बुधवार, 29 अक्टूबर 2025

ऊर्जावान वरिष्ठ पत्रकार डॉ. निर्मल कुमार गर्ग का देहावसान

अजमेर के ऊर्जावान व ओजस्वी वरिष्ठ पत्रकार डॉ. निर्मल कुमार गर्ग पुत्र स्वर्गीय श्री किशन स्वरूप गर्ग का गत दिवस देहावसान हो गया। राज्य सरकार से अधिस्वीकृत पत्रकार डॉ. गर्ग लंबे अरसे तक समाजसेवा और राजनीति में सक्रिय रहे। वे सन् 1980 में पत्रकारिता से जुडे। प्रारंभ में विभिन्न समाचार पत्रों के संवाददाता रहे और उसके बाद सन् 1983 से लगातार रिमझिम साप्ताहिक का संपादन किया। इस समाचार पत्र को सन् 1983 में पूरे उत्तर क्षेत्र के समाचार पत्रों में प्रथम स्थान हासिल हुआ। उन्होंने जर्मन प्रशिक्षक जर्नलिस्ट पीटर मे से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे अजमेर जिला पत्रकार संघ के सह सचिव, रूरल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव, ऑल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज फेडरेशन के प्रदेश महामंत्री रहे। उन्होंने समाज शास्त्र व लोक प्रशासन में एम.ए. व फोटोग्राफी में डिप्लोमा किया। बीईएमएस व आयुर्वेद रत्न की डिग्रियां भी हासिल कीं। इसके अतिरिक्त कुक्कुट पालन में भी प्रशिक्षण हासिल किया। वे सन् 1977 से कांग्रेस संगठन से जुड़े हुए रहे और 1984-89 के दौरान शहर जिला युवक कांग्रेस के महामंत्री रहे। इसी प्रकार 1984-88 के दौरान एनएसयूआई के भी शहर महामंत्री रहे। उन्होंने अनेक चिकित्सा शिविर आयोजित किए । वे अजमेर जिला साइकिलिंग संघ के सचिव व अध्यक्ष, अजमेर जिला साइकिल पोलो संघ के उपाध्यक्ष भी रहे। सन् 1975 में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने बढ़-चढ़ कर राहत कार्य किया। वे काफी दिन से अस्वस्थ थे। वे कर्मचारी नेता, समाजसेवी व वरिष्ठ पत्रकार श्री कमल गर्ग और नगर पालिका सेवा के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी, समाजसेवी व अजमेर नगर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश गर्ग के छोटे भ्राता थे। उनके पुत्र साकेत गर्ग असिस्टेंट प्रोफेसर, पत्रकार व यूट्यूबर हैं। उनकी पुत्रवधु डॉ. प्रीति मित्तल गर्ग हैं। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

बहुत प्रभावशाली रहे रामचंद्र चौधरी

अजमेर डेयरी के सदर रामचंद्र चौधरी भले ही कोई विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव न जीत पाए हों, इस कारण माना जाता है कि उनकी जन्म कुंडली में सत्ता का सुख नहीं है, मगर एक जमाने में उनका बहुत प्रभाव था। बात 1993 की है। विधानसभा चुनाव के लिए राजस्थान भर के दावेदारों का जमावडा नई दिल्ली स्थित टेढी मेडी बिल्डिंग में था। तत्कालीन प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष परसराम मदेरणा सभी के इंटनव्यू ले रहे थे। तब चौधरी उनके बहुत करीबी थे, पुत्रवत। जितने भी दावेदार इंटरव्यू देने आए थे, उनके बायोडाटा चैक कर स्क्रूटनी की जिम्मेदारी चौधरी निभा रहे थे। हर दावेदार को पहले चौधरी के पास हाजिरी बजानी पड रही थी। यह बात दीगर है कि तब उन्हें स्वयं टिकट नहीं मिल पाया था। रहा सवाल उनकी कुंडली में सत्ता का सुख न होने का तो यही सही है कि वे कोई चुनाव नहीं जीत पाए, मगर लगातार पैंतीस साल तक अजमेर डेयरी का अध्यक्ष होना भी एक प्रकार की सल्तनत है।


शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

इसलिए कायम है अजमेर का सांप्रदायिक सौहार्द्र

महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पूरी दुनिया में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल है। जाहिर तौर पर उसमें ख्वाजा साहब की शिक्षाओं की भूमिका है। साथ ही हिंदुओं की उदारता, कि वे अपने धर्म के प्रति कट्टर नहीं और अन्य धर्मों के प्रति भी पूरा सम्मान भाव रखते हैं। ऐसे में यह संदेश जाना स्वाभाविक है कि यह मरकज सांप्रदायिक सौहार्द्र का समंदर है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ये है कि जब जब भी देश भर में किसी वजह से सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ा और दंगे हुए, अजमेर शांत ही बना रहा। असल में सुकून की बड़ी वजह है, सभी धर्मों व वर्गों के लोगों का हित साधन। पुश्कर मेले व उर्स मेले में आने वाले लाखों जायरीन व तीर्थयात्री यहां के अर्थ तंत्र की धुरि हैं। इसकी पुश्टि हाल ही दैनिक भास्कर की एक विस्तृत रिपोर्ट से होती है, जिसमें बताया गया है कि उर्स मेले में जायरीन के जरिए तीन सौ करोड रूपये की आय होती है। इसी प्रकार पुश्कर मेले से इस बार पांच सौ करोड रूपये की आय होने का अनुमान है। वैवाहिक सीजन के दौरान अजमेर-पुश्कर में तकरीबन तीन सौ षादियों के लिए 15 बडे होटल-रिजॉर्ट, पचास सामान्य रिजॉर्ट और दौ सौ समारोह स्थलों की बुकिंग रहने वाली है। इससे करीब पांच सौ करोड रूपये का कारोबार होने का अनुमान है।


गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

अब दरगाह जियारत को कौन साथ ले जाएगा, मेरे दोस्त?

मरहूम जनाब मनवर खान कायमखानी उर्फ मनजी

सहसा यकीन ही नहीं होता कि जनाब मनवर खान कायमखानी उर्फ मनजी इस फानी दुनिया को अलविदा कर गए। उससे भी ज्यादा अफसोस इस खबर पर कि ऐसे बिंदास इंसान ने इतना जल्द यूं रुखसती कैसे ले ली? उन जैसा जिंदादिल इंसान ऐसा कर कैसे सकता है? दोस्तो को हौसले की रोशनी देने वाला अपनी रोशनी इस तरह कैसे समेट सकता है? जिसकी शख्सियत पूरी तरह से खिले हुए फूल सी थी, वह यकायक कैसे मुरझा सकती है? हर वक्त शिद्दत से कुछ नया करने का जज्बा रखने वाले उस शख्स का तजकिरा करने में लफ्ज साथ देने को तैयार नहीं हैं। वे यारों के यार थे। वह उनकी फितरत थी। क्या मजाल कि उनकी दुकान से गुजरने वाला कोई दोस्त उनकी चाय पिये बिना चला जाए?

मुझे वे दिन याद आते हैं, जब रीजनल कॉलेज चौराहे पर आज जैसी चहल-कदमी नहीं थी, मगर जब भी कोई वीआईपी उधर से गुजरता तो उसके इस्तकबाल करने को उनकी टीम इस चौराहे को आबाद कर देती थी। यहीं से उनकी पहचान बनी। तब कोई पूछे कि मनवर खान कौन, तो यही जवाब आता कि वही रीजनल कॉलेज चौराहे वाले। वे युवक कांग्रेस के दमदार नेता थे। वे विधानसभा चुनाव 2023 में अजमेर संभाग के प्रोटोकॉल इंचार्ज थे। उन्होंने सन् 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में दनिलइम्दा इलाके में बतौर एआईसीसी ऑब्जर्वर की जिम्मेदारी निभाते हुए तकरीबन दो महीने तक दौरे किए। वे पूर्व विधायक डॉ श्रीगोपाल बाहेती के बहुत करीबी थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खासा जानकार थे। इसी की बदोलत अजमेर नगर निगम के मनोनीत पार्षद बने। बतौर पार्षद कोटडा इलाके के खूब खिदमत की। सभी मजहबों के प्रति गहरी अकीदत रखते थे। बहुत सियासी समझ रखते थे। कई बार गुफ्तगू में मजहबी भेदभाव पर अफसोस जताते थे, मुल्क की बहबूदी की बातें किया करते थे। कोटडा इलाके में हिंदुओं के सभी त्यौहारों में खुल कर हिस्सा लेते थे। मेन रोड से शिव मंदिर को हटा कर थोडा अंदर की तरफ शिफ्ट करवाने की जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई। 

आईटी की खूब जानकारी रखते थे। ईमित्र का बखूबी संचालन किया। सोशल मीडिया पर छाये रहते थे। क्या कोई इस बात पर यकीन करेगा कि हाल ही 5 अक्टूबर को उन्होंने फेसबुक पर कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के फोटो साझा किए थे। फेसबुक पर उनके छह हजार सात सौ फॉलोअर रहे। 

उनका इंतकाल मेरे लिए बहुत बडा निजी नुकसान है। बहुत मोहब्बत करते थे, बहुत इज्जत बख्शा करते थे। वे मुझे हर जुम्मेरात अलसुबह पांच बजे दरगाह जियारत के लिए साथ लेकर जाते थे। 

अफसोस कि ऐसा इंसान, जिसमें अभी बहुत कुछ करने का जज्बा था, हौसला था, वह कैसे बीमारी से मुकाबला करते करते हौसला खो बैठा। उनकी हस्ती का तजकिरा करते हुए लगता है कि बहुत कुछ छूट रहा है। खुदा उन्हें अपनी जन्नत में आला मकाम अता फरमाए। मैं उन को अश्कबार खिराज-ए-अकीदत पेश करता हूं।

 

बुधवार, 8 अक्टूबर 2025

कांग्रेस के स्तम्भ थे स्वर्गीय श्री कुलदीप कपूर

अजमेर ने कांग्रेस के स्तम्भ, शहर जिला कांग्रेस के निवर्तमान उपाध्यक्ष श्री कुलदीप कपूर को खो दिया है। गत दिवस उनका देहावसान हो गया। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। उनकी गिनती वरिष्ठतम और बिंदास नेताओं में होती थी। किसी भी बैठक या धरना-प्रदर्शन में उनकी मौजूदगी उनकी दबंग आवाज से दर्ज होती थी। जिंदादिली उनके मिजाज में शुमार थी। वे शहर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट श्री जसराज जयपाल के करीबी थे और उनकी कार्यकारिणी में महामंत्री व प्रवक्ता रहे। पूर्व विधायक डॉ राजकुमार जयपाल के साथ छाया की तरह दिखाई देते थे। कुछ साल पहले जब स्वर्गीय श्री कपूर गंभीर बीमार हुए थे, जब डॉ जयपाल ने उनके इलाज में अहम भूमिका अदा की थी। स्वर्गीय श्री कपूर जमीन से जुडे नेता थे। आम कार्यकर्ताओं से गर्मजोशी से मिला करते थे। शहर की ज्वलंत समस्याओं के निवारण के लिए सदैव तत्पर रहा करते थे। वयोवृद्ध होने के बाद भी उन्होंने श्री विजय जैन की कार्यकारिणी में बतौर उपाध्यक्ष सक्रियता दिखाई। पार्टी के हर कार्यक्रम में उपस्थिति जरूर दर्ज करवाते थे। महकते व्यक्तित्व के धनी स्वर्गीय श्री कपूर बेहतरीन परफ्यूम के शौकीन थे। उनका निधन अपूरणीय क्षति है। उन जैसे नेता विरले ही पैदा होते हैं। उनका अभाव न केवल कांग्रेस अपितु पूरे शहर को खलता रहेगा। अजमेरनामा न्यूज पोर्टल उनको अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

हरदिल अजीज थे खादिम जनाब अब्दुल बारी चिश्ती

महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम व वरिष्ठ भाजपा नेता अब्दुल बारी चिश्ती अपने किस्म के अनूठे नेता थे। अत्यंत विनम्र जनाब बारी साहब गिनती की उन शख्सियतों शुमार थे, जिन्होंने परंपरा के विरूद्ध जा कर भाजपा से नाता जोडा। बावजूद इसके उनकी शख्सियत ऐसी थी कि पूरे खादिम समाज, मुस्लिमों व राजनीतिक कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय रहे। उन्होंने भाजपा की अनेक हस्तियों को दरगाह जियारत करवाई। उन्होंने साबित कर दिया कि खुद्दाम हजरात भले ही किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुडे हों, मगर उनके लिए ख्वाजा साहब के प्रति अकीदत अहम है। वे ख्वाजा साहब को चाहने वालों में कोई भेदभाव नहीं किया करते। उनका गत गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को इलाज के दौरान इंतकाल हो गया। 77 वर्षीय चिश्ती भारत सरकार द्वारा गठित दरगाह कमेटी के उपाध्यक्ष रहे और लंबे समय तक गेगल पंचायत के सरपंच भी रहे। जनसंघ के समय से उनका भाजपा से जुड़ाव रहा। वे भाजपा अल्संख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी रहे। उन्हें गंज स्थित चिल्ले पर सुपुर्दे खाक किया गया। उनकी सोयम की फतेहा शनिवार दोपहर 2 बजे दरगाह शरीफ के अहाता ए नूर में होगी।