
आपको याद होगा कि जब नरवाल को बहाल किया गया था तो अपुन ने इसी कॉलम में यह सवाल उठाया था कि क्या वे बहाली होने पर चुप हो कर बैठ जाएंगे? ये सवाल उठाने की वजह ये थी कि शेखावत का विरोध करने वाले उनके प्रतिद्वंद्वी नितेश आत्रेय की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें कोटा संभाग का प्रभारी बनाया गया तो यही समझा गया था कि उन्हें बोतल में बंद कर लिया गया है। मगर चंद दिन बाद ही उन्होंने जता दिया कि वे अपनी अलग से मौजूदगी को खत्म नहीं होने देंगे। डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर उन्होंने अपने समर्थकों के साथ रैली निकाली थी। खैर, उसके बाद जब नरवाल की बहाली हुई तो यही माना गया कि संभव है उन्हें तो इसी शर्त के साथ मुख्य धारा में लाया गया होगा कि शेखावत के लिए सिरदर्द नहीं बनेंगे, मगर ताजा कार्यक्रम से यह साबित हो गया है कि वे अपना वजूद अलग से कायम रखना चाहते हैं।
-तेजवानी गिरधर
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