असल में तंवर एक ऐसी महत्वपूर्ण पोस्ट पर रहे, जिसके तार बोर्ड की लगभग हर शाखा से जुड़े हुए हैं। घपला भले ही तंवर ने किया हो, मगर उसका संबंध किसी न किसी रूप में अन्य से भी रहा होगा। भुगतान संबंधी फाइलों के संबंध अन्य विभागों की फाइलों से भी निकल कर आ सकते हैं। पता नहीं कौन सी फाइल के तार तंवर की कारगुजारी से जुड़े नजर आएं। मामला अभी गरमागरम है। एसीबी लगातार नई सूचनाएं मांग रही है। जब तक तंवर के खिलाफ पूरा चालान कोर्ट में पेश न हो जाए, कहा नहीं जा सकता कि जांच का दायरा केवल तंवर तक ही सीमित है या उसका दायरा और बढ़ेगा। ऐसे में कहा नहीं जा सकता कि जांच आगे बढऩे पर कौन-कौन और लपेटे में आ जाएगा। ऐसे में बोर्ड कर्मचारियों में घबराहट होना स्वाभाविक है। भला ऐसे में खुशी मनाने की इच्छा कैसे हो सकती है?
बोर्ड के पुराने कर्मचारियों को ख्याल है कि इससे पहले शायद ही ऐसा कोई मौका रहा हो कि होली का रंगीन कार्यक्रम रोकना पड़ा हो।
यहां आपको बता दें कि बोर्ड में हर साल होली के मौके पर हास्य, व्यंग्य और संगीत से भरा मनोरंजक रंगारंग कार्यक्रम होता आया है, जिसकी गिनती शहर के प्रमुख होली महोत्सवों में होती है। इसमें बोर्ड अध्यक्ष से लेकर अधिकारी और छोटे-छोटे से कर्मचारी भी शिरकत करते हैं। इसकी तैयारी भी कुछ दिन पहले से शुय हो जाती है। सभी में बहुत उत्साह होता है। अफसोस कि अकेले तंवर की करतूत के कारण पूरे बोर्ड परिसर में मातम सा पसरा हुआ है।
-तेजवानी गिरधर
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