अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर लोकेश सोनवाल ने हाईकोर्ट के एक आदेश के तहत गृह विभाग के निर्देशों का हवाला देते हुए फरमान जारी किया है कि वाहन मालिक अपने वाहनों की पार्किंग निर्धारित पार्किंग स्थल पर ही करें तथा निर्धारित मार्ग से ही व्यावसायिक वाहनों की आवाजाही हो। इसके दो ही मतलब निकलते हैं। एक तो जैसे ही उन्हें गृह विभाग के निर्देशों का पता लगा, उसे आगे सरका दिया, या फिर पुलिस पार्किंग दुरुस्त करने का अभियान चलाने का इशारा कर रही है।
बेशक हाईकोर्ट के आदेश की अनुपालना में गृह विभाग के निर्देशों की पालना सुनिश्चित होनी ही चाहिए। कोई नहीं करेगा तो बकौल सोनवाल वाहन मालिकों के विरूद्घ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही कर वाहन जब्त किया जायेगा।
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लोकेश सोनवाल |
असल में शहर में अनेक स्थानों पर पार्किंग स्थल विकसित करने की जरूरत है। हालांकि यह बात सही है कि पिछले बीस साल में आबादी बढऩे के साथ ही अजमेर शहर का काफी विस्तार भी हुआ है और शहर में रहने वालों का रुझान भी बाहरी कालोनियों की ओर बढ़ा है। इसके बावजूद मुख्य शहर में आवाजाही लगातार बढ़ती ही जा रही है। रोजाना बढ़ते जा रहे वाहनों ने शहर के इतनी रेलमपेल कर दी है, कि मुख्य मार्गों से गुजरना दूभर हो गया है। जयपुर रोड, कचहरी रोड, पृथ्वीराज मार्ग, नला बाजार, नया बाजार, दरगाह बाजार, केसरगंज और स्टेशन रोड की हालत तो बेहद खराब हो चुकी है। कहीं पर भी वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। इसका परिणाम ये है कि रोड और संकड़े हो गए हैं और छोटी-मोटी दुर्घटनाओं में भी भारी इजाफा हुआ है।
ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि यातायात व्यवस्थित करने के लिए समग्र मास्टर प्लान बनाया जाए। उसके लिए छोटे-मोटे सुधारात्मक कदमों से आगे बढ़ कर बड़े कदम उठाने की दरकार है। मौजूदा हालात में स्टेशन रोड से जीसीए तक ओवर ब्रिज और मार्टिंडल ब्रिज से जयपुर रोड तक एलिवेटेड रोड नहीं बनाया गया तो आने वाले दिनों में स्टेशन रोड को एकतरफा मार्ग करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। रेलवे स्टेशन के बाहर तो हालत बेहद खराब है। हालांकि फुट ओवर ब्रिज शुरू से कुछ राहत मिली है, लेकिन उसे जब रेलवे प्लेटफार्म वाले ब्रिज से जोड़ा जाएगा, तभी पूरा लाभ होगा। इसके अतिरिक्त इन स्थानों पर पार्किंग स्थल बनाए जा सकते हैं-
खाईलैण्ड मार्केट से लगी हुई नगर निगम की वह भूमि, जिस पर पूर्व में अग्नि शमन कार्यालय था। नया बाजार में स्थित पशु चिकित्सालय की भूमि, जहां अंडर ग्राउण्ड पार्किंग संभव है। मदार गेट स्थित गांधी भवन के पीछे स्कूल की भूमि। कचहरी रोड स्थित जीआरपी/सीआरपी ग्राउण्ंड। केसरगंज स्थित गोल चक्कर में अंडर ग्राउंड पार्किंग। मोइनिया इस्लामिया स्कूल के ग्राउण्ड में अंडर ग्राउण्ड पार्किंग संभव है।
हालांकि यह सही है कि पुलिस का काम केवल कानून की पालना करवाना है और पार्किंग स्थल उसे नहीं बनवाने, मगर कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि जिला प्रशासन को आगाह तो कर ही सकते हैं कि बिना पार्किंग स्थलों को विकसित किए वाहनों को नियंत्रित करना कठिन है।
-तेजवानी गिरधर
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