बुधवार, 11 जनवरी 2012

कब लगेगी नेहरू अस्पताल में सीटी स्केन मशीन?

अजमेर के हितों के लिए गठित अजमेर फोरम की पहल और सभी जनप्रतिनिधियों के सहयोग संभाग के सबसे बड़े अस्पताल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय में सीटी स्केन मशीन लगाने को लेकर आ रही अड़चन तो दूर कर ली गई, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पताल प्रशासन इसमें रुचि नहीं ले रहा है। सच्चाई क्या है ये तो भगवान ही जाने, मगर चर्चा है कि ऐसा कमीशन मारे जाने की वजह से हो रहा है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर कब लगेगी नेहरू अस्पताल में सीटी स्केन मशीन? और लगेगी भी या नहीं?
ज्ञातव्य है कि पिछले दो साल से इस मसले पर कई अड़चनें आ चुकी हैं। दरअसल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में दो साल पहले सीटी स्केन और एमआरआई मशीनें लगाने का निर्णय हुआ था। इस पर मेडिकल कॉलेज की ओर से टेंडर निकाले गए थे। चार फर्मों में से कम दरों के आधार पर जोधपुर के सत्यम सेंटर का चयन हुआ, लेकिन मशीनें लगने से पहले ही कुछ तकनीकी कारणों से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से अचानक टेंडर को निरस्त कर दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ सत्यम सेंटर कोर्ट में चला गया। नतीजतन मरीजों को भारी परेशानी होती रही। इस पर अजमेर फोरम की पहल पर दो माह पहले राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, कांग्रेस शहर अध्यक्ष महेंद्रसिंह रलावता, भाजपा शहर अध्यक्ष रासासिंह रावत, विधायक द्वय वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल, नगर निगम महापौर कमल बाकोलिया, फोरम कार्यकर्ता रणजीत मलिक व पूर्व पार्षद समीर शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस गतिरोध को दूर करने के लिए राजनीति मतभेदों से ऊपर उठकर प्रयास किया। सत्यम सेंटर को कोर्ट से मुकदमा वापस लेने के लिए तैयार किया गया। संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा की पहल पर मेडिकल रिलीफ सोसायटी की बैठक में तय हुआ कि मेडिकल कॉलेज की ओर से ट्रोमा सेंटर में 16 स्लाइस की सीटी स्केन मशीन लगाई जाएगी। वहीं सत्यम सेंटर नेहरू अस्पताल में 16 स्लाइस की मशीन लगाएगा। सत्यम सेंटर को मशीनें लगाने के लिए अस्पताल में स्थान और विद्युत कनैक्शन उपलब्ध कराएगा।
इस मामले में विवाद उस वक्त फिर उठा गया, जब सत्यम सेंटर की ओर से मुकदमा वापस ले लिया गया, लेकिन इधर अस्पताल प्रशासन ने कुछ तकनीकी अड़चनों का हवाला देते हुए सत्यम सेंटर को वर्क ऑर्डर देने में असमर्थता जताई। इस पर फोरम की ओर से शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ और उप शासन सचिव(चिकित्सा) से संपर्क किया गया। उन्होंने हस्तक्षेप करते हुए मामला निपटाने की दिशा में अहम भूमिका निभाई। उपशासन सचिव चिकित्सा ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को पत्र लिखकर अग्रिम कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। जाहिर है कि अब मामला पूरी तरह से सुलझ गया है मगर जानकारी यही है कि अस्पताल प्रशासन अब भी रुचि नहीं ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि सीटी स्केन मशीन के अभाव में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर भागना पड़ता है अथवा भारी परेशानी उठा कर जयपुर कूच करना पड़ता है। पिछले दिनों जब अजमेर के पुलिस कप्तान राजेश मीणा दुर्घटना का शिकार हुए थे तो उन्हें भी यहां सीटी स्केन मशीन सहित अन्य सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं के अभाव में जयपुर रैफर करना पड़ा था। अफसोस की एक आईएएस अधिकारी को इतनी परेशानी हुई, उसके बाद भी न तो प्रशासन हरकत में आया और न ही सरकार। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि नेहरू अस्पताल भगवान भरोसे ही चल रहा है।