बुधवार, 30 अक्तूबर 2024
राजस्थान की वित्तीय व्यवस्था के आधार स्तम्भ श्री गोविंद देव व्यास
सोमवार, 28 अक्तूबर 2024
अजमेर रत्न: डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली
उन्हें गत 19 दिसंबर 2021 को शिमला में अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ की ओर से आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रीय शिक्षा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वे हिंदी व संस्कृत भाषा और व्याकरण के इतने प्रकांड विद्वान हैं कि उन्हें शब्दों की व्युत्पत्ति तक का पूर्ण ज्ञान है। मेरी जानकारी के अनुसार वेद संस्थान के स्वर्गीय श्री अभयदेव शर्मा भी उनके समकक्ष माने जाते थे। श्री पंचोली को मैने ऐसे जाना कि मैं जब दैनिक न्याय में था, तब आपका संपादकीय नियमित रूप से प्रकाशन हेतु आता था। लेखन के क्षेत्र में उन्होंने लंबी यात्रा तय की है। उन्होंने तकरीबन चालीस साल तक न्याय में नियमित रूप से संपादकीय लिखा। शायद ही ऐसा कोई विषय हो, जिस पर आपकी कलम न चली हो। हम जानते हैं कि संपादकीय आम तौर पर घटनाओं की संतुलित समीक्षा के साथ समाज को दिशा देने का काम करते हैं। इस लिहाज से उन्होंने लंबे समय तक एक उपदेशक के रूप में भी समाज को अपनी सेवाएं दी हैं। वे इतना सधा हुआ इतना लिखा करते थे कि वह धारा प्रवाह तो होता ही था, उसमें व्यवस्था पर प्रहार करती धार भी पर्याप्त होती थी। आम तौर पर नैतिकता पर जोर हुआ करता था। जिस भी विषय पर संपादकीय लिखा, उस पर संक्षेप में संपूर्ण जानकारी मिल जाती थी। न तो उसमें कोई अवांछनीय शब्द होता था और न ही उसमें कुछ जोड़ा जा सकता था। लेखनी पर कितना नियंत्रण था, इसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। यूं समझिये कि ए फोर साइज के कागज से कुछ छोटे कागज पर ऊपर कोने से लिखना शुरू करते और ठीक नीचे के कोने तक संपादकीय पूरा हो जाता। कांट-छांट कहीं भी नहीं। कागज की बचत के लिए हाशिया तक नहीं छोड़ते। है न समझ से परे कि क्या किसी की अपनी लेखनी पर इतनी कमांड हो सकती है कि उसे शब्दों की गिनती तक का पता हो कि कितने में अपनी बात पूरी करनी है। यह जानकर आपका मन उनको नमन करने को करता है कि नहीं। उनके सुपुत्र इंदुशेखर पंचोली जाने माने पत्रकार हैं, जिनकी गिनती उन पत्रकारों में होती है, जिन्होंने अजमेर से लंबी छलांग लगाई है।
रविवार, 27 अक्तूबर 2024
अजमेर उत्तर में कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार थे जस्टिस इंद्रसेन इसरानी
भूतपूर्व राजस्व मंत्री स्वर्गीय श्री किशन मोटवानी के निधन के कारण हुए विधानसभा उप चुनाव में मैदान खाली देख कर उनका मन इस सीट के लिए ललचाया था। इसके लिए उन्होंने अपने करीबी दैनिक हिंदू के संपादक हरीश वरियानी के माध्यम से अजमेर की कुछ सिंधी कॉलोनियों में बैठकें कर जमीन तलाशी थी। उनका स्वागत भी हुआ। यहां तक कि उन्होंने तब स्वर्गीय नानकराम जगतराय से भी मुलाकात की थी। चूंकि तब तक नानकराम को यह कल्पना भी नहीं थी कि उन्हें टिकट मिलेगा, इस कारण उन्होंने अपना समर्थन देने का आश्वासन भी दिया था।
उनसे एक गलती हो गई। अजमेर प्रवास के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके मुंह से कुछ ऐसा बयान निकल गया, जिसका अर्थ ये निकलता था कि सिंधी तो भाजपा के गुलाम हैं, उस पर बवाल हो गया। भाजपा से जुड़े सिंधी संगठनों ने उनके इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। इस पर माहौल बिगड़ता देख कर उन्होंने दावेदारी का मानस ही त्याग दिया। उस दिन के बाद कम से कम इस सिलसिले में तो वे अजमेर नहीं आए। ज्ञातव्य है कि उस उपचुनाव में नानकराम को टिकट मिला और वे जीते भी।
बाद में 2013 के चुनाव में एक बार फिर उनका नाम चर्चा में आया था। अजमेर में ब्लॉक व शहर स्तर पर तैयार पैनलों में उनका नाम नहीं था, फिर भी जयपुर व दिल्ली में उनके नाम की चर्चा थी। असल में राजस्थान में वरिष्ठतम सिंधी नेता माने जाते थे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी थे। सिंधी समाज के बारे में कोई भी राजनीतिक निर्णय करने से पहले गहलोत उनसे चर्चा जरूर करते थे। इसी कारण उनका नाम सामने आया। इसके अतिरिक्त चूंकि पूर्व न्यास अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत का टिकट कटा हुआ माना जा रहा था, इस कारण अनेक सिंधी दावेदारों के बीच उनके नाम को गंभीरता से लिया गया। जैसे ही उनके नाम की चर्चा हुई तो विरोध भी षुरू हो गया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव व अजमेर प्रभारी सलीम भाटी की ओर से की गई रायशुमारी के दौरान तो बाकायदा उनका नाम लेकर कांग्रेस नेता राजेन्द्र नरचल ने विरोध दर्ज करवा दिया और कहा कि जब अजमेर में पर्याप्त नेता हैं तो फिर क्यों बाहरी पर गौर किया जा रहा है। वे यहीं तक नहीं रुके। आगे बोले कि वे इसरानी का पुरजोर विरोध करेंगे, चाहे उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया जाए। इसरानी के नाम पर अन्य दावेदारों को कितनी चिंता थी, इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है। जब एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली गया और वहां भी जस्टिस इसरानी के नाम की चर्चा हुई तो उसने उनका विरोध कर दिया।
खैर, आखिर में एक बात और। वे राजस्थान में सिंधी समाज के कांग्रेसियों के पितामह थे। उनके निधन से हुई क्षति की पूर्ति आज तक नहीं हो पाई है।
पान की दुकानों पर भी जुटते हैं किस्सागो
ठीयों के किस्से आपसे साझा किए तो मेरे दो पत्रकार मित्रों ने भी कुछ और ठीयों के बारे में जानकारी भेजी है। पत्रकार तीर्थदास गोरानी ने कहा है कि आप तीन अड्डे और भूल गए तेजवानी जी! एक, स्टेशन के दाहिने गेट के बाहर चाय की थड़ी पर आप, कासलीवाल जी, राजू मोहन, राजेंद्र गुप्ता वगैरह बैठते थे। दो, बस स्टैंड के बाहर तांगा जहां ज्यादातर अनिल लोढ़ा जी और भास्कर के अन्य पत्रकार जुटते थे। तीसरा, बस स्टैंड के एग्जिट गेट के पास हिम्मत सिंह, राकेश सोनी, अखिल शर्मा और अन्य दो दो बजे तक बैठते थे।
पत्रकार अनुराग जैन ने बताया है कि शहर में दिन के संजीदा पत्रकारों का जमघट (आवागमन) स्व. श्री अभयकुमार जैन के फव्वारा चौराहे स्थित मंगल मुद्रणालय पर भी हुआ करता था। पत्रकारों की गतिविधियां यहीं से हुआ करती थीं।
स्वर्गीय बाबा विश्वदेव, कप्तान दुर्गा प्रसाद, घीसूलाल पांड्या, कैलाश वरणवाल, राजनारायण, मोहनराज भंडारी, श्याम जी , दिलीप जैन, विश्वविदेह विभूजी, राजकुमार दोसी, आर.के. चौधरी, लहर पत्रिका के संपादक प्रकाश जैन, सुरेश पारीक, वीरेंद्र आर्य, इन्दुशेखर पंचोली, एस. पी. मित्तल और तब के अन्य युवा पत्रकारों का भी आना जाना होता रहा। ऐसे कई और ठिये होंगे, जो मुझ अल्पज्ञानी की जानकारी में नहीं हैं। आपको पता हो तो इस सूची में इजाफा कर दीजिए।
शनिवार, 26 अक्तूबर 2024
और भी रहे हैं ठीये-ठिकाने चौधर करने वालों के
ऐसा ही पत्रकारों का अड्डा रेलवे स्टेशन के सामने स्थित शहर के जाने-माने फोटोग्राफर इन्द्र नटराज की दुकान पर भी सजता था, जहां विज्ञप्तिबाज विभिन्न अखबारों के लिए विज्ञप्तियां दे जाते थे। बौद्धिक विलास के लिए पत्रकारों का जमावड़ा जाने-माने पत्रकार श्री अनिल लोढ़ा के कचहरी रोड पर नवभारत टाइम्स के ऑफिस में भी होता था। वह पत्रकारिता की अनौपचारिक पाठशाला भी थी।
अखबार वालों व उनकी मित्र मंडली का नया ठिकाना वैशाली नगर में अजयमेरु प्रेस क्लब के रूप में विकसित हुआ है। यहां केरम खेलने व गीत-संगीत के बहाने बुद्धजीवी रोज इकत्र होते हैं। इसके अधिष्ठाता दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल हैं। इससे पहले यह गांधी भवन में हुआ करता था।
यूं सबसे बड़ा व ऐतिहासिक ठिकाना शुरू से नया बाजार चौपड़ रहा है। न जाने कितने सालों से यह चौराहा शहर की रूह है। यहां से शहर की दशा-दिशा, बहुत कुछ तय होता रहा है।
इसी प्रकार सबको पता है कि अजमेर क्लब शहर के संभ्रात लोगों, व्यापारियों व रईसों का आधिकारिक ठिकाना है। वर्षों से इसके महंत पूर्व विधायक डा. राजकुमार जयपाल हैं। वे बिना शोरगुल किए अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि व मधुर व्यवहार के दम पर इसका संचालन कर रहे हैं।
इसी प्रकार पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के निवास स्थान की जाफरी वर्षों तक आबाद रही। यहां भी शहर की आबोहवा का थर्मामीटर हुआ करता था। अब वह शिफ्ट हो कर डॉक्टर साहब की क्लीनिक में आ गया है। इसी प्रकार धाकड़ कांग्रेस नेता श्री कैलाश झालीवाल का मदारगेट स्थित ऑफिस भी कई सालों से खबरनवीसों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ठिकाना रहा है।
जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के सामने स्थित मुड्डा क्लब भी शहर के बातूनियों का ठिकाना रहा है। वहां भी राजनीति का तानाबाना नापा जाता था। इसी प्रकार पलटन बाजार के सामने झम्मू की होटल कॉफी के शौकीनों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही। मूंदड़ी मोहल्ले का चौराहा भी बतरसियों की चौपाल रही है। दरगाह इलाके में अंदरकोट स्थित हथाई भी किस्सागोइयों का जमघट लगाती है। इसी तरह शाम ढ़लते ही सुरा प्रेमियों का जमघट ब्यावर रोड पर दैनिक न्याय के पास फ्रॉमजी बार में लगता था।
क्या मीडिया की सतत कवायद बेमानी तो नहीं?
कभी कभी ऐसा लगता है कि क्या हमारे जागरूक मीडिया कर्मियों की हैमरिंग बेमानी तो नहीं?
शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024
सर्वधर्म सद्भाव की लौ प्रज्ज्वलित करने के लिए साधुवाद
हाल ही संस्था ने सेंट पॉल्स सीनियर सेकंडरी स्कूल में दीपावली स्नेह मिलन हर्षोल्लास के साथ मनाया। संघ के अध्यक्ष प्रकाश जैन ने बताया कि कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य अतिथि अतिरिक्त संभागीय आयुक्त श्रीमती दीप्ति शर्मा, फादर जॉन करवालो, फादर कॉस्मो शेखावत, मोहम्मद अली बोहरा, सरदार जगजीत सिंह सोखी के द्वारा किया गया। स्कूल के बच्चों के द्वारा सभी संप्रदायों के धर्म गुरुओं की वेशभूषा में आए हुए अतिथियों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया। विभिन्न धर्माे के प्रतिनिधियों व गुरुओं के द्वारा दीपावली पर्व की महत्वता के बारे में प्रकाश डाला गया। सिख समुदाय, जैन समुदाय, बौद्ध समुदाय में दीपावली पर्व का अलग महत्व है। सरदार सखी ने कहा की महाराज के आदेश के बाद 52 अन्य भक्तों को किस प्रकार जेल से बाहर निकाला गया, उसी उपलक्ष में दिवाली मनाई जाती है। जैन समुदाय में भगवान महावीर का निर्वाण अमावस्या के दिन हुआ था, इसलिए मोदक समर्पण कर दीपावली मनाई जाती है। सम्राट अशोक कुमार मौर्य ने 84000 कीर्ति स्तंभ बनाकर आज के दिन मौर्य राज्य की स्थापना की थी, इसलिए इसे धम्मदीप दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी पाठक महाराज ने सनातन धर्म के अनुसार भगवान राम के राज्याभिषेक पर चर्चा करते हुए दीपावली किस प्रकार से 5 दिन या 7 दिन तक मनाई जाती है, प्रत्येक दिन का अलग महत्व होता है। ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र के सुकांत भैया ने भगवान महावीर के द्वारा दिए गए जियो और जीने दो के संदेश पर प्रकाश डाला। जैन ने कहा कि इस वर्ष की दिवाली पर स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण के लिए पटाखों का कम से कम इस्तेमाल करें।
पूर्व आईएएस अधिकारी अश्फाक हुसैन झुंझुनूं विधानसभा सीट से बसपा के उम्मीदवार
गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024
अजमेर की चौधर करने वालों का ठीया था नाले शाह की मजार
असल में दैनिक भास्कर, अजमेर संस्करण के पूर्व संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल इस ठिये के सूत्रधार थे। तब वे नवज्योति में हुआ करते थे। उनके संपादन कार्य से निवृत्त के बाद यहां पहुंचने से पहले ही एक-एक करके ठियेबाज जुटना शुरू हो जाते थे। सबके नाम लेना तो नामुमकिन है। चंद शख्सियतों का जिक्र किए देते हैं- स्वर्गीय श्री वीर कुमार, रणजीत मलिक, इंदुशेखर पंचोली, संतोष गुप्ता, नरेन्द्र भारद्वाज, ललित शर्मा, अतुल शर्मा, तिलोक, स्वर्गीय सीताराम चौरसिया, स्वर्गीय योगेन्द्र सेन आदि-आदि, जो कि रोजाना इस मजार पर दीया जलाने चले आते थे। डॉ. अग्रवाल के आने के बाद तो महफिल पूरी रंगत में आ जाती थी। इस मयखाने की मय का स्वाद चखने कई रिंद खिंचे चले आते थे। यहां दिनभर की सियासी हलचल के साथ अफसरशाही के किस्सों पर खुल कर चटकारे लिये जाते थे। समझा जा सकता है कि दूसरे दिन अखबारों में छपने वाली खबरों का तो जिक्र होता ही था, उन छुटपुट वारदातों पर भी कानाफूसी होती थी, जो ऑफ द रिकार्ड होने के कारण खबर की हिस्सा नहीं बन पाती थीं। अगर ये कहा जाए कि इस ठिये पर शहर का दिल धड़कता था तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। चूंकि यहां हर तबके के बुद्धिजीवी जमा होते थे, इस कारण खबरनवीसों को शहर की क्रिया-प्रतिक्रिया का भरपूर फीडबेक मिला करता था। जो बाद में अखबारों के जरिए शहर की दिशा-दशा तय करता था। जिन स्वर्गीय श्री सीताराम चौरसिया का नाम चर्चा में आया है, वे कांग्रेस सेवादल के जाने-माने कार्यकर्ता थे। सेवादल के ही स्वर्गीय योगेन्द्र सेन इस मजार के पक्के खादिम थे। बाद में यह ठीया वरिष्ठ पत्रकार इंदुशेखर की पहल पर पैरामाउंट होटल के एक कमरे में शिफ्ट हो गया था। एक घर बनाऊंगा की तर्ज पर एक सा छोटा ठिया सामने ही रेलवे स्टेशन के गेट के पास कोने में चाय की दुकान पर भी खुला, जो दैनिक न्याय के पत्रकारों ने जमाया था। लगे हाथ ये बताना वाजिब रहेगा कि नाले शाह की मजार से भी पहले क्लॉक टॉवर के सामने मौजूदा इंडिया पान हाउस के पास चबूतरे पर दैनिक नवज्योति के तत्कालीन क्राइम रिपोर्टर स्वर्गीय श्री जवाहर सिंह चौधरी देर रात के धूनी रमाया करते थे।
बुधवार, 23 अक्तूबर 2024
बहुआयामी व्यक्तित्व थे पत्रकार स्वर्गीय श्री अभय कुमार जैन
रविवार, 20 अक्तूबर 2024
नानकराम जगतराय की आंखें जब नम हो गईं
उनकी सरलता व मितव्ययता की स्थिति ऐसी थी कि वे कई बार रोडवेज की बस से ही जयपुर आते जाते थे। बस स्टैंड से अपने घर तक टैक्सी या तांगे से आया करते थे। एक बार उनकी तांगे में घर आने की फोटो मीडिया में भी चर्चा का विषय बनी। उनकी सबसे बडी खासियत ये थी कि जो भी फरियादी उनके पास आता तो वे उसकी जायज मांग पूरी करने के लिए बिना किसी ना नुकर के तुरंत डिजायर लिख दिया करते थे। यह बात दीगर है कि इसका लाभ उनके कुछ एक नजदीकियों ने उठाया होगा, मगर उन पर किसी भी डिजायर की एवज में कुछ मांगने का आरोप नहीं लगा। ईमानदारी के कारण ही विधायक के नाते मिलने वाला भत्ता कम पड जाता था। इसके लेकर वे बहुत परेशान रहते थे। मेरे उनसे व्यक्तिगत संबंध थे। एक बार मैं उनके पास बैठा था तो अपनी परेशान बयां करते हुए उनकी आंखें नम हो गई थीं। वे बोले पहले जब वे अपनी कोठडी में बैठा करते थे, तो उनका टेलीफोन बिल और चाय पानी का खर्च सीमित था, जिसे वे आसानी से वहन कर लेते थे, लेकिन विधायक बनने के बाद हर एक कार्यकर्ता यह सोच कर कि यह सरकारी खाते का है, इस कारण उनके टेलीफोन का उपयोग बेधकडक करता है, किसी को रोका भी नहीं जा सकता, नतीजतन विधायक के नाते जो टेलीफोन भत्ता मिलता है, उससे तीन चार गुना बिल आने लगा है। उसे चुकाना बहुत मुश्किल हो रहा है। इतने पैसे कहां से लाउं? चाय पानी का खर्च भी इतना अधिक हो गया है कि उसे वहन करना बस की बात की नहीं रही। समझा जा सकता है कि जिसे वसूली का फंडा पता न हो, वह भला उपरी खर्चा कैसे झेल सकता है। दूसरा ये कि वसूली वही कर सकता है, जो तेज तर्रार हो, नानकराम जैसे सीधे सादे विधायक को भला कोई क्यों गांठने वाला था।
खैर, बातचीत के आखिर में वे यहां तक बोल गए कि वे विधायक होने से पहले ज्यादा सुखी थे। यह सही है कि अब रौब बढ गया है, लोगों के काम भी हो रहे हैं, मगर सुख चैन छिन गया है, क्योंकि लोगों की अपेक्षाएं बहुत अधिक हैं और उन सब को पूरा करना संभव नहीं। ऐसे में लोग नाराज हो जाते हैं। जिसके नौ काम करो, मगर दसवां काम न कर पाओ तो पुराने सभी नौ कामों पर पानी फिर जाता है।
अतुल अग्रवाल कांग्रेस छोड भाजपा में शामिल
शनिवार, 19 अक्तूबर 2024
क्या यह भ्रांत सांप्रदायिक सद्भाव नहीं?
असल बात यह है कि रावण का पुतला बनाना पूर्णतः आजीविका का जरिया है। रावण का पुतला बनाने वाला यह जान कर थोडे ही रावण का पुतला बनाता है कि वह मुस्लिम है और उसको सांप्रदायिक सद्भाव प्रस्तुत करने के लिए रावण का पुतला बनाना है। वह पेट पालने के लिए कर रहा है, मगर यह हमारी सोच है कि एक मुस्लिम रावण का पुतला कैसे बना रहा है। सच ये है यह उसका काम है, उसे पुतला बनाने में महारत हासिल है। इतना ही नहीं, वह दुर्गा व गणपति की प्रतिमा भी बनाता है। उसे इससे कोई प्रयोजन ही नहीं कि लोग उसकी तारीफ करेंगे। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि आजीविका के साथ बोनस में सस्ती लोकप्रियता मिल रही हो तो उसे कौन छोडेगा। हां, अगर कोई मुस्लिम बिना पैसे लिए पुतला बनाए तो समझा जा सकता है कि वह सांप्रदायिक सद्भाव की सच्ची मिसाल प्रस्तुत करना चाहता है। जो भी हो, इसका सकारात्मक पहलु ये है कि मौजूदा माहौल में यह कृत्य वाकई साहस का काम है, भले ही मकसद आजीविका हो। इसकी तो दाद देनी ही चाहिए वह अन्य धर्म का काम करने से परहेज नहीं कर रहा। रहा सवाल, मीडिया का तो वह भी साधुवाद का पात्र है कि भ्रांत सांप्रदायिक सद्भाव ही सही, उसके जरिए भी वह सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश तो दे रहा है।
शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2024
अजमेर रत्न स्वर्गीय श्री केसरी चंद चौधरी
रविवार, 13 अक्तूबर 2024
डॉ आकाश माथुर की वेबसाइट की अनूठी लॉन्चिंग
समारोह में डॉ माथुर ने बताया कि हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की कितनी भी आलोचना की जाए लेकिन आजादी के बाद से लेकर आज तक की औसत आयु और औसत मृत्यु दर के आंकड़े बताते हैं कि हमने इस क्षेत्र में काफी सकारात्मक कार्य किया है। वर्ष 1947 में हमारे देश में औसत आयु 32 से 35 वर्ष थी, जो वर्ष 2023 में बढ़ कर 70-72 वर्ष हो गई है। इसके साथ ही, मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है, जो 1947 में 22-25 प्रति 1,000 थी और अब घट कर 7 प्रति 1,000 व्यक्ति हो गई है।
समारोह में पैनल चर्चा का विषय था, ‘‘क्या चिकित्सा सेवाएं व्यावसायिक हैं?’’। इस चर्चा में जाने माने एडवोकेट उमरदान सिंह लखावत, समाजसेवी दिलीप पारीक और डॉ आकाश माथुर ने भाग लिया। इस चर्चा के दौरान लखावत ने मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में अत्यंत तीखे सवाल किए। इस चर्चा के दौरान सभी का मत था कि डॉक्टर और मरीज के रिश्ते में पहले जो विश्वास हुआ करता था, उसमें निरंतर कमी आ रही है और इस विश्वास की वापसी के लिए दोनों पक्षों को प्रयास करने होंगे। डॉ. माथुर ने चर्चा के दौरान सुझाव दिया कि सरकार को जांच और चिकित्सा से जुड़ी सामग्री को टैक्स फ्री कर देना चाहिए ताकि सभी को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। जीवन का अधिकार सबसे बड़ा अधिकार है, और इसके लिए आवश्यक जांच और उपचार पर किसी भी प्रकार का टैक्स व्यक्ति के जीने के अधिकार पर कुठाराघात है।
इस अवसर के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और जेएलएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राजेंद्र गोखरू ने रोगियों को जानकारी देने वाली वेबसाइट की पहल का स्वागत किया तथा दिल और लिवर के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दिल, लिवर और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि हम जीवन शैली में बदलाव करें, संतुलित आहार लें नियमित रूप से व्यायाम, सैर और योग करें।
कार्यक्रम में शहर के जाने माने शल्य चिकित्सा डॉक्टर बृजेश माथुर सहित अन्य कई वरिष्ठ चिकित्सकों और प्रतिश्ठित नागरिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन दिलीप पारीक ने किया। अंत में डॉक्टर नैंसी माथुर ने आभार व्यक्त किया।
ज्ञातव्य है कि डॉ माथुर पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व महाप्रबंधक श्री वेद माथुर के सुपुत्र हैं। वे सुपरिचित पत्रकार व लेखक भी हैं। स्वाभाविक रूप से कार्यक्रम की रूपरेखा और प्रस्तुति पर उनके बुद्धि चातुर्य की छाप नजर आई। उनके व डॉ गोखरू के बीच संक्षिप्त साक्षात्कार बनाम संवाद न केवल रोचक रहा, अपितु बहुत जानकारीवर्धक था।
शनिवार, 12 अक्तूबर 2024
शख्सियत: श्री सूर्य प्रकाश गांधी
विशेष रूप से उपभोक्ता मामलों के जानकार श्री गांधी का जन्म श्री नगराज गांधी के घर 15 जुलाई 1957 को हुआ। उन्होंने एमए, एलएलबी, डीएलएल व बीजेएमसी की डिग्री हासिल की है। उपभोक्ता संरक्षण के अनेक मामलों में उन्होंने विजयश्री हासिल की है। एक लंबे अरसे से सक्रिय पत्रकारिता से जुडे हुए हैं। अजयमेरू प्रेस क्लब की गतिविधियों में बढ चढ कर हिस्सा लेते हैं। फाल्गुन महोत्सव में भी उनकी अहम भूमिका रहती है।
अजमेर के गौरव: श्री सत्यकिशोर सक्सैना
एडवोकेट सक्सेना को 82 वर्ष के हैं और मौजूदा समय में भी जयपुर और जोधपुर हाइकोर्ट में प्रेक्टिस करते हैं। वे विशेष रूप से पंचायतराज मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वे जिला कांग्रेस के गिने-चुने ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जो कुशल वक्ता हैं और धाराप्रवाह भाषण कला में माहिर हैं। कम ही लोगों को यह जानकारी होगी कि अजमेर की महत्वाकांक्षी बीसलपुर परियोजना में उनकी भी अहम भूमिका रही है। संजीदा व्यक्तित्व के धनी श्री सक्सैना भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिवचरण माथुर के करीबियों में रहे। मधुर व्यवहार के कारण उनकी खासी लोकप्रियता है।
बुधवार, 9 अक्तूबर 2024
कहानी सैल्फी पॉइंट आई लव अजमेर की
कोई सात साल पहले एक बार नरेश बागानी ने मुझे बताया था कि वे अजमेर को कोई अनूठी सौगात देना चाहते हैं। वे इस दिशा में लगे रहे। अजमेर विकास प्राधिकरण व अजमेर नगर निगम के चक्कर लगाते थे, मगर कभी कानूनी पेचीदगियों और कभी आचार संहिता के कारण मामला लंबित बना रहा। जून, 2019 में वे मिले तो जानकारी दी कि अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। कुछ कीजिए। इस पर मैं और पत्रकार व महिला समाजसेवी डॉ राशिका महर्षि उन्हें अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल के पास ले गये और स्मार्ट सिटी होने जा रहे अजमेर में इस सैल्फी पॉइंट की जरूरत पर चर्चा की। कासलीवाल को प्रस्ताव पसंद आया और उन्होंने जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा से बात की। शर्मा को भी बात जंची और उन्होंने प्रस्ताव बना कर भेजने को कहा। बागानी ने अपनी संस्था सिंधी सोशल ग्रुप अजमेराइट्स के बैनर पर आवेदन किया, जिसे शर्मा ने जरूरी औपचाकिताओं के बाद मंजूरी दी, जिसमें प्राधिकरण के आयुक्त जैन का भी सहयोग रहा। औपचारिकताओं को पूरा करवाने में थोडी मषक्कत हुई। मैने भी कासलीवाल, बागानी व राशिका के साथ दो-तीन बार प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मौके का दौरा किया। सभी के सुझावों का समाहित करते हुए सैल्फी पॉइंट की तैयारियां अंतिम चरण में थी कि बागानी की मुलाकात समाजसेवी हरीश गिदवानी से हुई और उन्होंने अपनी ओर से भी आर्थिक सहयोग का प्रस्ताव रखा। बागानी तुरंत राजी हो गए। दोनों ने दिन रात एक कर यह सौगात तैयार करवाई, जो अब आनासागर चौपाटी पर शोभा बढ़ा रही है।
बागानी ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने इस प्रकार का सैल्फी पॉइंट अमेरिका में देखा था। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली। उसके बाद दुबई, मुंबई व मद्रास में भी ऐसे सेल्फी पॉइंट देखे। अब अपना सपना पूरा होने पर वे बेहद खुश हैं। बेशक यह निर्जीव पत्थर से बना है, मगर लोकार्पण के दौरान उमड़ी भीड़ ने इसे सजीव बना दिया। अब यह चौपाटी पर आने वाले दर्शनार्थियों के आकर्षण का केन्द्र है।
बहरहाल, यह सीखने को मिला कि कोई काम कितना भी अच्छा क्यों न हो, कानूनी पेच व अफसरशाही के भंवर से उसे गुजरना ही होता है। और अगर ठीक अप्रोच न हो तो उसका पूरा होना कठिन होता है।
दिलचस्प है कोसिनोक जैन का नामकरण
कोसिनोक जैन के नाम को लेकर कौतुहल होता है कि इसका अर्थ क्या है? नाम अटपटा है। वस्तुतः उनके नाम की रचना उनकी सहोदर कामिनी, संगीता, नीलिमा व केनेडी के पहले अक्षर को मिला कर की गई है।
उन्होंने 2005 में एयर कार्टून नाम से कंपनी आरंभ की। कार्टून नब्बे हजार के थे, उसमें चार हजार कम पड रहे थे। इसके लिए अपनी पत्नी से चार हजार उधार लिए, जो अब तक नहीं लौटाए हैं।
नामकरण की अनोखी विधि उनकी कंपनी राशि एंटरटन्मेंट में भी अपनाई गई है। पूर्व में कंपनी का आरंभ उनके बडे भाई दिल्ली निवासी राजीव जैन ने की थी। राजीव और शिखा के नाम से कंपनी बनाई थी। फिर अजमेर में इसका आरंभ हुआ। बेटे रौनक व बेटी शिवांगी नामों के पहले अक्षरों को मिला कर कंपनी का नाम रखा राशि एंटरटेन्मेंट।
वे अपने पिताश्री के कदमों का अनुसरण करते हुए समाजसेवा के कार्य में भी जुटे हुए हैं। उनकी ही तरह हरफनमौला हैं व अपनी गतिविधियों से चर्चा में रहते हैं। फागुन महोत्सव हो या शहर की कोई प्रमुख गतिविधि, अगली पंक्ति में नजर आते हैं। यदि यह कहा जाए कि वे अजमेर में गिनती के जिंदादिल व जागरूक लोगों में शुमार हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सोमवार, 7 अक्तूबर 2024
धर्मेन्द्र राठौड व सुरेश टाक की मुलाकात के मायने?
शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2024
भूल ही गए महात्मा गांधी स्मृति वन उद्यान को
ज्ञातव्य है कि बापू के जीवन, संघर्ष और मोहन से महात्मा तक के सफर को जीवंत करने के लिए 23 हजार स्कवायर फीट क्षेत्र में 7.7 करोड़ की लागत से इसका निर्माण किया गया है। उद्यान को उंचाई से देखने पर गांधी के आकार में नजर आता है। यहां स्थित प्राकृतिक संरचनाओं को नहीं छेड़ा गया है। स्मृति उद्यान में सेल्फी प्वाइंट विकसित किए गए हैं।
मार्केटिंग के बेताज बादशाह थे वासुदेव वाधवानी
सरे राह ग्रुप के विज्ञापन प्रभारी व अजमेर मल्टी मीडिया के प्रोपराइटर स्वर्गीय वाधवानी दैनिक भास्कर अजमेर से अधिकृत विज्ञापन एजेंसी संचालक के रूप में भी जुड़े हुए थे। उन्होंने अनेक युवक-युवतियों को मार्केटिंग सिखाई और रोजगार भी उपलब्ध करवाया।
आमजन में उनकी पहचान सोनिया व करिश्मा प्रदर्शनी से हुई, जिसकी परंपरा शुरू करने का श्रेय भी उनके ही खाते में जाता है। एक ही छत के नीचे जरूरत का हर सामान, वह भी सस्ते में कैसे मिलता है, इससे साक्षात्कार करवाने की उपलब्धि उनके ही खाते में जाती है। एक अर्थ में उन्होंने शहर के व्यवसाइयों को यह सिखाया कि प्रदर्शनी के जरिए अपना माल कैसे बेहतर ढंग से बेचा जा सकता है।
बुधवार, 2 अक्तूबर 2024
डॉ बाहेती व स्वर्गीय श्री दशोरा में थी गहरी दोस्ती
कुछ इसी प्रकार की मित्रता तत्कालीन नगर सुधार न्यास अध्यक्ष स्वर्गीय श्री माणकचंद सोगानी व वरिष्ठ भाजपा नेता औंकार सिंह लखावत के बीच थी। सोगानी ने लखावत के आग्रह पर चारण साहित्य शोध संस्थान के लिए न्यूनतम दर पर भूमि का आबंटन किया था।