बेशक सम्मेलन की कामयाबी का पूरा श्रेय इकाई अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत को जाता है। यह सम्मेलन उनके कैरियर में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में जुड़ गया है। नियुक्ति से लेकर अब तक उन पर दबाव था कि एक बार अपनी ताकत दिखा दें, वह उन्होंने पूरी कर दी। उल्लेखनीय बात यही रही कि सभी आशंकाएं निराधार साबित हो गईं और किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं आया। न तो युवा कांग्रेसियों ने उधर झांका और न ही असंतुष्ट भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने।
हुआ असल में ये कि इस सम्मेलन में पंगा होने की आशंका को लेकर कप्तान सिंह सोलंकी को बार-बार रिपोर्टिंग की जा रही थी कि वे नहीं आएं तो ही बेहतर रहेगा। हालांकि इस प्रकार की रिपोर्टिंग करने वाले सम्मेलन के फेल हो जाने तक की दुहाई दे रहे थे, मगर गड़बड़ की आशंका बेबुनियाद भी नहीं थी। विधायक वासुदेव देवनानी से जुड़ा नितेश आत्रेय गुट गड़बड़ कर सकता था। मगर संयोग से दो दिन पहले ही अजमेर बंद के दौरान इस गुट ने अति उत्साह में कांग्रेस कार्यालय के बोर्ड पर कालिख पोत दी और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। जाहिर सी बात है कि वे पहले अपने को बचाएं या जवाहर रंगमंच पर जा कर हंगामा करें। यानि यह देवेन्द्र सिंह शेखावत की खुशकिस्मत ही रही कि दो दिन पहले इस प्रकार का वाकया हो गया।
यहां यह भी गौरतलब है कि कांग्रेस कार्यालय में भाजपा युवा मोर्चा पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा कालिख पोतने की घटना के बाद कांग्रेस के लोक सभा क्षेत्र के यूथ कांग्रेस उपाध्यक्ष मोहम्मद शब्बीर खान ने धमकी दी थी कि भाजयुमो के 23 सितंबर को प्रस्तावित संकल्प दिवस कार्यक्रम में यूथ कांग्रेस विरोध प्रदर्शन व धरना आयोजन करेगी। मगर कालिख पोतले को लेकर कांग्रेस के अंदर ही सिर फुटव्वल चल रही है। पार्टी से निष्कासित पार्षद मोहन लाल शर्मा तो यह आरोप लगा चुके हैं कि इसमें शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता व मेयर कमल बाकोलिया का हाथ है।
खैर, राजनीतिक दलों में उपजे इस तनाव को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए। कार्यक्रम शुरू होने से पहले समारोह स्थल के बाहर आरएसी के जवानों और पुलिस लाइन से अतिरिक्त जाब्ता तैनात किया गया। जवाहर रंगमंच की ओर आने वाले प्रमुख चौराहों पर आने जाने वालों पर विशेष नजर रखी जा रही थी। शहर के सभी थाना प्रभारियों एवं दक्षिण, दरगाह व यातायात उप अधीक्षक को किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैनात किया गया था। इसी तरह समारोह स्थल के बाहर व अंदर सादा वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। यहां तक कि स्थानीय प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ कांग्रेसी कोई हरकत न करें, इसलिए उन्हें पुलिस संरक्षण में घर से जवाहर रंगमंच लाया गया था।
कुल मिला कर सारी आशंकाएं टल गईं और सम्मेलन ऐतिहासिक रूप से कामयाब हो गया।
-तेजवानी गिरधर
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