

संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा और जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल की पहल पर न्यास-निगम के दल व पुलिस बल ने जिस सूझबूझ और सख्ती से हाल ही यातायात में बाधा बन रही गुमटियों और अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया, वह निश्चित ही दृढ़ निश्चय का परिचायक है। खतरा सिर्फ ये है कि विरोध में सत्तारूढ़ दल के पार्षद आ खड़े हुए हैं, जो अपनी राजनीतिक ताकत का दुरुपयोग कर शहर को खूबसूरत बनाने के अभियान में बाधा बन सकते हैं।
असल में यह शहर वर्षों से अतिक्रमण और यातायात अव्यवस्था से बेहद पीडि़त है। पिछले पच्चीस साल के कालखंड में अकेले पूर्व कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता को ही यह श्रेय जाता है कि उन्होंने मजबूत इरादे के साथ अतिक्रमण हटा कर शहर का काया कल्प कर दिया था। और जो भी कलेक्टर आए वे मात्र नौकरी करके चले गए। उन्होंने कभी शहर की हालत सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। कदाचित इसकी वजह ये भी रही होगी कि यहां राजनीतिक दखलंदाजी बहुत अधिक है, इस कारण प्रशासनिक अधिकारी कुछ करने की बजाय शांति से नौकरी करना पसंद करते हैं। बताया जाता है कि श्रीमती अदिति मेहता भी इतना सब कुछ इस कारण कर पाईं कि उन पर तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत का आशीर्वाद था। मौजूदा संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा व जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल पर ऐसा कोई आशीर्वाद तो नजर नहीं आता, यही वजह है कि आशंका ये होती है कि कहीं फिर से शहर के विकास में राजनीति आड़े नहीं आ जाए। आपको याद होगा कि कुछ अरसे पहले संभागीय आयुक्त शर्मा के विशेष प्रयासों से शहर को आवारा जानवरों से मुक्त करने का अभियान शुरू हुआ, मगर चूंकि राजनीति में असर रखने वालों ने केन्द्रीय राज्य मंत्री सचिन पायलट का दबाव डलवा दिया, इस कारण वह अभियान टांय टांय फिस्स हो गया। शर्मा अजमेर के रहने वाले हैं, इस कारण उनका अजमेर के प्रति दर्द समझ में आता है, लेकिन नई जिला कलेक्टर श्रीमती राजपाल के तेवर को देख कर भी यही लगता है कि वे भी अजमेर शहर की कायाकल्प करने का आतुर हैं। तभी तो उन्होंने पिछले दिनों राजस्थान दिवस पर सफाई का एक अनूठे तरीके से संदेश दिया। न केवल मंजू राजपाल ने झाडू लगाई, अपितु उनके साथी प्रशासनिक अधिकारियों ने भी हाथ बंटाया। जाहिर है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान में बरती जा रही शर्मा व श्रीमती राजपाल की दृढ़ता का ही नतीजा है। संयोग से उन्हें हनुमान समान नगर निगम सीईओ सी. आर. मीणा उनके पास हैं, जो बिलकुल पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट सी. आर. चौधरी की स्टाइल में ठंडे रह कर सख्ती का अहसास करवाते हैं। मौजूदा सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश पुरोहित भी कड़क मिजाज के हैं। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि ये चारों अधिकारी पुलिस की मदद से अभियान को सफलता के शीर्ष तक पहुंचाएंगे। बस, खतरा सिर्फ ये है कि सत्तारूढ़ दल के कांग्रेस पार्षद की विपक्ष की भूमिका अदा करते हुए शहर के विकास में बाधा बनने को आतुर हैं। कितने अफसोस की बात है कि जनता की ओर से चुने गए प्रतिनिधि ही जनता की भलाई में रोड़ा बनने को आतुर हैं। जब इसी शहर में रह रहे इन पार्षदों को ही शहर के विकास की परवाह नहीं तो भला साल-दो साल केलिए आने वाले प्रशासनिक अधिकारी कितनी शिद्दत के साथ शहर का भला करते हैं, ये बात देखने वाली होगी।
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