सज्जन राजनीति में नहीं आएंगे तो राजनीति का क्या हाल होगा? तब तो राजनीति में शुचिता की उम्मीद करना बेकार है। बेशक श्री आहूजा अपनी ओर से राजनीति में नहीं आना चाहते, मगर कल यह भी तो हो सकता है कि बार चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी कुछ लोग उन्हें चुनाव लडवा दें। रहा सवाल लोगों की धारणा का तो, वह भी ठीक है, क्योंकि जो भी सोसायटी में सक्रिय होता है तो यही माना जाता है कि चुनाव की तैयारी कर रहा है। वे न केवल सफलता पूर्वक वकालत कर रहे हैं और जरूरतमंद की मदद को तत्पर रहते हैं, अपितु सामाजिक सरोकार के लिए भी सतत सक्रिय रहते हैं। वे जिले के चंद जागरूक व ऊर्जा न लोगों में गिने जाते हैं। ऐसे में अगर कोई ऐसा सोचता है कि वे चुनाव लड सकते हैं, तो वह अपनी जगह ठीक है।

बहरहाल, जब श्री आहूजा से सवाल किया गया कि आपने भिनाय का जिक्र क्यों किया है, जबकि वह तो मसूदा विधानसभा क्षेत्र में है, तो उन्होंने बताया कि ऐसा अनुमान है कि परिसीमन के बाद भिनाय फिर से विधानसभा क्षेत्र हो जाएगा। ऐसा सोच कर ही मित्र अनुमान लगा रहे हैं कि वे वहां से चुनाव लडने का मानस बना रहे हैं।


मंगलवार, 1 जुलाई 2025

अजमेर की बेटी रुमानी कपूर ने फहराया अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर परचम

अजमेर की बेटी और वर्तमान में अमेरिका के सिएटल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत रूमानी कपूर ने पिछले दिनों दुबई (यूएई) में हुई मिसेज इंडिया वर्ल्डवाइड यूएसए नॉर्थ-2025 प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम किया। इसके साथ ही उन्हें मिसेज ब्यूटीफुल हेयर 2025 का प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त हुआ। प्रतियोगिता 15 से 20 जून के बीच आयोजित हुई। रुमानी ने टैलेंट राउंड में राजस्थानी लोकनृत्य कालबेलिया को बेहद अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया। उन्होंने लोहे की कीलों पर नृत्य कर महिलाओं की शक्ति, संतुलन और सहनशीलता का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया। रूमानी ने अपनी प्रतिभा, सांस्कृतिक विरासत और आकर्षक व्यक्तित्व से सभी का दिल जीत लिया। उनकी रैंप वॉक को बॉलीवुड के प्रसिद्ध ट्रेनर्स मिसेज कविता खरायत और मिस्टर सनी कांबले ने तराशा, जबकि रनवे को मशहूर कोरियोग्राफर लुबना आदम ने निर्देशित किया। उनके सभी आउटफिट्स डिजाइनर अंजलि सहानी द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किए गए थे।

रुमानी एक अनुभवी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जिन्होंने अमेरिका में हेल्थकेयर और डिजिटल तकनीक क्षेत्रों में नेतृत्व करते हुए कई सफल प्रोजेक्ट्स पूरे किए हैं। इसके साथ ही वह दूसरा दषक एलजीओ के साथ ग्रामीण भारत में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देती हैं और अमेरिका में को-म्यूजिक प्रो व एसएसएआईएस के साथ समावेशी कला व स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए काम करती हैं। वे कई अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट कार्यक्रमों की मास्टर ऑफ सेरेमनी रह चुकी हैं और एनजीओ के लिए सोशल मीडिया व इवेंट मैनेजमेंट भी संभालती हैं। रुमानी कपूर नारी सशक्तिकरण की प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं, जो अपने पारंपरिक मूल्यों को विश्व मंच पर आत्मविश्वास और सौंदर्य के साथ प्रस्तुत कर रही हैं।

उनका परिवार साधारण एवं शिक्षा से जुड़ा इंसानियत के प्रति सजग परिवार है। रुमानी केतकी सिन्हा और प्रिंस सलीम की बिटिया हैं। जिन्होंने सेंट मैरी कान्वेंट स्कूल अजमेर में शिक्षा प्राप्त की। स्कूल के दिनों से वह अकादमिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में आगे रही है। उन्होंने ऐमेटी युनिवर्सिटी जयपुर से टोप रेंक बीटेक किया। वहीं से अजीम प्रेमजी की विप्रो कम्पनी में जाब हासिल की। उसके बाद जयपुर निवासी राहुल कपूर से अजमेर में शादी हुई। 2019में सीमेन्स कम्पनी जोइन कर सीएटल शहर (अमेरिका) में सीनियर सोफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजिनियर के रूप में पति पत्नी कार्यरत हैं। वे अपनी सफलता के लिए मिसेज कविता खरायत, श्री सनी काम्बले, लुबना आदम और अंजलि साहनी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हैं।