गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

बीना काक को पटा ही लिया मंजू राजपाल ने



अजमेर। जिला कलैक्टर श्रीमती मंजू राजपाल ने पर्यटन, कला एवं संस्कृति, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा अजमेर जिले की प्रभारी मंत्री श्रीमती बीना काक को आखिर पटा ही लिया। अब श्रीमती काक उनसे बेहद खुश हैं और उसका नतीजा है कि अजमेर जिले के तीन दिवसीय दौरे में वे उनको लगातार अपने साथ लेकर ही घूमती रहीं। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि एक आईएएस अफसर अपनी गरिमा को त्याग कर मंत्री महोदया के पीछे अर्दली की तरह घूमती रहीं।

आपको याद होगा कि पिछले साल गणतंत्र दिवस पर पटेल मैदान में आयोजित समारोह के दौरान श्रीमती काक की इच्छा के अनुसार कार्यक्रम को शानदार तरीके से नहीं मनाने पर वे मंजू राजपाल से नाराज हो गई थीं। उनकी शिकायत थी कि उनके निर्देश के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। यही वजह रही कि समारोह के बाद परंपरागत रूप से जिला कलैक्टर निवास पर आयोजित गेट टुगेदर कार्यक्रम में श्रीमती राजपाल कटी-कटी सी रहीं। श्रीमती काक ने भी उनकी बजाय कांग्रेस के छुटभैये नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी। असल में स्थानीय नेताओं ने ही श्रीमती काक को इतना घेर रखा था कि श्रीमती राजपाल उनसे दूर-दूर होती रहीं। श्रीमती काक के इर्द-गिर्द बैठे नेताओं में से एक ने भी श्रीमती राजपाल को कुर्सी ऑफर नहीं की। ऐसे में कुछ देर खड़े रहने के बाद अपने आपको असहज पा कर वे दूर जा कर अन्य अधिकारियों से बात करने लग गर्इं थीं।

तब अखबारों में यह भी चर्चा रही कि पर्यटन मंत्री श्रीमती काक ने जयपुर जा कर इस बात पर भी अफसोस जताया कि श्रीमती राजपाल हंसती नहीं हैं। तब ये माना गया था कि ऐसा इसलिए हुआ होगा कि जब श्रीमती काक ने सार्वजनिक रूप से समारोह के आकर्षक न होने की शिकायत की तो भी श्रीमती राजपाल ने अपने निवास पर आयोजित गेट-टूगेदर में उनकी अतिरिक्त मिजाजपुर्सी नहीं की। यदि वे खीसें निपोर कर खड़ी रहतीं तो कदाचित श्रीमती काक उन्हें माफ कर देतीं, मगर शायद वे उनके व्यवहार की वजह से असहज हो गई थीं। कदाचित उन्हें ये लगा हो कि मौका देख कर अपनी बिंदास आदत के मुताबिक मंत्री महोदया जलील न कर बैठें। इसी मसले पर एक दिलचस्प बात ये भी हुई थी कि जिले के तीन विधायकों ने उनकी ढाल बनने की कोशिश करते हुए उनकी तरफदारी की और तर्क दिया कि श्रीमती राजपाल एक संजीदा महिला हैं और जरूरत होने पर ही हंसती हैं। तब चर्चाओं में विडंबना जाहिर हुई थी कि अजमेर की जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल की रिजर्व नेचर और उनका हंसना अथवा न हंसना भी उनकी योग्यता का मापदंड बन गया है।

बहरहाल, ऐसा लगता है कि आईएएस की स्वाभाविक अकड़ वाली श्रीमती राजपाल ने जल्द ही समझ लिया कि प्रशासनिक राजनीतिकरण के जमाने में सम्मान से नौकरी करनी है तो मंत्री महोदया के सामने कुछ मिजाजपुर्सी के अंदाज में ही खड़ा होना पड़ेगा। उन्हें इस बात का इल्म हो गया कि हाई प्रोफाइल श्रीमती काक को किस तरह का व्यवहार पसंद है। इस गुर को उन्होंने जल्द ही अपना भी लिया। यही वजह रही कि इस साल आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में प्रभारी मंत्री के रूप में मौजूद श्रीमती काक को खुश करने में उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी। श्रीमती काक ने भी संतोष जाहिर किया। उसी से साफ हो गया था कि अब उनकी नाराजगी समाप्त हो गई है। अब श्रीमती काक को मंजू राजपाल इतनी पसंद हैं कि अपने तीन दिन के दौरे वे उन्हें हर जगह साथ ले कर ही घूमती रहीं। एक जिला कलैक्टर का इस तरह मंत्री के आगे-पीछे घूमना कइयों को अखरा भी। आखिरकार वे जिला कलैक्टर हैं और इस तरह अपने सारे शिड्युल छोड़ कर मंत्री के साथ ही घूमना चौंकाता ही है। मगर सब समझते हैं कि बीना काक जैसी हैंडल विथ केयर मंत्री को तो पटा कर ही रखने में फायदा है।