ज्ञातव्य है कि आजकल मंच ने कच्ची बस्ती में रहने वाले गरीब लोगों को पट्टे दिलवाने के लिए कमर कस रखी है और उसके लिए मंच के नरेन्द्र सिंह शेखावत, अशोक राठी, पृथ्वीराज सांखला, संजीव नागर सहित कई कार्यकर्ता कच्ची बस्ती और वन भूमि पर बसे गरीब लोगों के साथ जयपुर विधानसभा पर धरना देने के लिए कूच कर चुके हैं। मंच की ताकत का प्रदर्शन इससे पहले भी हो चुका है, जब उसने सरहद पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दो भारतीय सैनिकों की बर्बर हत्या के विरोध में नव निमार्ण सेना और नव दुर्गा मंडल के सहयोग से आधे दिन अजमेर बंद करवाया था। तब इन संगठनों के नाम यह क्रेडिट गई थी कि उन्होंने प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के सोये होने पर उसकी भूमिका अदा की थी। बहरहाल, अब जब कि मंच ने कच्ची बस्ती वासियों की खैर-खबर ली है तो यह सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि आखिर क्या वजह है कि मंच के कर्ताधर्ता भाजपा के होने के बाद भी भाजपा के बैनर पर काम करने की बजाय मंच को आगे बढ़ा रहे हैं? वैसे एक बात जरूर है, मंच के कर्ताधर्ता चतुर तो हैं क्योंकि समानांतर काम करने के बाद भी उन को युवा मोर्चा के दूसरे धड़े की तरह सामानांतर होने की संज्ञा नहीं दी जा पा रही, क्योंकि वे भाजपा शब्द का कहीं भी इस्तेमाल नहीं कर रहे।
-तेजवानी गिरधर
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